वतन पर मिटने वालों का क्या यहीं सम्मान होगा
साल 1999 में कारगिल की जंग के दौरान शहीद होने वाले सैनिकों की सूची बहुत लंबी है।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : साल 1999 में कारगिल की जंग के दौरान शहीद होने वाले सैनिकों की सूची बहुत लंबी है। शहीदों को सम्मान देने के लिए पेरेंट्स एसोसिएशन एवं विकास मंच (पंजाब) द्वारा अमृतसर बाइपास के किनारे शहीदों की तस्वीरों वाला फ्रेम लगाकर बस स्टॉप बनाया गया था। जिसको बाद में कारगिल शहीद चौक का नाम दिया गया, लेकिन जहा पर साफ-सफाई की हालत बद से बदतर है।
कारगिल शहीदों की इस यादगार का उद्घाटन 24 नवंबर 2000 को तत्कालीन सहकारिता मंत्री रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने किया था। यह यादगार पेरेट्स एसोसिएशन एवं विकास मंच द्वारा जब बनवाई गई थी तो उम्मीद थी कि इस यादगार को बेहतर बनाने के लिए समय की सरकारें व प्रशासन उनका साथ देगा। परंतु 20 वर्ष गुजर जाने के बावजूद यादगार की तस्वीर नहीं बदल पाई। यादगार के आसपास कूड़ा व गंदगी का जमावड़ा होता है। बस स्टॉप के कोने में लगाया गया हैंड पंप वर्षो से खराब है। यहां पर बिजली की भी कोई व्यवस्था नहीं है। इस चौक में रोजाना बहुत सारे लोग आकर रुकते हैं। शहर से गुजरने वाले लंबे रूट की प्रत्येक बस इस चौक से रुक ती है। साल में एक दिन नसीब होती है फूल-मालाएं
26 जुलाई को विजय दिवस के मौके विकास मंच द्वारा सादगी भरा कार्यक्रम करवाया जाता है। जिसमें पूर्व सैनिक एसोसिएशन द्वारा कारगिल शहीदों को सामूहिक तौर पर श्रद्धासुमन अर्पित किए जाते है। विकास मंच अध्यक्ष डॉ. कश्मीर सिंह सोहल कहते है कि प्रशासन ने इस यादगार का विकास करने की बजाय इसे तोड़ने का कई बार प्रयास किया है, लेकिन पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा लिए गए स्टैंड के चलते यह यादगार बाकी है। इसी रंजिश के चलते प्रशासन द्वारा पीने वाले पानी और साफ-सफाई का प्रबंध नहीं किया जाता।