अस्पताल में पानी की दरकार, मरीज बेहाल
पूर्व मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह द्वारा 1973 में बनवाए गए अस्पताल का समय-समय पर विकास तो हुआ।
जागरण संवाददाता, तरनतारन : पूर्व मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह द्वारा 1973 में बनवाए गए अस्पताल का समय-समय पर विकास तो हुआ। परंतु मरीजों को पीने के पानी के लिए तरसना ही पड़ा। अस्पताल के मरीजों को गर्मी के मौसम में पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसना पड़ता है।
5 जनवरी 1973 को मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने तरनतारन को सिविल अस्पताल देते हुए इसका नींव पत्थर रखा था। 50 बेड वाले इस अस्पताल को इमरजेंसी सेवाओं से जोड़ने का फैसला 1990 में लिया गया। 26 अक्टूबर 1990 को प्रदेश के राज्यपाल के उच्च सलाहकार पीके कठपालिया ने अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड का नींव पत्थर रखा। 14 फरवरी 1994 को सेहत मंत्री हरचरन सिंह बराड़ द्वारा उक्त वार्ड का उद्घाटन किया गया। 50 बेड वाले इस अस्पताल को 9 जुलाई 2013 को 100 बेड में तबदील किया गया। साढे़ 8 करोड़ की लागत से बने अस्पताल के नए भवन का उद्घाटन करते सेहत मंत्री मदन मोहन मित्तल ने कई वादे किए। परंतु यह वादे पूरे नहीं हो पाए। 2006 में तरनतारन को जिला बनाया गया था। परंतु सेहत सेवाओं की यहां कमी ही रही। सीटी सकैन सेंटर, वेंटीलेटर, आइसीयू की सुविधाएं अभी तक नहीं मिल पाई। 50 से 100 बेड में तबदील हुए अस्पताल में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं की गई। इमरजेंसी वार्ड के बाहर लगा हैंडपंप 4 वर्ष से बंद है। हैंडपंप की जगह समाजसेवी द्वारा वाटर कूलर लगाया गया था। जो डेढ वर्ष से बंद है। अस्पताल की जनरल वार्ड में वाटर कूलर 1 वर्ष से खराब पड़ा है। अस्पताल के मरीजों की प्यास मिटाने के लिए बाजार से पानी की बोतल खरीदनी पड़ती है। अस्पताल के अंदर लगाए जाते हैं वाहन
जनरल वार्ड में रात के समय स्कूटर, मोटरसाइकिल कौन पार्क करता है। इसका जवाब सेहत विभाग के पास नहीं है। कई बार अस्पताल का स्टाफ अपने वाहन पार्क कर देता है। इनको देखकर मरीजों के परिजन भी अपने वाहनों को अस्पताल के अंदर ले जाते हैं। जो नियमों के खिलाफ है। इस बाबत सेहत विभाग के डायरेक्टर द्वारा पत्र भी जारी किया गया था। परंतु नतीजा कोई नहीं निकला। तुरंत किया जाए पानी का प्रंबंध
क्राइम इंवेस्टीगेशन एजेंसी के जिला अध्यक्ष सरबजीत सिंह मुरादपुरा, निशान सिंह, जोगिंदर सिंह, तरसेम सिंह, रछपाल सिंह, सेवा सिंह, जगनूर सिंह ने बताया कि में पीने के पानी की कमी को दूर नहीं किया जा रहा। खराब पड़े वाटर कूलरों की मरम्मत करवाने की जिम्मेदारी भी नहीं निभाई जा रही। सेहत विभाग को चाहिए कि मरीजों व उनके परिजनों की सुध लेते हुए पानी की व्यवस्था करवाई जाए। नए लगाए जाएंगे वाटर कूलर
एसएमओ डॉ. रोहित मेहता कहते हैं कि पेयजल की अस्पताल में कोई कमी नहीं है। जो वाटर कूलर खराब पड़े है उनकी मरम्मत करवाने के लिए कहा गया है। अस्पताल के प्रत्येक वार्ड में पानी का प्रबंध है। गर्मी के मौसम में पानी की अधिक जरूरत होती है। इसके लिए ओर बंदोबस्त किए जाएंगे। डॉ. मेहता ने कहा कि अस्पताल में मरीजों को बेहतर सुविधाएं दी जाती हैं। जिसके चलते यहां रोजाना मरीजों की रजिस्ट्रेशन 400 से अधिक होती है।