Rajasthan: बजट की तैयारियों में जुटी गहलोत सरकार, विभिन्न वर्गों से की चर्चा
Discussion On Budget. राजस्थान में विधानसभा का बजट सत्र आहूत हो चुका है और दस फरवरी से इसकी नियमित कार्यवाही भी शुरू हो जाएगी।
जयपुर, जेएनएन। Discussion On Budget. केंद्रीय बजट के बाद अब राजस्थान सरकार भी बजट की तैयारियों में जुट गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार के वित्त मंत्री भी हैं और इस नाते पिछले शुक्रवार और शनिवार को उन्होंने औद्योगिक और व्यापारिक संगठनों, कृषि संगठनों, युवाओं, महिलाओं, प्रोफेशनल्स और स्वयंसेवी संगठनों आदि से लंबी चर्चाएं कर बजट के लिए सुझाव मांगे। राज्य का बजट 17 फरवरी को पेश होने की संभावना है।
राजस्थान में विधानसभा का बजट सत्र आहूत हो चुका है और दस फरवरी से इसकी नियमित कार्यवाही भी शुरू हो जाएगी। इसी दौरान संभवतः 17 फरवरी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वित्त मंत्री होने के नाते राज्य का बजट पेश करेंगे। मौजूदा कार्यकाल में यह उनका दूसरा बजट होगा। बजट को लेकर सरकार की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। केंद्रीय बजट के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि केंद्र से अगले वित्तीय वर्ष के लिए राज्य को कितनी राशि मिलने की संभावना है। इसके साथ ही विभिन्न योजनाओं के मद में मिलने वाली राशि की स्थिति भी स्पष्ट हो गई है। ऐसे में अब राज्य के बजट में शामिल की जाने वाली योजनाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार और शनिवार को राज्य कर परामर्शदात्री समिति सहित समाज के विभिन्न वर्गो और संगठनों से मिल कर बजट के बारे में विस्तृत चर्चा की है और उनसे सुझाव भी लिए हैं। मुख्यमंत्री ने सभी वर्गों को यह आश्वासन दिया है कि बजट राज्य के हर वर्ग की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाया जाएगा। इन बैठकों में देशव्यापी मंदी और केंद्र सरकार से पर्याप्त आर्थिक सहायता नहीं मिलने की बात भी आई है, लेकिन गहलोत ने भरोसा दिलाया है कि वे अपनी ओर से सबको संतुष्ट करने का प्रयास करेंगे।
शनिवार को स्वयंसेवी संगठनों के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वैच्छिक संगठन जिन क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, उन्हें उससे जुड़े विभागों के अनुसार समूह बनाकर चर्चा के लिए आमंत्रित किया जाए। इसमें वे स्वयं, संबंधित मंत्री एवं अधिकारी उपस्थित रहेंगे। वहीं, शुक्रवार को युवा, खिलाड़ी, महिलाएं, प्रोफेशनल्स एवं प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के साथ हुई चर्चा में गहलोत ने कहा कि राजस्थान के युवाओं में भरपूर प्रतिभा मौजूद है। वे अपनी योग्यता के दम पर राज्य के विकास में भागीदार बनें। सरकार उन्हें हर कदम पर प्रोत्साहित करेगी और पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराएगी।
आर्थिक स्थिति संकट में
मौजूदा वित्तीय वर्ष में सरकार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। तीसरी तिमाही पूरी होने तक सरकार की आय करीब 60 प्रतिशत ही हो पाई है। जो पिछले वर्ष इसी अवधि के मुकाबले करीब तीन प्रतिशत कम है। कर राजस्व की बात की जाए तो दिसंबर तक सिर्फ 58 प्रतिशत आय हो पाई थी, जो पिछले वर्ष के मुकाबले आठ प्रतिशत कम है। उधर, केंद्र सरकार ने भी मौजूदा वित्तीय वर्ष में केंद्रीय करो में राजस्थान को मिलने वाली हिस्सा राशि को 46,411 करोड़ से कम कर 36,049 करोड़ रूपये कर दिया है। इस प्रकार, राज्य को मिलने वाली करो में हिस्सा राशि में कुल 10,362 करोड़ रुपये की कमी की गई है। इसी प्रकार, वर्ष 2019-20 के बजट अनुमानों में विभिन्न योजनाओं के लिए घोषित केंद्रीय अनुदान राशि में 4,000 करोड़ रुपये की भारी कमी की गई है।
स्वयंसेवी संगठनों ने मांगी धरने की जगह
दिल्ली में शाहीन बाग का धरना देश में चर्चा का विषय बना हुआ है इसी बीच राजस्थान के स्वयंसेवी संगठनों ने जयपुर में धरना प्रदर्शन की जगह तय करने की मांग की है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ बजट को लेकर हुई चर्चा के दौरान मजदूर किसान शक्ति संगठन और सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान की ओर से सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने जवाबदेही कानून लागू करने सहित अन्य मांगों के साथ ही धरना- प्रदर्शनों के लिए जयपुर सहित प्रत्येक जिला मुख्यालय पर जगह उपलब्ध कराने की मांग की।
उन्होने कहा कि राज्य में आज कहीं भी धरना-प्रदर्शनों के लिए जगह नहीं है और कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में केंद्रीय जगह पर विधानसभा और सचिवालय के पास व जिलों में धरना-प्रदर्शनों के लिए उपयुक्त स्थान उपलब्ध कराने का वादा किया था। इसलिए जयपुर में सचिवालय और विधासभा के पास व सभी जिला मुख्यालयों पर जिला कलक्टर कार्यलय के नजदीक धरना-प्रदर्शनों के लिए जगह उपलब्ध कराई जाए। बताया जा रहा है कि इस मांग पर मुख्यमंत्री ने यह माना कि जयपुर में विरोध की आवाज के लिए जगह नहीं है। उन्होंने मजाकिया लहजे कहा कि सचिवालय परिसर के अंदर भी जगह होनी चाहिए।
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