मिट्टी वाले दीये जलेंगे अबकी बार दीवाली में
तरनतारन : चाइनीज लड़ियों को छोड़ लोग दीपावली पर रौशनी लाने लिए मिट्टी के दीये के प्रयोग करने का फैसला लिया गया। अबकी दीवाली मिट्टी के दियों का क्रेज बढ़ने से दीया बनाने के काम में जुटे आधा दर्जन से अधिक परिवारों के चेहरे खिले हुए हैं। इन परिवारों का कहना है कि मिट्टी के बर्तन बनाना इनका पुश्तैनी काम है।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : चाइनीज लड़ियों को छोड़ लोग दीपावली पर रौशनी लाने लिए मिट्टी के दीये के प्रयोग करने का फैसला लिया गया। अबकी दीवाली मिट्टी के दियों का क्रेज बढ़ने से दीया बनाने के काम में जुटे आधा दर्जन से अधिक परिवारों के चेहरे खिले हुए हैं। इन परिवारों का कहना है कि मिट्टी के बर्तन बनाना इनका पुश्तैनी काम है।
सरहाली रोड रेलवे फाटक के पार यह परिवार वर्षो से अपना जीवन बसर कर रहे है। वर्षो से मिट्टी के बर्तन बनाने वाले इन परिवारों का कहना है कि उन्हें मिट्टी के दीये तैयार करने के आर्डर मिले हैं। कारीगर किशन कुमार ने दैनिक जागरण को बताया कि उसके पिता जीया राम भी मिट्टी के बर्तन बनाते थे। अब जीया राम की तीसरी पीढ़ी माटी से माटी मिलती आ रही है। किशन कुमार की पत्नी अंगूरी कहती हैं कि उसकी पुत्र वधू भी मिट्टी के दीये तैयार करती है। इस परिवार को जालंधर, लुधियाना, चंडीगड़ जैसे शहरों से मिट्टी के दीये बनाने का आर्डर मिला है। एक दिन में 5 हजार दीये तैयार करने वाले परिवार के सदस्यों सतपाल, रवि, पूनम, लक्की, गीता, हर्ष और इशिका ने बताया कि गांव बंगालीपुर की मिट्टी दीयो को भा रही है। एक दिन में 4 से 6 ठेले मिट्टी के मंगवाते है। सुबह 6 बजे से लेकर रात 10 बजे तक दीये बनाने का काम करते हैं। उनका कहना है कि इस बार मिट्टी के दीयों की हरियाणा से भी डिमांड आई है।
एक से 25 रुपये तक का दीया
सबसे छोटा दीया इस बार दीवाली पर 1 रुपये में बिकेगा। जबकि सबसे बड़ा दीया 25 रुपये में बिकेगा। महंगी हो रही मिट्टी के साथ दीयों को पकाने की नई विधि को इस बार प्रयोग किया जा रहा है। दीयों को पक्का करने लिए अब उपलों का प्रयोग कम हो रहा है। किशन कुमार बताते हैं कि नई तकनीक से दीये पकाने लिए भट्ठी पर 25 हजार रुपये पर शीशेनुमा पदार्थ मिलता है। जिसका एक हिस्सा पूरी तरह से ठंडा होता है और भट्ठी के अंदर वाला हिस्सा आग की तरह गर्म होता है।