सरबजीत के हत्यारों को बरी करने पर बहन बोली- पाकिस्तान की सोच कभी नहीं बदल सकती
पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में भारत के सरबजीत सिंह की हत्या करने वाले दो कैदियों को बरी कर दिया गया है। इस पर सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने कड़ी प्रतिकिया जताई है।
तरनतारन, [धर्मबीर सिंह मल्हार]। पाकिस्तान की अदालत द्वारा सरबजीत सिंह के दो हत्यारों को बरी करने पर उसकी बहन दलबीर काैर और परिवार ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। सरबजीत की बहन दलबीर ने कहा कि पाकिस्तान की भारत के प्रति सोच कभी नहीं बदल सकती। पाकिस्तान ने सरबजीत के हत्यारों को पूरी साजिश के तहत बचाया और पूरा मामले में बस नाटक किया गया।
दलबीर कौर ने कहा, मैं वर्षों से शोर मचा रही थी कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के इरादे नापाक ही रहेंगे। पाकिस्तान में हमारे देश के खिलाफ जो जहर भरा है, वह सूखने वाला नहीं। भारत के प्रति पाकिस्तान की सोच कभी नहीं बदल सकती। सरबजीत के हत्यारों को बरी किया जाना इसकी ताजा मिसाल है।
उन्होंने कहा कि पहले मैं भारत की मनमोहन सिंह की सरकार समक्ष गुहार लगाती रही कि बेगुनाह सरबजीत सिंह को रिहा करवाने लिए प्रयत्न किए जाए, परंतु ऐसा नहीं हो पाया। सरबजीत की पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में साजिश के तहत हत्या की गई। इसके बाद पाक सरकार ने ड्रामा रचा और सरबजीत पर हमला करने वाले आमिर तांबा और मुद्दसर नामक दो कैदियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया, यह केवल धोखा था।
दलबीर कौर ने कहा कि शनिवार को अदालत ने दोनों हत्यारों को बरी किया है। देश और दुनिया जानती है कि पाकिस्तान के इरादे भारत प्रति नापाक ही रहे हैंं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर भरोसा करने से पहले देश वासियों को ये सोचना होगा कि शहीद सरबजीत सिंह के मामले पर इंसाफ क्यों नहीं किया गया।
दलबीर कौर ने कहा कि वह देश की मोदी सरकार को भी इस बात की गुहार लगाती रहीं कि शहीद सरबजीत सिंह के मामले पर पाकिस्तान पर दबाव बनाया जाए और इस मामले में उनके परिवार को बतौर गवाह शामिल करवाया जाए। क्योंकि 2008 में पाक की कोट लखपत जेल में शहीद सरबजीत सिंह को पूरा परिवार मिल चुका था, जबकि 2011 में मैंने सरबजीत सिंह के साथ मुलाकात की थी। इन दोनों मुलाकातों के दौरान सरबजीत सिंह की हालत क्या थी, इसके सुबूत अदालत में जरूर होने चाहिए थे, परंतु पाक ने अपने नापाक इरादे दिखाते वहीं किया जिसका डर था।
कब क्या हुआ..
- 28 अगस्त, 1990 को सीमा पार पाकिस्तान में सरबजीत सिंह गिरफ्तार। नौ महीने बाद उनके परिवार को एक पत्र प्राप्त हुआ, जिससे पता चला कि वह पाक जेल में बंद है।
- 1991, जासूसी और लाहौर व फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का आरोप लगाकर लाहौर की एक अदालत में मुकदमा चलाया गया। कोर्ट ने पाकिस्तान सैन्य कानून के तहत मौत की सजा सुनाई। बाद में इस सजा को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरकरार रखा गया।
- मार्च, 2006 में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने उनकी समीक्षा याचिका खारिज की।
- 3 मार्च, 2008 को तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने सरबजीत की दया याचिका को वापस कर दिया।
- अप्रैल, 2008 में परिजनों ने सरबजीत से लाहौर जेल में मुलाकात की।
- मई, 2008 में पाकिस्तान सरकार ने सरबजीत को फांसी दिए जाने पर अनिश्चितकालीन रोक लगाई।
- 26 जून, 2012 को यह खबर आईं कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सरबजीत की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। आमतौर पर पाकिस्तान में उम्रकैद की सजा 14 साल के लिए होती है और सरबजीत पहले ही 22 साल सजा काट चुके थे, लिहाजा बाद में पाकिस्तान ने ऐसी किसी सूचना से इंकार किया।
- 26 अप्रैल, 2013 को सरबजीत जेल में अन्य कैदियों के हमले में गंभीर रूप से घायल हुए।
- 29 अप्रैल 2013 को भारत ने पकिस्तान को सरबजीत सिंह को रिहा करने की अपील भी की लेकिन भारत की इस अपील को पकिस्तान सरकार ने खारिज कर दिया।
- 1 मई 2013 को जिन्नाह हॉस्पिटल के डॉक्टरो ने सरबजीत सिंह को ब्रेनडेड घोषित किया लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों ने इसे मानने से इंकार कर दिया।
- 02 मई, 2013 को करीब 1.30 (रात) को सरबजीत का निधन हो गया।
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