नवाज के पैतृक गांव में शरीफ के लिए अखंड पाठ, मुशर्रफ की सजा-ए-मौत पर बोले- तानाशाह का यही अंजाम
नवाज शरीफ के पुश्तैनी गांव जाति उमरा के लोगों ने मुशर्रफ की फांसी की सजा को सही फैसला बताया। कहा भारत पर कारगिल की जंग थोपने के पीछे मुशर्रफ का ही हाथ था।
गांव जाति उमरा [धर्मबीर सिंह मल्हार]। देशद्रोह के मामले में पाकिस्तान के पूर्व जनरल परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा का तरनतारन केे गांव जाति उमरा के लोगों ने समर्थन किया है। खास बात यह है कि यह गांव पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का पुश्तैनी गांव है। यहां के लोगों का कहना है कि तानाशाह का यही अंजाम होना चाहिए।
1999 में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर देशद्रोह का मामला दर्ज कर मुशर्रफ ने उन्हें देश निकाला दिया था। इसके बाद नवाज ने सऊदी अरब में शरण ली थी। मुशर्रफ ने तख्तापलट कर पाक की सत्ता अपने हाथ ले ली थी। तब अगर देशद्रोह के मामले में नवाज शरीफ दोषी पाए जाते, तो उनको फांसी की सजा तय थी। उस समय गांव जाति उमरा के लोगों ने गुरुद्वारा साहिब में श्री अखंड पाठ साहिब करके शरीफ की लंबी आयु की अरदास की थी। नवाज शरीफ के बीमार होने पर भी लोगों ने शरीफ की लंबी आयु की प्रार्थना की थी। लोगों का कहना है कि हमारे गांव से जुड़े नवाज शरीफ की सरकार को बर्खास्त करने, पाक से सर्वोच्च न्यायालय के शीर्ष न्यायाधीशों को जेल में डालने वाले तानाशाह को ऐसी ही सजा मिलनी चाहिए थी।
जाति उमरा में गुजरा था नवाज का बचपन
विधानसभा हलका बाबा बकाला में स्थित गांव जाति उमरा की आबादी 700 के करीब है। यहां वोटरों की संख्या 514 है। इस गांव की गलियों में नवाज शरीफ बचपन में खेलते-कूदते रहे हैं। उनके परिवार की हवेली में अब गुरुद्वारा साहिब है। गांव के सरपंच जसपाल सिंह ने कहा कि परवेज मुशर्रफ को यहां कारगिल युद्ध का खलनायक माना जाता है।
लोगों के लिए ऐतिहासिक दिन
पूर्व सरपंच दिलबाग सिंह, जसबीर सिंह, बलजीत सिंह, बीरा सिंह ने बताया कि जिस तरह नवाज शरीफ को देशद्रोही करार दिया था, आज उसी हाल से परवेज मुशर्रफ को गुजरना पड़ रहा है। गांव के लोग इस फैसले के समर्थन में हैं। नंबरदार बंसा सिंह, स्वर्ण सिंह, शुबेग सिंह ने कहा कि गांव के लोगों को वाहेगुरु पर भरोसा था कि देशद्रोह के मामले मुशर्रफ को फांसी की सजा होगी। आज का दिन यहां के लोगों के लिए ऐतिहासिक है। पूर्व सैनिक गुरपाल सिंह ने कहा कि भारत पर कारगिल की जंग थोपने के पीछे परवेज मुशर्रफ का ही हाथ था। उस समय मैं कारगिल की चोटियों लड़ रहा था। अब मैं मुशर्रफ को सजा-ए-मौत की खबर से खुश हूं।
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