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हरिके पत्तन बर्ड सेंक्चुअरी में नजर नहीं आती स्वच्छता

धर्मबीर सिंह मल्हार, हरिके पत्तन : विश्व प्रसिद्ध बर्ड सेंक्चुअरी हरिके पत्तन में सर्दी का मौसम शुरू होत

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 12:59 AM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 12:59 AM (IST)
हरिके पत्तन बर्ड सेंक्चुअरी में नजर नहीं आती स्वच्छता
हरिके पत्तन बर्ड सेंक्चुअरी में नजर नहीं आती स्वच्छता

धर्मबीर सिंह मल्हार, हरिके पत्तन : विश्व प्रसिद्ध बर्ड सेंक्चुअरी हरिके पत्तन में सर्दी का मौसम शुरू होते ही विदेशों से पक्षियों की आमद नजर आती है। सर्दी का मौसम तो शुरू हो चुका है परंतु अभी तक विदेशी पक्षियों का जमावड़ा नजर नहीं आ रहा। शायद इसका कारण यहां पहले जैसी सफाई व्यवस्था न होना है।

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जिला तरनतारन, कपूरथला व फिरोजपुर पर आधारित बर्ड सेंक्चुअरी 86 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। गत वर्ष बर्ड सेंक्चुअरी में 80 हजार से अधिक विदेशी पक्षियों की आमद हुई थी। हालांकि वर्ष 2008 को डेढ़ लाख, 2009 को एक लाख, 42 हजार, 2010 को एक लाख 16 हजार के करीब विदेशी पक्षी यहां आए थे। 2011 में यहां पर सवा लाख के करीब विदेशी पक्षियों की आमद हुई थी। 2012 में इस बर्ड सेंक्चुअरी में डालफिन देखी गई। यह पहला मौका था कि भारत में डालफिन पाई गई थी जिसके बाद डब्ल्यूडब्ल्यूएफओ की टीम द्वारा यहां का दौरा किया गया तो तीन से 4 डालफिन होने की पुष्टि हुई। माहिरों की मानें तो हरिके पत्तन बर्ड सेंक्चुअरी का पर्यावरण लगातार 4 वर्ष खराब रहा जिसके कारण डालफिन को खतरा महसूस किया गया। माहिरों द्वारा तीन वर्ष पहले जायजा लिया गया तो डालफिन की संख्या 6 होने की पुष्टि हुई। दिसंबर 2017 को हरिके बर्ड सेंक्चुअरी में दो दर्जन के करीब घड़ियाल छोड़े गए। यह घड़ियाल गगडेवाल क्षेत्र में है जबकि डालफिन का क्षेत्र गांव करमूंवाल का इलाका है। यहां पर डालफिन पूरी तरह से सुरक्षित बताई जाती हैं। गत वर्ष पूर्व बर्ड सेंक्चूअरी में एक लाख से कम विदेशी पक्षियों की आमद रही थी। सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है लेकिन हरिके पत्तन बर्ड सेंक्चुअरी की सफाई व्यवस्था की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। बर्ड सेंक्चुअरी के क्षेत्रों में कूड़ा कर्कट, मरे हुए पशु व जानवर पर्यावरण खराब कर रहे हैं। हरिके पत्तन में कलाली बूटी यहां की सुंदरता को ग्रहण लगाती है। सेंक्चुअरी को सैलानियों की सैरगाह बनाना चाहिए : मरहाणा नेचर केयर सोसायटी के चेयरमैन हरजिंदर सिंह मरहाणा का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बर्ड सेंक्चुअरी को सैलानियों की सैरगाह बनाना चाहिए। बर्ड सेंक्चुअरी की सफाई व्यवस्था में अगर सुधार न किया गया तो पर्यावरण पर बुरा असर पड़ेगा और विदेशी सैलानियों की आमद भी प्रभावित होगी। किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी : डीएफओ

डीएफओ कल्पना कुमारी का कहना है कि बर्ड सेंक्चुअरी में विदेशी पक्षियों की आमद को लेकर प्रशासन पूरी तरह से चुस्त है। शिकारियों पर लगातार शिकंजा कसा जाता है। विदेशी पक्षियों की आमद से पहले ही पर्यावरण पर चिंतन मंथन होता है। यहा की साफ सफाई में अगर कोई ढील है तो रेंज अधिकारी से रिपोर्ट ली जाएगी। यहां पर किसी भी तरह की कोई कोताही बर्दाश्त नहीं होगी।


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