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पर्यावरण संरक्षण के लिए प्राकृतिक खेती फार्मिग का फार्मूला अपनाया

एडवोकेट नवजोत कौर चब्बा ने 2017 में सोसायटी फॉर वूमेन एम्पॉवरमेंट ग्रीन कॉज (स्वैग) का गठन किया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 11:22 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 06:15 AM (IST)
पर्यावरण संरक्षण के लिए प्राकृतिक खेती फार्मिग का फार्मूला अपनाया
पर्यावरण संरक्षण के लिए प्राकृतिक खेती फार्मिग का फार्मूला अपनाया

तरनतारन : सामाजिक जिम्मेदारी निभाने का जज्बा लेकर समाज सेवा से जुड़ी एडवोकेट नवजोत कौर चब्बा ने 2017 में सोसायटी फॉर वूमेन एम्पॉवरमेंट ग्रीन कॉज (स्वैग) का गठन किया। आज यह संस्था प्राकृतिक खेती फार्मिग का फार्मूला अपनाकर पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधे तैयार कर रही है। रसोई के कचरे से खाद तैयार करने के लिए एडवोकेट चब्बा का परिवार पूरी तरह से समर्पित है। यहां नर्सरी में तैयार होने वाले पौधे पगडंडी के रास्तों से लेकर आलीशान कोठियों के आंगन की शोभा बढ़ा रहे हैं।

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क्या है लक्ष्य

एडवोकेट नवजोत कौर चब्बा कहती हैं कि भगत पूरन सिंह पिंगलवाड़ा चेरिटेबल सोसायटी द्वारा तैयार की गई प्राकृतिक खेती फार्मिग से जुड़कर वह किताबचे के माध्यम से खेती विरासत मंच तक पहुंची है। लोगों को इस फार्मूले के साथ जोड़ना ही उनका लक्ष्य है। क्या है संकल्प

सामाजिक बदलाव के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा। आज भी लोगों को स्वच्छ पेयजल, हवा व पर्यावरण नहीं मिल रहा, जो उनका मौलिक अधिकार है। लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करना। जो लोग अपना केस लेकर उनके पास आते हैं, उन्हें भी वह पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिला रही हैं।

क्या है एजेंडा

किचन में खाना तैयार करते बचने वाली वेस्टेज से आर्गेनिक खाद तैयार करना। सब्जियों व फलों के छिलके और बीज के अलावा प्रयोग की गई चाय पत्ती को धोकर घर में बनाए बिन में डाला जाता है। हर दूसरे दिन मिट्टी की हलकी परत बनाई जाती है। एक माह में आर्गेनिक खाद तैयार हो जाती, उसका सब्जियों, फलों व फूलों की खेती में इस्तेमाल किया जाता है।

क्या है प्लान

एडवोकेट चब्बा कहती हैं कि जीव अमृत तैयार करने के लिए गोमूत्र, गोबर, नीम की खल, दाल का आटा और बेसन का मिश्रण बनाने में आठ से दस दिन का समय लगता है। इस मिश्रण का हरी सब्जियों की खेती में प्रयोग करके सब्जियों की ग्रोथ बढ़ाना।


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