गुरु गोबिंद सिंह खालसा कॉलेज सरहाली की मैनेजमेंट भंग, एडीसी को बनाया प्रबंधक
गुरु गोबिंद सिंह खालसा कॉलेज सरहाली की मैनेजमेंट को सरकार ने भंग कर दिया है। साथ ही जिले के एडीसी जगविंदरजीत सिंह को कॉलेज मैनेजमेंट कमेटी का प्रबंधक नियुक्त कर दिया है।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन
गुरु गोबिंद सिंह खालसा कॉलेज सरहाली की मैनेजमेंट को सरकार ने भंग कर दिया है। साथ ही जिले के एडीसी जगविंदरजीत सिंह को कॉलेज मैनेजमेंट कमेटी का प्रबंधक नियुक्त कर दिया है। उन्होंने बकायदा अपना चार्ज संभाल लिया है। सरकार द्वारा जारी की जाती ग्रांटों पर अब मुकम्मल तौर पर रोक रहेगी।
क्षेत्र की पुरानी नामवर संस्था के तौर पर जाने जाते गुरु गोबिंद सिंह खालसा कॉलेज, सरहाली कलां को सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के तहत 95 प्रतिशत ग्रांट दी जाती थी, जबकि पांच प्रतिशत ग्रांट कॉलेज मैनेजमेंट द्वारा खर्च करनी होती थी। कॉलेज मैनेजमेंट के अध्यक्ष बाबा हाकम सिंह की अगुवाई में चलाई जा रही कमेटी की कथित मनमानी से तंग आए स्टाफ ने डीपीआइ को शिकायत भेजकर आरोप लगाया था कि उन्हें लंबे समय से वेतन नहीं दिया जाता। सरकार द्वारा जारी की जाती ग्रांटों का मनमर्जी से दुरुपयोग किया जाता है। कॉलेज में तैनात डॉ. परमजीत मिश्रा ने बताया कि ग्रांट इन एड से संबंधित आठ कर्मचारियों को 23 माह से वेतन नहीं दिया गया। मैनेजमेंट पोस्टों का काम करने वाले करीब दस कर्मचारियों को 15 माह से वेतन नहीं दिया गया।
मिश्रा ने बताया कि वह मैनेजमेंट की कथित मनमानी के विरुद्ध आवाज उठा रहे थे, जिसके चलते उनको मैनेजमेंट द्वारा लगातार परेशान किया जाता रहा है। वर्ष 2019 में उन्होंने मैनेजमेंट कमेटियों की मनमानियों खिलाफ डीपीआइ को शिकायत भेजी थी। इसकी जांच दौरान फंडों का दुरुपयोग पाया गया था। इस दौरान कॉलेज मैनेजमेंट के अध्यक्ष बाबा हाकम सिंह ने नियमों के विपरीत जाते हुए अपने बेटे को कॉलेज का डायरेक्टर बना दिया। जनवरी माह में डीपीआइ की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने उक्त कॉलेज की प्रबंधक कमेटी पर रोक लगाते एडीसी (जनरल) को कमेटी का चार्ज सौंप दिया, परंतु मैनेजमेंट कमेटी द्वारा सरकार के फैसले को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि जांच करते समय मैनेजमेंट कमेटी को शामिल नहीं किया गया। हाई कोर्ट के आदेश पर कॉलेज की पुरानी कमेटी दोबारा बहाल हो गई थी। अदालत का आदेश मानते हुए सरकार ने जांच में शामिल होने के लिए कॉलेज कमेटी को 15, 22 और 29 मई को अपना पक्ष रखने लिए तीन अवसर दिए, परंतु कॉलेज कमेटी के अध्यक्ष बाबा हाकम सिंह व प्रिंसिपल ने जूम वीडियो कांफ्रेंस में भाग नहीं लिया और न ही पक्ष रखा। इसके आधार पर शिक्षा विभाग के चीफ सचिव राहुल भंडारी द्वारा पत्र जारी करते हुए कॉलेज मैनेजमेंट कमेटी को भंग कर दिया गया। एडीसी (जनरल) जगविंदरजीत सिंह ने बताया कि सरकार के आदेश पर उन्होंने बकायदा कमेटी का प्रबंध संभाल लिया है। मनमानी कारण कम हुई छात्रों की संख्या: मिश्रा
डॉ. परमजीत मिश्रा ने बताया कि 50 वर्ष पुराने कॉलेज में पहले 2300 छात्र होते थे, परंतु मैनेजमेंट की मनमानी के कारण अब केवल 450 छात्र ही बाकी बचे हैं। मैनेजमेंट द्वारा फीसों में लगातार बढ़ॉतरी की जाती है। 2011 के बाद मैनेजमेंट कमेटी द्वारा प्रिंसिपल की नियुक्ति नहीं की गई। केवल कार्यकारी प्रिंसिपल लगाकर ही काम चलाया गया। कार्यकारी प्रिंसिपल भी समय-समय पर बदल दिए जाते।
नहीं मिली अभी जानकारी : बाबा हाकम सिंह
मैनेजमेंट के अध्यक्ष बाबा हाकम सिंह ने कहा कि कॉलेज में कोई भी मनमर्जी नहीं की जाती। यह संस्था वर्षो से शिक्षा के क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाते अच्छे प्रबंध दे रही है। बिना वजह कॉलेज के प्रबंधों में दखल दिया जा रहा है। डीपीआइ द्वारा दी गई जांच रिपोर्ट के आधार पर मैनजमेंट कमेटी भंग करने की अभी कोई लिखित जानकारी नहीं मिली।