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पाकिस्‍तान तस्करों के लिए मुफीद बना पंजाब का सीमावर्ती अमरकोट सेक्टर, बार-बार घुसपैठ

पंजाब का सीमावर्ती अमरकोट सेक्‍टर पाकिस्‍तानी तस्‍करों व घुसपैठियों के लिए मफीद बन गया है। यहां से पाकिस्‍तानी घुसपैठिये पंजाब में लगातार घुस रहे हैंं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 24 Aug 2020 08:28 AM (IST)Updated: Mon, 24 Aug 2020 10:49 AM (IST)
पाकिस्‍तान तस्करों के लिए मुफीद बना पंजाब का सीमावर्ती अमरकोट सेक्टर, बार-बार घुसपैठ
पाकिस्‍तान तस्करों के लिए मुफीद बना पंजाब का सीमावर्ती अमरकोट सेक्टर, बार-बार घुसपैठ

धर्मबीर सिंह मल्हार, सीमा क्षेत्र अमरकोट (तरनतारन)। पंजाब का सीमा क्षेत्र अमरकोट सेक्‍टर पाकिस्‍तानी तस्‍करों और घुसपैठियों के लिए बेहद मुफीद बन गया है। यहां से पाकिस्‍तान की ओर से लगातार घुसपैठ होती रही है। इस क्षेत्र से होकर पाकिस्तान की ओर से हथियार, हेरोइन व जाली करंसी भारतीय सीमा में भेजने का सिलसिला जारी है। तरनतारन के अमरकोट सेक्टर में दो दिन पहले पांच पाकिस्तानी घुसपैठियों को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा मार गिराए जाने के बाद बड़े खुलासे हुए हैं। ये घुसपैठिये अपने साथ बड़ी मात्रा में हथियार व हेरोइन ला रहे थे। नशा व हथियार तस्‍कर पंजाब में बड़ी चुनौती बन गए हैं। इनके तार खालिस्‍तानी आतंकियों से जुड़े हुए हैं। 

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पिछले साल यहीं से ड्रोन के जरिए भेजी थी हथियारों व हेरोइन की खेप

इसी सेक्टर से पिछले साल पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने ड्रोन के जरिए हथियार और हेरोइन भेजी थी। बॉर्डर पर कंटीली तार लगने से पहले घोड़ों के माध्यम से सोने के बिस्कुट और अफीम की तस्करी के लिए भी इसी सेक्टर का इस्तेमाल किया जाता था। इसके बाद धीरे-धीरे आतंकवाद को बढ़ावा देने लिए पड़ोसी मुल्क ने हथियार भेजना शुरू कर दिए। इस सेक्टर से मात्र 1.5 किलोमीटर चलने के बाद ही भारतीय सीमा में पहुंचा जा सकता है। इसलिए एक बार फिर पाक की नजरें अमरकोट सेक्टर पर टिक गई हैं।

कड़ी सुरक्षा के बावजूद भारतीय क्षेत्र में पहुंच जाती है सप्लाई

पंजाब के जिला फाजिल्का, फिरोजपुर, पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर व तरनतारन का 530 किलोमीटर का क्षेत्र कंटीली तार के अधीन आता है, जबकि 220 गांवों की 21,300 एकड़ जमीन तार वाले क्षेत्र में आती है। तरनतारन की 87 किलोमीटर सीमा पाकिस्तान से सटी है।

पंजाब में जब आतंकवाद चरम पर था तो बॉर्डर पर कंटीली तार लगाई गई थी। यह काम 1989-90 में मुकम्मल हुआ। प्रदेश में आतंकवाद तो खत्म हो गया, लेकिन नशे और जाली करंसी की स्मगलिंग चलती रही। इस क्षेत्र को आइएसआइ भी सेफ जोन मान कर  यहां से तस्करी को बढ़ावा दे रही है।

पाक के क्षेत्र में नहीं होता मजबूत पहरा

1990 में जब कंटीली तार लगी तो जीरो लाइन के पार वाली भारतीय क्षेत्र की उपजाऊ जमीन पर खेती करने वाले किसानों पर कड़ा पहरा बिठा दिया गया। कुछ किसानों ने खेती के बहाने पड़ोसी मुल्क से मिलकर नशीले पदार्थ, जाली करंसी और हथियारों की स्मगलिंग शुरू कर दी। जीरो लाइन पर (भारतीय क्षेत्र में) 11 फुट का रास्ता गश्त के लिए रखा गया है। इसके साथ आने वाले खेतों में धान व गेहूं की खेती होती है। भारतीय क्षेत्र में बीएसएफ का कड़ा पहरा होता है, लेकिन पाक क्षेत्र में ऐसी व्यवस्था नहीं है।

ये गांव सटे हैं सीमा से

सेक्टर खेमकरण से शुरू होती भारतीय सीमा पर पहला गांव गजल है। इसके बाद गांव रामूवाला, रत्तोके, माछीके, महंदीपुर, मीयांवाल, खेमकरण, कलस, मस्तगढ़, नौ दूहल, नूरवाला, कालिया, सकतरां, ठट्ठी, जैमल सिंह वाला, पलोअ पत्ती, राजोके, डल, वां, वां तारा सिंह, खालड़ा, नारली, बिधी चंद छीना, हवेलियां, नौशहरा ढाला, राजाताल, मुहावा, अटारी व धनोवा गांव आते हैं।

इसलिए अमरकोट से ज्यादा तस्करी

गुरदासपुर से शुरू होते कसूर नाले का एक किनारा तरनतारन के गांव डल के साथ लगता है। यहां से पाकिस्तान से महज डेढ़ किलोमीटर का सफर तय करके जीरो लाइन तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। कसूर नाले के किनारे (पाक क्षेत्र में) उगी ऊंची घास का फायदा उठाकर तस्कर आसानी से भारतीय सीमा में घुस आते हैं।

चौकसी में नहीं कोई ढील

बीएसएफ के आइजी महीपाल यादव का कहना है कि सीमा पर 24 घंटे बीएसएफ का सख्त पहरा होता है। यहां पर रात के समय नाइट विजन कैमरों का प्रयोग किया जाता है। पाक के मंसूबों को किसी कीमत पर सफल नहीं होने दिया जाएगा। चौकसी में कोई ढील नहीं है।


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