राजस्थान में तीन नेताओं की 'यारी' वसुंधरा पर पड़ सकती है भारी
राजस्थान विधानसभा चुनाव में टिकट तय करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। सत्तारूढ़ दल भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में टिकट तय करने को लेकर कसरत जारी है।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान विधानसभा चुनाव में टिकट तय करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। सत्तारूढ़ दल भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में टिकट तय करने को लेकर कसरत जारी है।
दोनों ही पार्टियां जहां जीतने को लेकर समीकरण बनाने में जुटी है, वहीं सत्ता को प्रभावित करने वाले बड़े जातीय संगठन भी सियासी गलियारों में अपनी भूमिका का एहसास करा रहे है। इसी के तहत तीन बड़े वर्ग ब्राह्मण, जाट और गुर्जर के तीन नेता विद्रोही अंदाज में नजर आ रहे है ।
ये तीनों ही नेता सीएम वसुंधरा राजे के साथ मतभेद के चलते भाजपा से अलग हुए और अब उन्हे चुनौती देने की रणनीति पर काम करते दिख रहे है। ये तीन नेता है प्रदेश में जनसंघ और भाजपा के संस्थापकों में शामिल घनश्याम तिवाड़ी,गुर्जर आरक्षण आंदोलन को लेकर बागी तेवर दिखा रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला और निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि कहीं इन तीनों नेताओं की "यारी "वसुंधरा राजे और भाजपा के लिए भारी न पड़ जाए।
कर्नल बैंसला ने तीसरे मोर्चे को समर्थन की बात कही
भाजपा से अलग होकर भारत वाहिनी पार्टी नाम से नया दल बनाने वाले घनश्याम तिवाड़ी और निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल ने तीसरा मोर्चा बनाने की पहले ही घोषणा कर रखी है। उनकी बसपा से भी बातचीत चल रही है।
इसी बीच गुर्जर समाज के प्रभावी नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैँसला ने सार्वजनिक रूप से तीसरे मोर्चे को समर्थन देने की बात कही है । एक दशक से भी अधिक समय तक चले आरक्षण आंदोलन के दौरान बैंसला की अगुवाई में कई बार गुर्जर समाज ने एकजुटता दिखाई ।
वसुंधरा राजे से निकटता के चलते बैँसला पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी भी रह चुके,लेकिन अब सीएम और भाजपा नेताओं के साथ मतभेद के चलते वे अलग राह तलाशने में जुटे है ।
बैंसला अपने समाज की मांग पूरा करने वाले दलों को समर्थन की बात कर रहे है। इसके अलावा बैंसला तीसरे मोर्चे को भी समर्थन देने को तैयार है । वहीं, बीजेपी का साथ छोड़ चुके घनश्याम तिवाड़ी राज्य के बड़े ब्राह्मण नेता है । वे अब अपनी अलग पार्टी बना चुके है ।
ये है जातिगत समीकरण
राज्य में करीब 51 प्रतिशत ओबीसी मतदाता है। वहीं सवर्ण मतदाताओं की तादाद 18 प्रतिशत,एससी 18 प्रतिशत और एसटी 13 प्रतिशत है। ओबीसी में कुल 91 जातियां शामिल है,इनमें जाट 9 प्रतिशत,गुर्जर 5 प्रतिशत और शेष में नाई,यादव,कुमावत सहित अन्य जातियां है। ओबीसी में सबसे अधिक वोट जाट समाज के है। ब्राहम्ण मतदाताओं की संख्या 7 प्रतिशत है । बैंसला गुर्जर समाज,बेनीवाल जाट और तिवाड़ी ब्राहम्ण समाज को एकजुट कर तीसरी शक्ति खड़ी करने में जुटे है।ये वो तीन नेता है, जो भाजपा एवं कांग्रेस के खिलाफ गठित होकर जनता को तीसरा विकल्प देने का कदम उठा सकते है।
वहीं, राजपूत करणी सेना भी एक बड़ी चुनौती है, जो आरक्षण और एससी-एसटी एक्ट के मुद्दे पर भाजपा से नाराज चल रही है । बहरहाल, अभी प्रदेश में राजनीतिक समीकरण बनने-बिगड़ने का खेल चल रहा है । लेकिन ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या बेनीवाल, बैंसला और तिवाड़ी एक मंच पर आकर वसुंधरा राजे को चुनौती पेश करेंगे ।