डॉ. त्रेहन हत्याकांड में 35 साल बाद शिअद नेता प्रो. वल्टोहा के खिलाफ अदालत में चालान पेश
1983 में हुई डॉ. सुदर्शन त्रेहन की हत्या के मामले में तरनतारन पुलिस ने 35 साल बाद शिअद नेता प्रो. विरसा सिंह वल्टोहा के खिलाफ अदालत में चालान पेश किया है।
जेएनएन, तरनतारन। 1983 में हुई डॉ. सुदर्शन त्रेहन की हत्या के मामले में तरनतारन पुलिस ने 35 साल बाद शिअद प्रवक्ता व पूर्व सीपीएस प्रो. विरसा सिंह वल्टोहा के खिलाफ जेएमआइसी पट्टी मनीष गर्ग की अदालत में चालान पेश किया। अदालत ने प्रो. वल्टोहा को समन भेजकर 13 मार्च को पेश होने को कहा है।
30 सितंबर 1983 को शाम 4 बजे रेलवे स्टेशन पट्टी के पास त्रेहन क्लीनिक में तीन लोगों ने डॉ. सुदर्शन त्रेहन पर तीन लोगों ने गोलियां चलाई थीं। हत्याकांड के बाद थाना पट्टी में मुकदमा दर्ज किया गया था। बाद में पुलिस ने गांव भूरा कोहना निवासी हरदेव सिंह पुत्र सुखदेव सिंह और बलदेव सिंह पुत्र दीदार सिंह को गिरफ्तार कर लिया था।
आरोपितों ने पूछताछ में खुलासा किया कि हत्याकांड में विरसा सिंह वल्टोहा भी शामिल हैं। जून 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान विरसा सिंह वल्टोहा को गिरफ्तार करके तिहाड़ जेल में बंद कर दिया गया था। 6 नवंबर 1990 को अमृतसर की अदालत द्वारा उक्त दोनों आरोपितों को बरी कर दिया गया, जबकि विरसा सिंह वल्टोहा को भगोड़ा घोषित किया गया। जुलाई 1991 में विरसा सिंह वल्टोहा जेल से रिहा हुए। उन्होंने जेल में ही प्रोफेसर की डिग्री भी मुकम्मल कर ली। वहीं, इस हत्याकांड से संबंधित फाइल पुलिस रिकॉर्ड से कथित तौर पर सियासी दबाव के चलते गायब कर दी गईं ।
2007 के विधानसभा चुनाव में नहीं दी थी आयोग को जानकारी
दूसरी ओर प्रदेश में प्रकाश सिंह बादल की सरकार के समय प्रो. वल्टोहा एसएस बोर्ड के सदस्य बने। 2007 में उन्होंने विधानसभा चुनाव में शिअद की टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव आयोग को उक्त मामले की जानकारी नहीं दी। उन्होंने कांग्रेस के पूर्व मंत्री गुरचेत सिंह भुल्लर को हराया और सीपीएस बने। 2012 में भी प्रो. वल्टोहा विधानसभा क्षेत्र खेमकरण से दूसरी बार चुनाव लड़कर विधायक बने और फिर से बादल की सरकार में उन्हें सीपीएस बना दिया गया।
घटिया राजनीति कर रही है कांग्रेस : प्रो. वल्टोहा
पूर्व सीपीएस प्रो. विरसा सिंह वल्टोहा का कहना है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर शिअद को बदनाम करने लिए कांग्रेस सरकार घटिया राजनीति पर उतर आई है। इसी के तहत पुलिस के माध्यम से उनके खिलाफ अदालत में सप्लीमेंटरी चालान पेश कराया है। डॉ. सुदर्शन त्रेहन हत्याकांड से मेरा कोई वास्ता नहीं है। 1991 में इस मामले से भी अदालत ने बरी किया था।