जानिए, नवाज शरीफ की हार पर भारत के इस गांव में क्यों छाई है उदासी
पाकिस्तान चुनाव में शरीफ की पार्टी के दूसरे स्थान पर खिसकने से उनके भारत स्थित पैतृक गांव के लोग निराश हैं। गांव में नवाज का बचपन बीता है और उनके दादा की यहां दरगाह है।
तरनतारन [धर्मबीर सिंह मल्हार]। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली यानी संसदीय चुनाव के नतीजों में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन के सत्ता से दूर रह जाने पर गांव जाती उमरा की गलियां उदास हैं। इस गांव में नवाज शरीफ का बचपन बीता है और उनके दादा की यहां कब्र है।
नवाज बेशक बेटी के साथ भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में हैं, लेकिन यहां के लोगों का उनके प्रति लगाव पहले जैसा ही है। उनकी पार्टी को बहुमत न मिलने पर गांव के लोग निराश जरूर हैं, लेकिन नाउम्मीद नहीं हैं। उनका मानना है कि आज नहीं तो कल नवाज की शराफत चमकेगी। हालांकि, इससे पहले बुधवार को गांव के लोग पीएमएल-एन की जीत के लिए दिनभर दुआ करते रहे थे।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के आशीर्वाद से टलते रहे शरीफ के सियासी संकट
पाकिस्तान चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद वीरवार को गांव जाती उमरा के गुरुद्वारा साहिब में शरीफ परिवार की खुशहाली के लिए अरदास हुई। यह वही गुरुद्वारा साहिब है, जहां किसी जमाने में नवाज शरीफ के बुजुर्गों की हवेली हुआ करती थी। गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथी ज्ञानी इंद्रजीत सिंह ने बताया कि नवाज शरीफ पर पहले भी कई सियासी संकट आए हैं। वे संकट श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के आशीर्वाद से टलते रहे।
नवाज शरीफ के दादा की दरगाह।
गांव के सरपंच दिलबाग सिंह कहते हैं कि 1नवाज शरीफ के छोटे भाई मुहम्मद शाहबाज शरीफ जब अपने पुश्तैनी गांव जाति उमरा आए थे तो तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने गांव को ग्रांट दी थी। उन्होंने बताया कि जब पाकिस्तान में तख्ता पलट हुआ था तो नवाज शरीफ को फांसी होने का डर था। ग्रामीणों की अरदास के कारण उनका बाल भी बांका नहीं हुआ था।
नवाज पूरी तरह शरीफ
1200 की आबादी वाले गांव के बुजुर्ग चौकीदार हरबंस सिंह बंसा व उनकी पत्नी सरवण कौर ने नवाज शरीफ परिवार की पुश्तैनी जानकारीे वाले उर्दू में लिखित पन्ने दिखाए। इस बुजुर्ग दंपती का दावा है कि नवाज पूरी तरह शरीफ हैं और उन्होंने अपने देश के साथ न तो कोई धोखा किया, न ही भ्रष्टाचार किया है।
नवाज शरीफ की पार्टी की हार की खबर सुनकर उदास गांव के लोग।
नवाज के परिवार की मांगते हैैं खैरियत
बुजुर्ग जोगिंदर सिंह, ज्ञान कौर व जगीर सिंह कहते हैं कि गांव जाती उमरा का एक-एक सदस्य नवाज शरीफ के परिवार की खैरियत मांगता है। नवाज शरीफ ने जाती उमरा गांव से संबंधित डेढ़ दर्जन परिवारों को दोहा कतर में रोजगार दिया है। गांव की बचन कौर, राज कौर, चंद कौर व गुलशन कहती हैं कि पाकिस्तान के आम चुनाव में धांधली हुई है। कई लोगों को बम धमाकों में मार दिया गया। यह सारा कुछ पीएमएल-एन को सत्ता से दूर करने के लिए किया गया है।
शरीफ के दादा की कब्र भी है गांव में
नवाज शरीफ के दादा मुहम्मद बख्श की कब्र इसी गांव के श्मशानघाट में है। नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ अपने परिवार समेत भारत आए थे तो उन्होंने कब्र पर चादर चढ़ाई थी। गांव के लोगों के मुताबिक नवाज शरीफ 1982 में यहां आए थे।