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सरकारी जमीन मुआवजा मामला: पूर्व राज्यपाल सहित अन्य के खिलाफ कोर्ट ने प्रसंज्ञान लिया

भूमि विवाद मामले में जयपुर मेट्रो के मजिस्ट्रेट संख्या-7 राजेश कुमार गजरा ने प्रसंज्ञान लिया है। मजिस्ट्रेट ने श्रीमती कमला सहित इस मामले से जुड़े 18 लोगों को 14 अगस्त को तलब किया

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 01:12 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 01:12 PM (IST)
सरकारी जमीन मुआवजा मामला: पूर्व राज्यपाल सहित अन्य के खिलाफ कोर्ट ने प्रसंज्ञान लिया
सरकारी जमीन मुआवजा मामला: पूर्व राज्यपाल सहित अन्य के खिलाफ कोर्ट ने प्रसंज्ञान लिया

जयपुर, जागरण संवाददाता। गुजरात की पूर्व राज्यपाल और राजस्थान की पूर्व उप मुख्यमंत्री श्रीमती कमला से जुड़े भूमि विवाद मामले में जयपुर मेट्रो के मजिस्ट्रेट संख्या-7 राजेश कुमार गजरा ने प्रसंज्ञान लिया है। मजिस्ट्रेट ने श्रीमती कमला सहित इस मामले से जुड़े 18 लोगों को 14 अगस्त को तलब किया है।

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सरकारी जमीन पर कब्जा करने और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मुआवजे के रूप में जमीन के पट्टे लेने से जुड़े इस मामले में मजिस्ट्रेट ने जांच की जरूरत बताई है। कोर्ट ने कहा कि श्रीमती कमला को संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत मिले विशेष अधिकार का फायदा नहीं मिलेगा। उन्हे भी अन्य आरोपितों की तरह आईपीसी की धारा 204 के तहत तलब किया जाए।

सरकार ने ही खेती के लिए जमीन दी और फिर सरकार से ही मुआवजा लिया

वकील ए.के.जैन ने बताया कि संजय किशोर अग्रवाल ने 16 अगस्त,2012 को कोर्ट में 17 लोगों के खिलाफ इस्तगासा पेश किया था। इस्तगासे में मुआवजे के रूप में श्रीमती कमला के साथ ही अमर सिंह जाट,अभय कुमार जाट,चंद्रप्रकाश गुलेरिया,गोपीराम रेगर, हनुमान सिंह जाट,गोपालराम हरिजन, राधाकृष्ण जाट,रतन सिंह,राकेश कुमार सिंह, राजेंद्र सिंह पूनिया, शांति देवी,रणवीर सिंह जाट,विजय पाल आर्य,संजीव आर्य और हरिनारायण को आरोपित बताया गया है।

इस्तगासे में श्रीमती कमला पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अन्य आरोपितों की तरह सरकारी आवासीय भूमि 1516 वर्गमीटर ले रखी है,जिसकी कीमत करोड़ों में है। उन्हे संविधान की धारा 261 में आपराधिक अभियोजन नहीं किए जाने की छूट मिली हुई है। तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेश चौधरी ने मई,2014 में इस मामले की जांच पूरी कर के अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी। इसमें बताया गया था कि साल,1951 में सरकार ने किसान सामूहिक कृषि सहकारी समिति को खेती के लिए 384 बीघा जमीन लीज पर दी थी । इनमें जयपुर के गोविंदपुरा,गोकुलपुरा और करधनी इलाके की जमीन शामिल है।

श्रीमती कमला 1970 में इस समिति की सदस्य बनी। जयपुर विकास प्राधिकरण ने साल,1990 में गोकुलपुरा की जमीन का अधिगृहण कर लिया। प्राधिकरण इस जमीन पर पृथ्वीराज नगर योजना विकसित करना चाहता था। जमीन का अधिगृहण करने के साथ ही प्राधिकण ने श्रीमती कमला सहित अन्य सछसयों को मुआवजे के रूप में करधनी योजना में 209 व्यावसायिक जमीन के पट्टे दिए।

राज्य में वसुंधरा राजे सरकार के समय इस मामले की जांच करवाई गई। इसी बीच एक शिकायत भी सरकार को मिली कि यह जमीन सरकार ने ही सहकारी समिति को खेती के लिए दी थी,अब सरकार ने ही वापस ले ली तो फिर मुआवजा क्यों दिया गया है।  


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