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Rajasthan: वसुंधरा सरकार के समय आवंटित जमीनों की जांच कराएगी गहलोत सरकार

Rajasthan राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने प्रदेश की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सरकार के द्वारा लागू की गई भूमि आवंटन नीति-2015 के तहत विभिन्न संस्थाओं को रियायती दरों पर आवंटित जमीनों की जांच के आदेश दिए हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 05:11 PM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 05:11 PM (IST)
Rajasthan: वसुंधरा सरकार के समय आवंटित जमीनों की जांच कराएगी गहलोत सरकार
गहलोत सरकार वसुंधरा सरकार के समय आवंटित जमीनों की जांच कराएगी। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, जयपुर। Rajasthan: राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने पिछली वसुंधरा राजे सरकार के द्वारा लागू की गई भूमि आवंटन नीति-2015 के तहत विभिन्न संस्थाओं को रियायती दरों पर आवंटित जमीनों की जांच के आदेश दिए हैं। स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने जयपुर विकास प्राधिकरण सहित सभी निकायों को निर्देश दिए हैं कि तत्काल प्रभाव से भूमि आवंटन नीति-2015 या किसी अन्य नियमों के तहत हुए जमीनों के आवंटन की भौतिक सत्यापन जांच कराई जाए। जांच में अगर किसी जमीन के आवंटन में शर्तों का उल्लंघन पाया जाता है तो दिन दिन के अंदर आवंटन निरस्त कर दिया जाए। आवंटन निरस्त करते ही तत्काल जमीन का कब्जा निकाय खुद संभाले।

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धारीवाल ने कहा कि भौतिक सत्यापन निरीक्षण रिपोर्ट में जिन संस्थाओं को आवंटन सही पाया जाता है, उनकी पालना रिपोर्ट प्रमाण-पत्र सहित सरकार भेजी जाए। उन्होंने कहा कि अगर निकायों के अधिकारियों के द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के उलट मौके पर गड़बड़ी पाई जाती है या सरकार को मामले में किसी भी प्रकार की शिकायत मिलती है तो जांच करने वाले संबंधित जिम्मेदार अफसर के खिलाफ सरकार कड़ी कानूनी कार्रवाई करेगी। इस जांच के दायरे में चिकित्सा व शिक्षण संस्थान भी आएंगे। उल्लेखनीय है कि पहले भी गहलोत सरकार ने पिछली भाजपा सरकार के समय लागू किए गए कई निर्णयों की समीक्षा करवाई है। समीक्षा कराने के बाद कई नियमों में बदलाव किए गए हैं।  

गौरतलब है कि सितंबर, 2019 को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को जयपुर के सिविल लाइंस में आवंटित बंगले को लेकर अशोक गहलोत सरकार ने राजस्थान हाईकोर्ट में अतिरिक्त शपथ पेश किया था। गहलोत सरकार ने बंगले और अन्य सुविधाओं को लेकर हाईकोर्ट में कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने के लिए नियमों में संशोधन किया। दरअसल, मिलाप चंद डांडिया की ओर से अवमानना याचिका लगाई गई थी, जिसमें याचिकाकर्ता की ओर से कहा कि चार सितंबर, 2019 को कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने के संबंध में किए गए प्रावधानों को रद कर दिया था। ऐसे वसुंधरा राजे को सुविधा देना गलत है। शपथ पत्र में सरकार की ओर से यह साफ किया गया कि वसुंधरा राजे को वरिष्ठ विधायक होने के नाते बंगले दिया गया है।


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