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पादरी गैंग के आठ सदस्य गिरफ्तार, इस तरह वारदात को देते थे अंजाम Jodhpur News

Arrested in Padri Gang. राजस्थान की जोधपुर पुलिस ने हरियाणा से पादरी गैंग के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 06:02 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 06:02 PM (IST)
पादरी गैंग के आठ सदस्य गिरफ्तार, इस तरह वारदात को देते थे अंजाम Jodhpur News
पादरी गैंग के आठ सदस्य गिरफ्तार, इस तरह वारदात को देते थे अंजाम Jodhpur News

जोधपुर, जेएनएन। राजस्थान के जोधपुर में दो माह पूर्व सक्रिय कच्छा बनियान गैंग के द्वारा दर्जनों घरों में चोरी का प्रयास करने वाले पादरी गैंग के सदस्यों को पकड़ने में जोधपुर पुलिस को सफलता मिली है। घरों में चोरी करने वाले पारदी गैंग के आठ सदस्यों को जोधपुर पुलिस ने हरियाणा से गिरफ्तार किया है। विगत मई और जून माह में कच्छा बनियान गिरोह के रूप में इस गैंग ने जोधपुर के शास्त्री नगर, उदय मंदिर समेत कई पॉश इलाकों में चोरी के प्रयास किए थे।

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शास्त्री नगर थाना अधिकारी रमेश कुमार ने बताया कि बीते दो माह में चोरी की वारदातों के प्रयासों को देखते हुए सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पड़ताल की गई थी, जिनमें की सात आठ चोर एक साथ घरों को निशाना बनाते दिखाई दिए थे। चोरों के पहनावे और तरीके से पारदी गैंग का होना पता चला। जिसके बाद जांच के तहत हरियाणा के फरीदाबाद में गैंग का होना पाया गया। जिन्हें गिरफ्तार कर जोधपुर लाया गया है। पारदी गैंग के जुड़े कच्छा बनियान गिरोह के सदस्य सभी मध्य प्रदेश के गुना स्थित धरनावदा के रहने वाले हैं।

जानें, कैसे देते हैं लूट को अंजाम

राजस्थान-मध्य प्रदेश की सीमा से सटा गुना जिले मेंं एक गांव है "चांचौडा"। ये कंजरों का गांव है और यही गांव पारदी चोर गिरोह का मुख्यालय भी कहा जाता है। 'पारदी' एक जाति है। इस जाति के युवक सात-आठ की तादाद मेंं गैंग बनाकर चलते हैं। कभी-कभी इनके साथ बच्चे भी होते हैं। ये बदन पर सिर्फ कच्छा पहन कर व बदन पर गहरा तेल लगा, चोरी-डाका व लूट करने निकलते हैं। जिससे कि कोई उनको आसानी से पकड़ न सके। जिस घर मेंं वारदात करने घुसते हैं, वहां जो भी हथियार, लट्ठ, सरिया, पत्थर आदि जो भी मिल जाए उससे हमला करते हैं और कई बार घर के सदस्य की जान तक ले लेते हैं। पारदी जिस शहर कस्बे मेंं वारदात करने जाते हैं, वहां ये रेल पटरी के आस-पास डेरा डालते हैं। लूट करने के बाद ये रेल पटरी के सहारे-सहारे अगले नजदीकी रेलवे स्टेशन पैदल चलकर पहुंचते और वहां से अपने गांव की ओर चल देते हैं। खुद के गांव चांचौडा मेंं जबरदस्त संगठित रूप से रहते हैं जहां से इन्हें पकड़ना आसान नहीं होता है।


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