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coaching institutes in Rajasthan: राजस्थान में कोचिंग संस्थानों के नियमन सुझाव देने सरकार ने बनाई कमेटी

coaching institutes in Rajasthan राजस्थान में कोचिंग संस्थानों के नियमन और निंयत्रण के बारे में सुझाव देेने के लिए सरकार ने एक राज्यस्तरीय समिति का गठन किया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 11:44 AM (IST)Updated: Fri, 06 Sep 2019 11:44 AM (IST)
coaching institutes in Rajasthan: राजस्थान में कोचिंग संस्थानों के नियमन सुझाव देने सरकार ने बनाई कमेटी
coaching institutes in Rajasthan: राजस्थान में कोचिंग संस्थानों के नियमन सुझाव देने सरकार ने बनाई कमेटी

जयपुर,मनीष गोधा। coaching institutes in Rajasthan राजस्थान में तेजी से बढ़ रहे कोचिंग संस्थानों के नियमन और निंयत्रण के बारे में सुझाव देेने के लिए राजस्थान सरकार ने एक राज्यस्तरीय समिति का गठन किया है। यह समिति कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे बच्चों के तनाव को कम करने के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में भी सुझाव देगीं।

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राजस्थान मे कोटा पूरे देश में कोचिंग नगरी के रूप में जाना जाता है। पूरे देश से बच्चे यहां मेडिकल और इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए कोचिंग करने आते है। अकेले कोटा में करीब दो लाख बच्चे अलग-अलग कोचिंग संस्थानों में पढाई कर रहे है।

हालांकि कोचिंग के साथ ही कोटा इन बच्चों की आत्महत्याओं के मामले में भी चर्चा मे आता रहता है। कोटा के साथ ही राजस्थान में जयपुर, जोधपुर, सीकर, सवाई माधोपुर का गंगापुरसिटी, झुंझुनूं और कुछ अन्य शहरों में भी कोचिंग संस्थान बढ़ रहे है। इन शहरों में मेडिकल और इंजीनियरिंग के अलावा लाॅ, मैनेजमेंट, सीए, सीएस जैसे पाठयक्रमों में प्रवेश के लिए तैयारी कराई जाती है। इसके अलावा सिविल सेवाओं और अन्य सरकारी भर्तियों के लिए भी कोचिंग संस्थान तैयारी करा रहे है।

राजस्थान सरकार कोचिंग को बड़ी सम्भावना वाले व्यवसाय के रूप में देख रही है, क्योंकि इन कोचिंग संस्थानों के कारण राजस्थान में करीब पांच लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिला हुआ है। राजस्थान में अभी कोचिंग संस्थानों पर किसी तरह के नियम लागू नहीं है।

कोटा में स्थानीय जिला प्रशासन ने कुछ गाइड लाइन जरूर तय कर रखे है, लेकिन वे भी ज्यादातर बच्चों की कांउसलिंग और तनाव रहित कोचिंग के बारे में है। कोई नियम या कानून नहीं है। कोई भी व्यक्ति दो कमरे खाली देख कर वहां कोचिंग शुरू कर देता है। न कोचिंग करने वालो की शैक्षणिक योग्यता का पता होता है और न ही संस्थानों में सुरक्षा मानको का ध्यान रखा जाता है।

इसके अलावा कई कोचिंग संस्थानों के संचालक सरकारी भर्तियों की प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी करते या कराते भी पाए गए है। इन सब स्थितियों को देखते हुए सरकार अब कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण और नियमन की व्यवस्था करन चाहती है। इसके लिए एक तरफ जहां शहरी विकास विभाग को शहरों में कोचिंग हब विकसित करने को कहा गया है, वहीं एक समिति भी गठित की गई है जो नियंत्रण व नियमन का कानूनी दस्तावेज तैयार कर सरकार को देगीं।

समिति के सदस्य समिति द्वारा नामित किये गये सदस्य अन्य राज्यों का दौरा करेंगे तथा वहां पर कोचिंग संस्थानों के लिए लागू नियमों का अध्ययन करेंगे। समिति गहनता से विचार विमर्श कर व्यापक विधायी प्रारूप तैयार करेगी। इसके साथ ही समिति कोचिंग संस्थानों बच्चों पर पड़ने वाले मानसिक तनाव को दूर करने के लिए भी अपने सुझाव देगी। इस तरह की समिति बनाए जाने की चर्चा पिछली भाजपा सरकार के समय भी हुई थी और तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री ने इसके बारे मे विधानसभाा में घोषणा भी की थी, लेकिन समिति बनाई नहीं गई।

ये शामिल है समिति में-

समिति में कोटा एवं सीकर के जिला कलेक्टर तथा पुलिस अधीक्षक, मनोचिकित्सा केन्द्र, जयपुर के अधीक्षक, बीकानेर के शिक्षाविद् अमीचंद सदस्य होंगे। इसके अतिरिक्त लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज नई दिल्ली, के एसोसिएट प्रोफेसर,डॉ. शिवप्रसाद, बाल अधिकार कार्यकर्ता यज्ञदत्त हाडा, शिक्षा सलाहकार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग मधुलिका शर्मा, सीकर के ईम्पलस कोचिंग संस्थान से महावीर हुडडा तथा रिजोनेन्स कोटा के प्रतिनिधि, बाल मनोविज्ञान के क्षेत्र में कार्य कर रही स्वयंसेवी संस्था उद्यान केयर जयपुर, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइन्स, मुम्बई के प्रतिनिधि तथा स्कूल शिक्षा विभाग के वरिष्ठ संयुक्त विधि परामर्शी भी सदस्य होंगे। इनके अलावा महाधिवक्ता अथवा उनके प्रतिनिधि, वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर गुप्ता विशेष आमंत्रित होंगे। समिति में स्कूल शिक्षा विभाग के शासन उप सचिव सदस्य सचिव होंगे। 


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