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गांधी परिवार में गुरिंदर सिंह कैरों की बोलती रही है तूती

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों के छोटे बेटे गुरिंदर सिंह कैरों (86) भले ही इस दुनिया में नहीं रहे परंतु कांग्रेस की स्थानीय सियासत में उनका नाम हमेशा जीवंत रहेगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Jan 2021 07:40 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jan 2021 07:40 PM (IST)
गांधी परिवार में गुरिंदर सिंह कैरों की बोलती रही है तूती
गांधी परिवार में गुरिंदर सिंह कैरों की बोलती रही है तूती

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन :

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किसानों के भीषम पितामह कहलाए जाते पहले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय प्रताप सिंह कैरों के छोटे बेटे गुरिंदर सिंह कैरों (86) भले ही इस दुनिया में नहीं रहे, परंतु कांग्रेस की स्थानीय सियासत में उनका नाम हमेशा जीवंत रहेगा। आल इंडिया कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के परिवार के करीबी गुरिंदर सिंह कैरों ने लोकसभा हलका तरनतारन से दो बार सांसद का चुनाव लड़ने लिए कांग्रेस की टिकट ली। दोनों बार ही उनको बड़े अंतर पर हार का सामना करना पड़ा। आखिरी बार 2002 में उन्होंने विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत अजमाई तो वह तीसरे नंबर पर रहे।

इस चुनाव के नतीजे में आजाद प्रत्याशी के तौर पर हरमीत सिंह संधू ने शिअद के अलविंदरपाल सिंह पखोके को हराया था। गुरिंदर कैरों का अपने बड़े भाई व पूर्व सांसद सुरिंदर सिंह कैरों के साथ उनका छत्तीस का आंकड़ा रहा। चंडीगढ़ में रहने के बावजूद उन्होंने तरनतारन आकर दो बार व एक बार विधायक का चुनाव लड़ा। तीनों बार करारी हार के बाद वह दोबारा सियासत में नहीं लौटे। गुरिंदर कैरों की गांधी परिवार में इतनी तूती बोलती थी कि चुनाव के दौरान पार्टी हाईकमान अभी प्रत्याशी की सूची जारी नहीं करती थी कि कैरों अपना चुनावी दफ्तर खोल देते थे। स्थानीय कांग्रेसियों को नजरअंदाज करके हाईकमान द्वारा कैरों को टिकट दिए जाने का खमियाजा भले ही पार्टी को भुगतना पड़ा। परंतु हाईकमान ने गुरिंदर कैरों का विश्वास नहीं तोड़ा। 1998 के लोकसभा चुनाव में गुरिंदर कांग्रेस प्रत्याशी थे, जबकि शिअद ने प्रेम सिंह लालपुरा को चुनाव मैदान में उतारा। उस चुनाव में गुरिंदर का उनके बड़े भाई व पूर्व सांसद सुरिंदर सिंह कैरों ने खुलकर विरोध करते हुए अकाली दल का साथ दिया था। दोनों भाइयों के बीच इतनी दूरी बढ़ गई थी कि चुनावी प्रचार के दौरान पिता प्रताप सिंह कैरों की समाधि पर कांग्रेस और शिअद के झंडे लगाए गए थे। लेखक भी थे कैरों

पंजाब की सियासत में तीन बार हाथ अजमाने वाले गुरिंदर सिंह कैरों लेखक भी थे। उन्होंने अपने पिता प्रताप सिंह कैरों के जीवन पर पहली किताब लिखी थी। इसके बाद उनकी तीन अन्य पुस्तकें प्रकाशित हुई। इन लोगों ने जताया शोक

गुरिंदर सिंह कैरों के देहांत पर उनके भतीजे आदेश प्रताप सिंह कैरों, बीबा प्रनीत कौर कैरों, गुरप्रताप सिंह गुड्डू के साथ एसजीपीसी मेंबर खुशविंदर सिंह भाटिया, गुरमुख सिंह घुल्ला, सुरिंदर शिंदा, सुदेश रानी, भूपिंदर सिंह मिंटू, कश्मीरी लाल, अमनदीप भाटिया, विनोद खन्ना, लखबीर सिंह भुल्लर, रसाल सिंह खैहरा ने शोक जताया है।


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