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शिअद व भाजपा असमंजस में, कांग्रेस को आसान लगने लगी राह

। आगामी नगर कौंसिल चुनाव को लेकर भी शिअद और भाजपा की कोई भी सांझी बैठक नहीं हो पाई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Mar 2020 12:12 AM (IST)Updated: Tue, 10 Mar 2020 06:12 AM (IST)
शिअद व भाजपा असमंजस में, कांग्रेस को आसान लगने लगी राह
शिअद व भाजपा असमंजस में, कांग्रेस को आसान लगने लगी राह

जागरण संवाददाता, तरनतारन : पांच साल पहले नगर कौंसिल चुनाव की सियासी गतिविधियों के समय एसडीएम कांप्लेक्स में शिअद और भाजपा वर्करों के बीच जमकर हिसा हुई थी। तत्कालीन कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी के भाई राजा जोशी पर कातिलाना हमला हुआ। इस हमले के बाद से शिअद व भाजपा के बीच जो खाई पैदा हुई पट नहीं पाई। अब आगामी नगर कौंसिल चुनाव को लेकर भी शिअद और भाजपा की कोई भी सांझी बैठक नहीं हो पाई है। स्थानीय स्तर पर गठबंधन में चल रही इस कशमकश से सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस की राह चुनाव में आसान समझी जा रही है।

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वर्ष 1980 के नगर कौंसिल चुनाव में शहर के कुल 10 वार्ड थे। उस समय कौंसिल अध्यक्ष हरजीत सिंह शिअद से संबंधित थे। आठ वर्ष बाद 1988 में 13 वार्ड हो गए। तब अध्यक्ष कांग्रेस के एडवोकेट सुदर्शन चोपड़ा थे। 1992 में 13 वार्ड ही रहे और अध्यक्ष एडवोकेट किशोरी लाल अग्निहोत्री रहे। वह भी कांग्रेस पार्टी से संबंधित थे। एक वर्ष बाद एडवोकेट जतिंदर सूद ने अध्यक्ष पद पर कब्जा जमा लिया। उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। 1998 में वार्ड बढ़कर 15 हुए और जतिंदर सूद दूसरी बार अध्यक्ष बने।

सूद के तार शिअद की सरकार से जुड़ चुके थे। पांच वर्ष बाद 2003 के चुनाव में वार्डो की संख्या 17 तक पहुंची और जतिंदर सूद ने तीसरी बार अध्यक्ष पद संभाला। सूद एक ऐसे अध्यक्ष साबित हुए जो शिअद और कांग्रेस के शासन में भी प्रधानगी हासिल करने में कामयाब रहे। 2008 में वार्ड बढ़कर 19 हो गए और भूपिंदर सिंह खेड़ा बिना मुकाबला चुनाव जीतकर शिअद की ओर से नगर कौंसिल के अध्यक्ष बने। 2015 में वार्डो की संख्या 23 तक पहुंची। इस चुनाव में खेड़ा ने अपने ही भतीजे रमनीक सिंह खेड़ा को मात दी और दूसरी बार नगर कौंसिल के अध्यक्ष बने। इस चुनाव में शिअद का भाजपा के साथ सीधा मुकाबला था। चुनाव से थोड़े दिन पहले एसडीएम कांप्लेक्स में शिअद और भाजपा वर्करों के बीच खूनी झड़प हुई, जिसने स्थानीय स्तर पर गठबंधन के बीच दूरी बना दी।

पूर्व मंत्री अनिल जोशी के भाई राजा जोशी पर जानलेवा हमला हुआ। शिअद के कई पार्षदों के खिलाफ इरादत्न हत्या का केस दर्ज हुआ जो अंतिम नतीजे पर पहुंचने वाला है। पांच वर्ष तक शिअद और भाजपा के बीच दूरी खत्म करने का कोई प्रयास नहीं हुआ। इससे दोनों पार्टियों के बीच अब तक आगामी नगर कौंसिल चुनाव को लेकर एक भी बैठक नहीं हो पाई।

ऐसे में सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस को अपनी राहें आसान लग रही हैं। आने वाले चुनाव में शहर के वार्ड बढ़ाकर 27 किए जा रहे हैं। कांग्रेस सरकार ने 50 फीसद सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित रखी हैं। चुनाव लड़ने के चाहवान नेताओं ने अपनी पत्‍ि‌नयों व माताओं को वार्डो में सरगर्म कर रखा है। ऐसे में विधायक डॉ. धर्मबीर अग्निहोत्री की पुत्रवधू डॉ. ज्योति अग्निहोत्री ने भी बैठकों का सिलसिला शुरू कर दिया है। वह महिलाओं को लामबंद करने में जुट गई हैं। माना जा रहा है कि महिला आरक्षण के बीच डॉ. ज्योति अग्निहोत्री को चुनाव मैदान में लाकर अध्यक्ष पद के दावेदार के तौर पर पेश किया जाएगा। ऐसे में कांग्रेस का कोई भी नेता विधायक के फैसले को काटना शायद आसान न समझे।

डॉ. ज्योति अग्निहोत्री का कहना है मैं अपने ससुर व पति की तरह डाक्टरी के प्रोफेशन से जुड़ी हुई हूं। अब राजनीति के माध्यम से जनसेवा को आगे लेकर जाऊंगी। उन्होंने गुरु नगरी की सेवा को समर्पित होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।


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