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गुटबंदी मिटाने लिए सुखबीर ने बदली पार्टी नेताओं की सियासी जमीन

लोकसभा चुनाव में कहीं इस बार हार का सामना न करना पड़े इसलिए शिअद ने सियासी नेताओं की फूट खत्म करने के लिए कवायद शुरू कर दी है। शिअद ने तरनतारन क्षेत्र में पार्टी लीडरशिप में बदलाव लाकर गुटबंदी खत्म करने लिए योजना तैयार की है। जिस पर ग्राउंड लेवल पर काम शुरू हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 12:07 AM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 12:07 AM (IST)
गुटबंदी मिटाने लिए सुखबीर ने बदली पार्टी नेताओं की सियासी जमीन
गुटबंदी मिटाने लिए सुखबीर ने बदली पार्टी नेताओं की सियासी जमीन

जागरण संवाददाता, तरनतारन : लोकसभा चुनाव में कहीं इस बार हार का सामना न करना पड़े, इसलिए शिअद ने सियासी नेताओं की फूट खत्म करने के लिए कवायद शुरू कर दी है। शिअद ने तरनतारन क्षेत्र में पार्टी लीडरशिप में बदलाव लाकर गुटबंदी खत्म करने लिए योजना तैयार की है। जिस पर ग्राउंड लेवल पर काम शुरू हो गया है।

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तरनतारन हलके से शिअद भाजपा गठजोड़ के बीच 11 वर्ष से चली आ रही फूट को मिटाने के लिए सुखबीर सिंह बादल ने नई कवायद शुरू की है। जिसके तहत हरमीत सिंह संधू को विधानसभा हलका खडूर साहिब का रुख करने को कहा गया है। गौर हो कि नई हलकाबंदी के दौरान तरनतारन हलके के काफी गांव खडूर साहिब में चले गए थे। जिस कारण संधू को खडूर साहिब में सेटल किया जा रहा है। रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा के अलग होने से खडूर साहिब हलका कदवार नेता से खाली था। संधू की जगह तरनतारन हलके की जिम्मेदारी युवा नेता अवन कुमार सोनू चीमा को सौंपने के लिए आदेश प्रताप सिंह कैरों भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। वर्षो तक शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल व पूर्व मंत्री आदेश प्रताप सिंह कैरों के बीच छत्तीस का आंकड़ा रहा है। अब दोनों नेताओं में हुई सुलह के दौरान कैरों ने अपने करीबी सोनू चीमा के लिए सियासी जमीन की मांग रखी थी। अपने जीजा कैरों को खुश करने लिए सुखबीर सिंह बादल ने सोनू चीमा को तरनतारन की बागडोर सौंपने का इशारा किया है। सोनू चीमा को तरनतारन लाकर भाजपा के साथ शिअद के बिगड़े संबंधों को सुधारने का मौका भी हाथ लगा है। कई दिनों से खडूर साहिब की कमांन संभाल रहे पूर्व सीपीएस हरमीत सिंह संधू से जब संपर्क किया तो उन्होंने इस बाबत कुछ भी कहने से मना कर दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मेरी ड्यूटी खडूर साहिब में लगी है। खूनी झड़प के बाद नहीं मिले दिल

2008 में दोबुर्जी में शिअद भाजपा के बीच खूनी झड़प हुई थी। शिअद की अगुवाई हलका विधायक हरमीत सिंह संधू व भाजपा की अगुवाई अनिल जोशी द्वारा की जा रही थी। दोनों गुटों के खिलाफ आपसी तलख इतना बढ़ गया था कि नगर कौंसिल के चुनाव में भी दोनों पार्टिया गठजोड़ की मर्यादा भूलकर आमने-सामने हो गए थे। इसी कारण विधानसभा हलका तरनतारन में शिअद भाजपा के बीच छत्तीस का आंकड़ा रहा है। कांग्रेस की ओर से जीता जिला परिषद चुनाव

चीमा बंधुओं की जोड़ी ने 2012 में हरमीत सिंह संधू का खुलकर विरोध किया था। इसके बावजूद संधू विधायक का चुनाव जीत गए। चीमा बंधुओं की जोड़ी ने आदेश प्रताप सिंह कैरों का आशीर्वाद ले लिया। 2017 के चुनाव में चीमा बंधुओं ने कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ रहे डॉ. धर्मबीर अग्निहोत्री की मदद की। जिला परिषद के चुनाव में कांग्रेस की ओर से मनीश कुमार मोनू चीमा ने 13 हजार मतों से जीत दर्ज करवाई थी।


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