पीसीएस अधिकारी पर लगे आरोपों की जांच करेगा परसोनल विभाग
पीसीएस अधिकारी पर लगे आरोपों की जांच करेगा परसोनल विभाग।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : शिअद-भाजपा गठबंधन की पूर्व सरकार के कार्यकाल दौरान बोहड़ी चौक में शॉपिंग कांप्लेक्स बनाने के लिए नगर सुधार ट्रस्ट की ओर से सात कनाल पांच मरले 72 फुट जमीन एक्वायर की थी। तत्कालीन सरकार ने इंतकाल के आधार पर जमीन के मालिकों को करीब पौने दो करोड़ रुपये की राशि अदा कर दी गई, जबकि यह जमीन पहले ही सरकारी थी। इसके बारे में राज्य सरकार ने पीसीएस अधिकारी के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के परसोनल विभाग को जांच करने के आदेश दिए हैं। विभाग ने इसके बारे में बकायदा शिकायतकर्ता से दो सप्ताह के भीतर हलफिया ब्यान मांगा है। यह मामला दैनिक जागरण ने एक दिसंबर को प्रमुखता से उठाया गया था।
2012 में शॉपिंग कांप्लेक्स बनाने की कार्रवाई हुई थी शुरू
बोहड़ी चौक स्थित पंजाब रोडवेज की पुरानी वर्कशॉप वाली सात कनाल, 5 मरले 72 फीट जमीन पर नगर सुधार ट्रस्ट ने 2012-13 में शॉपिंग कांप्लेक्स बनाने लिए कार्रवाई शुरू की थी। जिसके बाद यह सामने आया कि उक्त जमीन की मालिक प्रकाश कौर नामक महिला है। प्रकाश कौर की मौत के बाद उक्त जमीन पर उसकी तीन लड़कियों ने मालिकाना हक जताया था। हालांकि 12 जून 1952 को प्रदेश सरकार ने नोटिफिकेशन नंबर-2571 जारी कर उक्त जमीन एक्वायर करके वहां पर बस अड्डा बनाया था, जिसका बकायदा रोडवेज के नाम पर इंतकाल भी हुआ। उस समय सरकार ने उक्त जमीन प्रकाश कौर नामक महिला से करीब दस हजार रुपये में खरीदी थी। नियमों की मनाने तो जमीन एक्वायर करने के लिए नोटिफिकेशन-4 (कार्रवाई शुरू करने का) और नोटिफिकेशन-6 (फाइनल कार्रवाई का) करना होता है। यहां पर वर्षो तक पंजाब रोडवेज का डिपो भी चलता रहा है। इस दौरान राजस्व विभाग ने जब रिकॉर्ड जांचा तो प्रकाश कौर की मृत्यु हो चुकी थी, जिसके बाद महिला की तीनों लड़कियों ने अपनी मालिकी का दावा किया गया। इंतकाल के आधार पर उक्त लड़कियों के नाम पर करीब पौने दो करोड़ रुपये जारी किए गए, परंतु राजस्व विभाग द्वारा जमीन के इंतकाल के मामले की जांच किए बिना ही उक्त राशि जारी कर दी गई।
पैसे जारी करने के बाद मिला था जमीन का रिकॉर्ड
बता दें कि अधिकारी ने रिकॉर्ड में कमी के चलते रोडवेज का इंतकाल तोड़कर उक्त लड़कियों के नाम कर दिया गया था। इंतकाल के आधार पर जब पौने दो करोड़ रुपये की राशि का परिवारों ने लाभ ले लिया गया तो 12 जून 1952 को प्रकाश कौर से रोडवेज विभाग द्वारा खरीदी गई जमीन बाबत नोटिफिकेशन नंबर-6 मिल गया, जिससे पक्का हो गया कि जो सरकार ने जमीन एक्वायर करके पौने दो करोड़ की राशि जारी की है, वे जमीन सरकार की ही थी। ऐसे में किसी परिवार को राशि देने का सवाल ही पैदा नहीं होता था। हालांकि माल विभाग ने प्रकाश कौर की तीन लड़कियों के नाम पर चले आ रहे इंतकाल को तोड़कर रोडवेज के नाम पर किया जा चुका है।
आरटीआई कार्यकर्ता ने दी थी लिखित शिकायत
इस सारे मामले पर आरटीआइ कार्यकर्ता अवतार सिंह दयोल ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, विजिलेंस ब्यूरो के एडीजीपी, माल विभाग के मंत्री को लिखित शिकायत की।
विजिलेंस ने इस मामले की स्थानीय डीएसपी को जांच सौंप दी गई। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अवतार सिंह दयोल की शिकायत को गंभीरता से लेते जांच के आदेश दिए। जिसके दौरान परसोनल विभाग नेअवतार सिंह दयोल को पत्र लिखकर दो सप्ताह में हलफिया बयान भेजने के आदेश दिए।
सरकार के पैसे बचाने लिए लड़ रहा हूं लड़ाई
अवतार सिंह देओल ने बताया कि एसडीएम स्तर के अधिकारी इशारे पर पौने दो करोड़ की सरकारी खजाने में जमा राशि जारी करवा दी गई, जो राजस्व विभाग में अपने आप ही घोटाला है, क्योंकि एसडीएम ने इंतकाल का केवल फैसला लेना होता है। पैसे रिलीज करवाने में कोई दखल नहीं होता। एसडीएम के उक्त फैसले खिलाफ अपील दायर करने का अधिकार होता है, मैंने जालंधर डिवीजन के कमिश्नर समक्ष गुहार लगाते एसडीएम के फैसले खिलाफ बकायदा अपील भी दायर करवाई है। देओल ने कहा कि सरकार का पैसा बचाने लिए मैं उक्त लड़ाई लड़ रहा हूं।