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Rajasthan: सरकारी भर्तियां कोर्ट में फंसी तो अफसरों पर कार्रवाई

Government Recruitment. राजस्थान में मौजूदा सरकार ने 75 हजार नौकरियां देने का वादा किया था। यह काम चल रहा है और विभिन्न विभागों द्वारा भर्तियां निकाली भी जा रही हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 08 Feb 2020 04:40 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 05:57 PM (IST)
Rajasthan: सरकारी भर्तियां कोर्ट में फंसी तो अफसरों पर कार्रवाई
Rajasthan: सरकारी भर्तियां कोर्ट में फंसी तो अफसरों पर कार्रवाई

जयपुर, जेएनएन। Government Recruitment. राजस्थान में सरकारी भर्तियां अदालतों में न फंसे, इसके लिए सरकार ने विभागों को कड़े निर्देश जारी किए हैं और ताकीद किया है कि भर्ती निकालने से पहले हर तरह कमी दूर कर ली जाए। इस मामले में किसी तरह की लापरवाही पाई गई तो इसे सरकार के स्तर पर गंभीरता से लिया जाएगा।

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राजस्थान में मौजूदा सरकार ने 75 हजार नौकरियां देने का वादा किया था। यह काम चल रहा है और विभिन्न विभागों द्वारा भर्तियां निकाली भी जा रही हैं। भर्ती परीक्षाओं का काम राजस्थान लोकसेवा आयोग और राज्य अधीनस्थ कर्मचारी बोर्ड द्वारा किया जाता है, लेकिन राजस्थान में लगभग हर भर्ती किसी न किसी स्तर पर पर कानूनी पचड़े में फंसती है और इसे लेकर कोर्ट केस दायर होते हैं।

राजस्थान में बेरोजागरों की लड़ाई लड़ने वाले संगठन राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव बताते हैं कि इस समय की बात करें तो 38 हजार 600 से ज्यादा पदों की भर्तियों का मामला कोेर्ट में अटका हुआ है। इनमें विदयालय सहायक के 33456 पदों का मामला 2015 से कोर्ट में है। यह मामला बोनस अंक दिए जाने की मांग को लेकर कोर्ट पहुंचा था। इसी तरह कृषि पर्यवेक्षकों के 1832 पद, महिला सुपरवाइजर के 180 पद, महिला सुपरवाइजर आंगनबाड़ी के 309 पद और प्रयोगशला सहायक के 1200 पदों की भर्तियां भी कोर्ट केस के चलते अटकी हुई हैं। इन परीक्षाअेां में फर्जी ओएमआर शीट के मामले सामने आए थे। इसके अलावा राजस्थान प्रशासनिक सेवा मुख्य परीक्षा का मामला भी आरक्षण विवाद के कारण कोर्ट में है। इसके 1017 पदों की भर्ती अटकी हुई हैं। यादव कहते हैं कि सरकार को भर्तियों का कैलेंडर निश्चित करना चाहिए और भर्तियों में लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं है और बेरोजगार परेशान होते रहते हैं।

सरकार ने यह उठाए कदम

सरकारी भर्तियों को लेकर इस बार सरकार काफी गंभीर दिख रही है, क्योंकि चुनाव में कांग्रेस ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था और अभी भी कांग्रेस पूरे देश में बेरोजारी को बडा मुद्दा बनाए हुए है। यही कारण है कि खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों भर्तियों को लेकर मौजूदा स्थिति की समीक्षा की थी और इसकी नियमित माॅनिटरिंग करने के निर्देश भी दिए थे। इस बैठक में कोर्ट केसेज का मामला भी सामने आया था। इसे देखते हुए ही अब सरकार के कार्मिक विभाग ने सभी विभागों को परिपत्र भेज कर कहा है कि भर्तियां अनावश्यक अदालती पचड़े में न फंसे, इसका सभी विभाग विशेष ध्यान रखें। भर्तियों के कोर्ट में अटकने पर विभागों की ढिलाई पर कार्रवाई की जाएगी। परिपत्र में कहा गया है कि भर्तियों के लंबित मामलों में शीघ्र सकारात्मक निस्तारण की कार्रवाई करें। भर्ती की विज्ञप्ति जारी करने से पूर्व नियमों को अच्छी तरह से देख लें। प्रावधान अनुसार आरक्षण का वर्गीकरण, योग्यता निर्धारण, पाठ्यक्रम और परीक्षा योजना संबंधित सभी बिंदुओं की पालना सही ढंग से की जाए, ताकि भर्तियां अनावश्यक रूप से कानूनी पचड़े में ना फंसे।

कार्मिक विभाग ने आदेश में कहा कि आरपीएससी और कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से निकाली जाने वाली भर्तियों में कुछ कमियां रह जाती हैं।इसलिए यह कोर्ट में उलझ जाती हैं और बेरोजगार अभ्यर्थियों को अनावश्यक रूप से परेशान होना पड़ता है। कार्मिक विभाग की प्रमुख सचिव रोली सिंह ने कहा कि सरकार रिक्त पदों को समयबद्ध रूप से भरने के लिए कृत संकल्पित है। राज्य सरकार का नीतिगत निर्णय है कि सभी सरकारी और अर्द्ध सरकारी नौकरियों से संबंधित प्रकरण जो कोर्ट में लंबित है उनके शीघ्र सकारात्मक निस्तारण के लिए कार्रवाई की जाए। जो भर्तियां कोर्ट में लंबित हैं उनके शीघ्र निस्तारण के लिए प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की जाए। विभागों की ओर से भर्तियों में न्यायिक विवादों के निस्तारण में शिथिलता को राज्य सरकार के स्तर पर गंभीरता से लिया जाएगा। 

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