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यहां की धरती व पानी हो गया है जहरीला, पानी पीना तो दूर कपड़े धोने में भी है परेशानी

गुड़ली की धरती और भूमिगत जल जहरीला हो गया है। यहां के बोरेेवल तक कैमिकलयुक्त पानी फैंकने लगे हैं। इस गांव का पानी मनुष्य ही नहीं बल्कि पशुओं के पीने के योग्य भी नहीं है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 09 Jul 2019 11:05 AM (IST)Updated: Tue, 09 Jul 2019 11:05 AM (IST)
यहां की धरती व पानी हो गया है जहरीला, पानी पीना तो दूर कपड़े धोने में भी है परेशानी
यहां की धरती व पानी हो गया है जहरीला, पानी पीना तो दूर कपड़े धोने में भी है परेशानी

उदयपुर, सुभाष शर्मा। शहर का समीपवर्ती गांव गुड़ली की धरती और भूमिगत जल जहरीला हो गया है। यहां के बोरेेवल तक कैमिकलयुक्त पानी फैंकने लगे हैं। इस गांव का पानी इतना जहरीला है कि यह मनुष्य ही नहीं, बल्कि पशुओं के पीने के योग्य नहीं है। यहां तक इस पानी से कपड़े धोने से भी बीमार होने की चिंता सताने लगी है। इसके चलते गांव के पांच हजार से अधिक आबादी प्रभावित है।

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गांव के लोगों ने जहरीली होती जमीन और भूमिगत जल का मामला उठाया तो जिला प्रशासन ने इसकी जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही ग्रामीणों ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने के लिए शिकायत की प्रति नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा को भेजी है। 

यहां के ग्रामीणों का कहना है कि औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित निजी फैक्ट्रियां कैमिकल युक्त तरल छोड़ रही हैं। जिसके चलते यहां की जमीन और पेयजल दोनों प्रभावित हुए है। आज से दो दशक पहले तक यहां रहने वाले किसान साल में दो बार फसल लेते थे लेकिन अब हालात है कि यहां किसानों ने खेती करना बंद कर दिया। कुछ किसान खेती कर रहे हैं लेकिन यहां पैदा हो रही उपज को वह अपने लिए काम नहीं ले रहे। पशुओं के चारे के लिए वह उपज लगाते हैं लेकिन अब इनकी संख्या भी दस फीसदी से कम रह गई है।

ग्रामीण मांगीलाल लौहार का कहना है कि गांव के ट्यूबवैलों का पानी भी जहरीला होने लगा है। पानी झागयुक्त आने लगा है। ग्रामीणों ने यहां का पानी पेयजल के रूप में लेना बंद कर दिया है। यहां तक पशु भी यह पानी पीने से परहेज करने लगे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि फैक्ट्रियां अपने यहां से निकल रहा तरल अपशिष्ट का समाधान करने की बजाय उसे सीधे जमीन में उतारने लगे हैं। इसके चलते पहले फैक्ट्री के आसपास का भूजल प्रभावित होने लगा था लेकिन अब यह समस्या समूचे गांव की है।

रोजाना पीने के लिए खरीदते हैं पानी

यहां के लोगों ने बताया कि उन्होंने गांव का पानी पीना बंद कर दिया है। इसके लिए हर रोज दस रुपये लीटर पानी खरीद रहे हैं। जबकि जिन लोगों की हैसियत पानी खरीदने की नहीं है वह अपनी साइकिल या अन्य वाहनों से पांच किलोमीटर दूर से पानी लेकर आ रहे हैं। गांव के एक भामाशाह ने हर दूसरे-तीसरे दिन टैंकर भी लगा रखा है जो पेयजल की पानी उपलब्ध करा रहा है।

संचालित है लगभग एक दर्जन कैमिकल वाली फैक्ट्रियां

गुड़ली गांव के समीप दस-बारह ऐसी फैक्ट्रियां संचालित हैं, जहां कैमिकल तैयार किया जाता है या जिनसे तरल अपशिष्ट के रूप में कैमिकल निकलता है। इस अपशिष्ट के समाधान को लेकर नियम तय हैं लेकिन इन फैक्ट्रियों से तरल अपशिष्ट बाहर निकलता रहता है। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत स्थानीय प्रशासन से लेकर पर्यावरण मंत्रालय से की लेकिन हालात पर सुधार नहीं हो पाया। इससे पहले क्षेत्र के समीप पेस्टिसाइड्स की एक फैक्ट्री संचालित थी, जिसे ग्रामीणों के पुरजोर विरोध के बाद बंद करना पड़ा। हालांकि लोगों को शिकायत है वहां से निकला अपशिष्ट का असर अभी तक बरकरार है।

इनका कहना है

उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा ने कहा कि गुड़ली के लोगों की समस्या से वह परिचित हैं। इसके समाधान को लेकर उन्होंने स्वयं जिला कलक्टर को जानकारी दी थी। वह इस मामले को विधानसभा में उठाएंगे ताकि ग्रामीणों की परेशानी दूर हो पाएं।

उदयपुर जिला कलक्टर आनंदी ने कहा कि शिकायत मिली है। जिसकी जांच के लिए कहा गया है। वहां की मिट्टी तथा पानी के नमूने लिए गए हैं। उसकी रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। साथ ही एक टीम गठित की है जो औद्योगिक इकाइयों की जांच करेंगे।

उदयपुर क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी डॉ. बीआर पंवार ने कहा कि पानी के नमूनों को मेरे कार्यालय ग्रामीण लेकर आएं, मैं इसकी जांच करता हूॅं। 


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