10 गांवों ने रासायनिक खाद छोड़ अपनाई पराली की खाद, मिला सम्मान
तरनतारन: माझा क्षेत्र के 10 गांवों ने रासायनिक खाद छोड़कर पराली से बनी खाद अपना कर मिसाल कायम की है।
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धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन: माझा क्षेत्र के 10 गांवों ने रासायनिक खाद छोड़कर पराली से बनी खाद
अपना कर मिसाल कायम की है। उनकी इसी उपलब्धि को देखते हुए जिला प्रशासन ने उन्हें सम्मानित भी किया। ब्यास और सतलुज दरिया के संगम स्थान हरिकेपत्तन क्षेत्र के इन गावों के किसानों ने पराली से बनी खाद इस्तेमाल कर पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेती अपना ली है।
नतीजा यह है कि इस क्षेत्र के किसान यहा फसलों से मालामाल हो रहे हैं। विधानसभा हलका पट्टी के गाव बुर्ज देवा सिंह निवासी किसान गुरबचन सिंह क्षेत्र के इन गावों के लिए रोल मॉडल साबित हो रहे हैं। गाव अलीपुर, रत्तागुदा, प्रिंगड़ी, हथाड़, बूह, हथाड़ हवेलियां, बूह हथाड़, नबीपुर, जिणोके और बुर्ज देवा सिंह के किसानों जसकरन सिंह, हरदेव सिंह, हरभेज सिंह, जगबीर सिंह, राजबरिंदर सिंह, डॉ. दलजीत सिंह ने बताया कि पराली को आग न लगाने का सबसे अधिक लाभ यह है कि गेहूं व धान की फसल लेने के लिए रासायनिक खाद व कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं करना पड़ रहा। यह सिलसिला करीब 6 वर्षो से चल रहा है। किसान गुरबचन सिंह ने बताया कि उनके गाव बुर्ज देवा सिंह में 500 एकड़ रकबा है। इनमें से 80 फीसद रकबे पर ऑर्गेनिक खेती से धान, गेहूं, मक्की, मटर व अन्य सब्जियों की पैदावार की जा रही है। हैप्पी सीडर से बिजाई कर मिली वाहवाही
राजस्व विभाग के सेवा मुक्त तहसीलदार सुखदेव सिंह ने पिछले वर्ष अपने गाव कुत्तीवाल में 20 किले रेतीली जमीन पर हैपी सीडर से गेहूं की बिजाई की थी। हथाड़ क्षेत्र की रेतीली जमीन में गेहूं की फसल का झाड़ रिकॉर्ड तोड़ रहा। सुखदेव सिंह कहते हैं कि यह रिस्क मैंने गाव बुर्ज देवा सिंह के किसान गुरबचन सिंह को देख कर लिया। बदले में गेहूं की फसल का अधिक झाड़ और वाहवाही मिली। किसानों को दिए सर्टिफिकेट डिप्टी कमिश्नर प्रदीप सभ्रवाल, डीआर पलविंदर सिंह बल्ल, सहकारी कोऑपरेटिवर बैंक के जिला मैनेजर दलविंदर सिंह संधू, कृषि अधिकारी भूपिंदर सिंह, एसडीएम डॉ. अनुप्रीत कौर ने ऑर्गेनिक खेती से जुड़े किसानों की फसलों का निरीक्षण करने के बाद उनको मौके पर सर्टिफिकेट दिए।
रासायनिक खाद व कीटनाशकों की बिक्री में 300 करोड़ की कमी डिप्टी कमिश्नर प्रदीप सभ्रवाल कहते हैं कि पंजाब का किसान पराली न जलाने को लेकर जागरूक हो रहा है। इस वर्ष प्रदेश भर में 200 करोड़ की रासायनिक खाद व 100 करोड़ के कीटनाशकों की बिक्री कम हुई है। यह किसानों के हित में है। डीसी कहते हैं कि ऑर्गेनिक खेती से जुड़ कर किसान यहां मालामाल हो रहे हैं। ----