यस क्लब का प्रयास, सभी को मिले समानता का अधिकार
तरनतारन आजादी के 70 साल बाद तरनतारन आजादी के 70 साल बाद जातिवाद और अमीरी-गरीबी का भेद खत्म नहीं हो रहा, जिस कारण समाज में गिरावट आना स्वभाविक है।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन
आजादी के 70 साल बाद जातिवाद और अमीरी-गरीबी का भेद खत्म नहीं हो रहा, जिस कारण समाज में गिरावट आना स्वभाविक है। सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ने का अहद करके समाज सेवी संस्था का गठन करने वाले सुखवंत सिंह गिल अपने मुकाम में लगातार कामयाब हो रहे हैं।
जिले के गांव दीनेवाल में निवासी मास्टर तरसेम सिंह के घर जन्में सुखवंत सिंह गिल यूथ क्लबों से काफी प्रभावित हैं। नेहरू युवा केंद्र के यूथ कोआर्डिनेटर बिक्रम सिंह गिल के पद चिन्हों पर चलते समाज सेवा का बीड़ा उठा सुखवंत सिंह गिल ने 2012 में यूथ एमपावरमेंट एंड यूथ (यस) क्लब का गठन किया। क्षेत्र के उन गरीब बच्चों को सेहत सुविधाए मुहैया करवानी शुरू की। जो झोपड़ पट्टी में रहते थे। इन बच्चों को टीकाकरण से लेकर शिक्षा हासिल करवाने की जिम्मेदारी निभाई। यैस क्लब के नाम पर कोई सरकारी, प्रशासनिक या किसी सियासी नेता से आर्थिक मदद नहीं ली बल्कि क्लब से जुड़े सदस्यों द्वारा अपना चंदा हर महीने दिया जाना लगा। इस चंदे से जरूरतमंदों को मेडिकल सुविधाए, स्कूली बच्चों को गर्म कपड़े, कापियां, किताबें देने के साथ साथ भेदभाव के खिलाफ लोगों को जागरूक करवाना शुरू कर दिया गया। बस अड्डा तरनतारन के पास दिशा सेंटर के नाम से जाने जाते सुखवंत सिंह गिल के साथ कोच सरूप सिंह, रविशेर सिंह मल्ली, गुरमिंदर सिंह रटौल, जतिंदरजीत सिंह लाली द्वारा भी अपना योगदान दिया जाता है। यस क्लब के साथ जुड़े सदस्यों द्वारा भी समाज सेवा की रोशनी फैलाने लिए अपना समय दिया जाता है। समाज के हासिये पर रह रहे उन लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता दिलाने लिए इस दंपती ने तरनतारन में 2 वकील भी रखे हैं जो यस क्लब के माध्यम से अब तक 24 से अधिक लोगों को न्याय दिलवा चुका हैं। उनका कहना है कि जातिवाद, लिंग अनुपात और अमीर गरीब के बीच जो फर्क समाज में रखा जाता है। उसको खत्म करने लिए युवाओं का जागरूक होना बहुत जरूरी है। सुखवंत सिंह को उनकी पत्नी राजविंदर कौर गिल का भी भरपूर सहयोग प्राप्त है। युवाओं को सही मार्ग दिखाना जरूरी
बेरोजगार युवा जो फर्जी ट्रेवल एजेंटों का शिकार होते हैं। उनकों सही राह दिखाने लिए क्लब द्वारा कोचिंग भी करवाई जाती है। गिल का कहना है कि विदेश जा कर अगर कमाई का सपना युवा पालते हैं तो उनके साथ कोई ठगी नहीं चाहिए। इसलिए ऐसे युवाओं को सही मार्ग दिखाना जरूरी है।