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राजस्थान में विधायकों को जनता से जुड़े सवाल पूछने में नहीं है दिलचस्पी, 20 विधायक रहे मौन

Rajasthan Assembly. राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस के 13 कांग्रेस भाजपा के चार बसपा का एक और दो निर्दलीय विधायकों ने एक भी सवाल नहीं पूछा।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 02:12 PM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 02:12 PM (IST)
राजस्थान में विधायकों को जनता से जुड़े सवाल पूछने में नहीं है दिलचस्पी, 20 विधायक रहे मौन
राजस्थान में विधायकों को जनता से जुड़े सवाल पूछने में नहीं है दिलचस्पी, 20 विधायक रहे मौन

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र 21 दिन तक चला। इसी माह बजट सत्र समाप्त हुआ। बजट सत्र के दौरान 20 विधायक ऐसे रहे हैं, जो पूरी तरह मौन धारण किए रहे। इन विधायकों ने ना तो तारांकित सवाल पूछा और ना ही अतारांकित सवाल किया। 200 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में 198 विधायक हैं। दो सीटों पर उपचुनाव होना है। 20 विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने एक भी सवाल नहीं पूछा, जबकि बजट सत्र के दौरान प्रत्येक विधायक 100 सवाल पूछ सकता है। इसमें 40 तारांकित और 60 अतारांकित सवाल पूछे जा सकते हैं।

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बजट सत्र में मात्र 13 विधायकों ने ही सवाल का कोटा पूरा किया। इनमें भाजपा के आठ और कांग्रेस का एक, तीन निर्दलीय व एक बसपा विधायक शामिल है। विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा विधायक सिद्धी कुमारी और कांग्रेस विधायक हेमाराम चौधरी बहुत कम सदन में नजर आए।

20 विधायक रहे मौन

बजट सत्र के दौरान कांग्रेस के 13 कांग्रेस, भाजपा के चार, बसपा का एक और दो निर्दलीय विधायकों ने एक भी सवाल नहीं पूछा। बजट सत्र में लगे सवालों के विश्लेषण से कई रोचक तथ्य सामने आए हैं। विधानसभा में सवाल के लिए प्रक्रिया व नियम तय हैं। बजट सत्र में विधायक सबसे ज्यादा 100 सवाल पूछ सकते हैं। बिना विधानसभा सत्र के हर सप्ताह एक सवाल पूछा जा सकता है, जिसका लिखित जवाब संबंधित विधायक को मंत्री द्वारा भेजा जाता है।

बजट सत्र में सर्वाधिक सवाल पूछ सकने के बावजूद आंकड़े बता रहे हैं कि विधायकों की सवाल पूछने में अधिक दिलचस्पी नहीं है। विधायकों के लिए सवाल एक बड़ा माध्यम है, जिसके जरिए वे सरकारी विभागों से जानकारी लेने के साथ-साथ सरकार को विकास के कार्यों के लिए भी बाध्य कर सकते हैं, लेकिन वे इसमें दिलचस्पी नहीं लेते हैं। विधायकों द्वारा सवाल पूछने या कोई मुद्दा उठाने का सीधा लाभ जनता को मिलता है, लेकिन सवालों के प्रति उदासीनता ने विधायकों की सक्रियता पर सवाल उठा दिए हैं।

इन विधायकों ने नहीं पूछे सवाल

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, बीकानेर पूर्व राजपरिवार की सदस्य सिद्ध्री कुमारी और पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह राठौड़ के साथ ही कांग्रेस के महेन्द्रजीत सिंह मालवीय, अशोक बैरवा, ब्रजेंद्र सिंह ओला, हेमाराम चौधरी, परसराम मोरदिया, वीरेंद्र सिंह, रूपाराम, राजेंद्र सिंह विधुड़ी, सुदर्शन सिंह रावत, प्रशांत बैरवा, निर्मला सहरिया, पानाचंद मेघवाल ने भी सवाल पूछने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। पूर्व केंद्रीय मंत्री और निर्दलीय विधायक महादेव सिंह खंडेला व राजकुमार गौड़ और बसपा के दीपचंद खेरिया ने भी कोई सवाल नहीं पूछा।

इन विधायकों ने सवाल पूछने का कोटा पूरा किया

विधानसभा के नियम व प्रक्रिया के अनुसार प्रत्येक विधायक 100 सवाल पूछ सकता है। इस बार यह कोटा पूरा करने वालों में शंकर सिंह रावत, वासुदेव देवनानी, संतोष देवी, संजय शर्मा, हमीर सिंह धायल, मंजीत धर्मपाल चौधरी, धर्मनारायण जोशी, ओमप्रकाश हुड़ला, बलजीत यादव, गिरधारी लाल व ओमप्रकाश जोशी शामिल हैं।  

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