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Sand Storm: सरहद पर रेतीले बवंडर से बीएसएफ की मुश्किल बढ़ी, जनजीवन प्रभावित

Sand Storm. राजस्थान के बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में एक सप्ताह से धूल भरी आंधी का दौर लगातार जारी है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 18 Jul 2019 12:46 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 12:46 PM (IST)
Sand Storm: सरहद पर रेतीले बवंडर से बीएसएफ की मुश्किल बढ़ी, जनजीवन प्रभावित
Sand Storm: सरहद पर रेतीले बवंडर से बीएसएफ की मुश्किल बढ़ी, जनजीवन प्रभावित

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। पाकिस्तान सीमा से सटे राजस्थान के पश्चिमी इलाके में पिछले कई दिनों से लगातार धूल भरी आंधी चल रही है। चारों तरफ रेत के बवंडर दिखाई दे रहे हैं। आम आदमी से लेकर जानवर तक परेशान हैं। धूल भरी आंधी में मानसून पूरी तरह से भटक गया। मौसम विभाग के अधिकारियों का मानना है कि मानसून पहुंचने के बावजूद अब तक बारिश नहीं होने का कारण भी यही है। बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में एक सप्ताह से धूल भरी आंधी का दौर लगातार जारी है। करीब दो दशक बाद इस तरह लगातार आंधी चलने के हालात बने है। धूल भरी आंधी के कारण सड़कों पर रेतीले टीले बन गए हैं। जगह-जगह रास्ते जाम है, कई गांवों का जिला मुख्यालय से संपर्क कट गया।

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प्रशासन सड़कों से मिट्टी हटवाने में जुटा है। हालांकि प्रशासन की मुश्किल यह है कि एक बार मिट्टी हटाई जाती है और फिर कुछ ही देर बाद आंधी चलती है तो सड़कों पर मिट्टी जमा हो जाती है। रामसर क्षेत्र के मुनाबाव रेल लाइन पर मिट्टी जमा होने से काफी मुश्किल हो रही है। हालांकि पटरी से मिट्टी हटाने के काम में कर्मचारी लगातार जुटे हैं। रेतीले बवंडर के कारण बीएसएफ के जवानों को भी चौकसी रखने में परेशानी हो रही है।

आंधी के कारण जनजीवन प्रभावित

करीब दो दशक पहले तक बाड़मेर और जैसलमेर जिलों की पहचान यहां की आंधी से होती थी। गर्मी के मौसम में यहां लगातार आंधी का दौर चलता था और चारों तरफ धूल ही धूल नजर आती थी। आंधी चलती थी, तब आंधी के कारण सब कुछ ठप हो जाता था। इन दिनों भी यही हालात है। एक सप्ताह भर से धूलभरी आंधी से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। आंधी का सबसे ज्यादा असर बिजली आपूर्ति पर पड़ा है, इस कारण पेयजल संकट भी गहरा गया है। धूल भारी आंधी ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। ग्रामीण क्षेत्रों में हालात और भी बदतर है। दोनों जिलों के 70 से अधिक गांवों व कई ढाणियों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट चुका है। आवागमन के साधन इन गांवों तक नहीं पहुंच रहे हैं। जगह-जगह बिजली के खंभे व तार टूटकर गिर गए हैं। बुधवार रात तक यहां 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से आंधी चल रही थी। गुरुवार से आंधी का दौर थोड़ा कम हुआ है।

ये सड़कें हुईं जाम

-फतेहगढ़ से पोकरण जाने वाला रास्ता डांगरी के पास रेत से अटा।

-रासला से बडोड़ागांव सड़क संपर्क कटा।

-रामा से खुहड़ी की सड़क पर भी रेत हुई जमा।

-रामगढ़ से आसूतार का मार्ग रेत के कारण बाधित।

-रामगढ़ से लोंगेवाला जाना हुआ दुभर, घोटारू तक सड़क संपर्क टूटा।

-जैसलमेर से खुईयाला गांव की सड़क पर जमा हुई रेत।

-लोंगेवाला से तनोट जाने का मार्ग रेत से हुआ अवरुद्ध।

-गड़रारोड़ के खलीफे की बावड़ी जाने वाली सड़क बार-बार मिट्टी के कारण बंद हो रही है।

-बाड़मेर-मुनाबाव के बीच लीलमा,तामलोर और जैसिंधर के रास्ते में कई कई जगह सड़क और पटरी पर रेत जमा हो गई।

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