यहां मुस्लिम बच्चों को कुरान की आयत की तरह कंठस्थ हैं संस्कृत के श्लोक Jaipur News
Muslim children. राजस्थान के एक स्कूल में पढ़ने वाले 500 मुस्लिम बच्चों को कुरान की आयतों तरह संस्कृत के श्लोक भी जुबानी याद हैं।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान की राजधानी जयपुर के मुस्लिम बहुल इलाके भट्टा बस्ती में चल रहे एक सरकारी स्कूल में 500 मुस्लिम बच्चे संस्कृत पढ़ रहे हैं। भट्टा बस्ती में 90 फीसद आबादी मुस्लिम वर्ग की है। यहां राज्य सरकार ने राजकीय संस्कृत विद्यालय नाम से एक स्कूल खोल रखा है।
इस स्कूल में पढ़ने वाले 500 मुस्लिम बच्चों को कुरान की आयतों तरह संस्कृत के श्लोक भी जुबानी याद हैं। मुस्लिम बच्चे यहां अच्छी तरह से संस्कृत सीखते हैं और कई बच्चों ने यहां से संस्कृत की पढ़ाई कर अच्छी नौकरी भी पाई है। स्कूल में घुसते ही संस्कृत में यह बच्चे प्रार्थना करते मिलते हैं। इनके अभिभावकों को भी संस्कृत के श्लोक पढ़ने में कोई एतराज नहीं है।
योगाभ्यास में भी बच्चों को दिलचस्पी
इस स्कूल के बच्चों को देखकर लगता है कि इनके जेहन में धर्म और जाति को लेकर किसी प्रकार की बात नहीं है। बच्चे संस्कृत के साथ साथ कुरान भी धारा प्रवाह सुनाते हैं। स्कूल में पढ़ने वाले रहमत, आरिफ और रोशन ने संस्कृत के श्लोक सुनाते हुए कहा कि हम मजहब के आधार पर भाषा की पढ़ाई नहीं करते हैं। संस्कृत विषय हमें अच्छा लगता है और शिक्षक हमें अच्छी तरह से पढ़ाते हैं। शिक्षकों का कहना है कि 2011 में स्कूल बना था।
तब से लेकर अब तक 400 से 500 मुस्लिम बच्चे हमेशा इस स्कूल में पढ़ते हैं, लेकिन आज तक कभी शिकायत नहीं आई है। संस्कृत शिक्षक महेश शर्मा का कहना है कि खुद अभिभावक भी बच्चों की संस्कृत की पढ़ाई से खुश रहते हैं। इस स्कूल में पढ़कर कई बच्चे सरकारी नौकरी में पहुंचे तो कुछ ने अपना व्यवसाय प्रारंभ किया। शिक्षकों का दावा है कि यहां पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे अपने जीवन में सफल होते हैं। योग दिवस पर यहां पढ़न वाले बच्चों ने योग भी किया था। कुछ बच्चे शाम के समय पास ही एक घर में योगाभ्यास के लिए जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि करीब डेढ़ सप्ताह पहले इसी इलाके में एक छोटी बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना के बाद मुस्लिम समाज के कुछ युवकों ने हिंदुओं के घरों व वाहनों में तोड़फोड़ की थी। पथराव भी हुआ था। अब मामला शांत हो गया। भट्टा बस्ती के लोग कहते हैं कि बाहर के लोग माहौल खराब करते है, यहां पर कभी मजहब को लेकर आपस में कोई विवाद नहीं रहा।