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पूर्व सीपीएस प्रो. वल्टोहा के खिलाफ आरोप तय

डॉ. सुदर्शन त्रेहन की हत्या के मामले में 37 वर्ष के बाद स्थानीय एडीशनल सेशन जज परमजीत कौर की अदालत में पूर्व सीपीएस प्रो. विरसा सिंह वल्टोहा पर आरोप तय हुए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 12:26 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 06:05 AM (IST)
पूर्व सीपीएस प्रो. वल्टोहा के खिलाफ आरोप तय
पूर्व सीपीएस प्रो. वल्टोहा के खिलाफ आरोप तय

जासं, तरनतारन : डॉ. सुदर्शन त्रेहन की हत्या के मामले में 37 वर्ष के बाद स्थानीय एडीशनल सेशन जज परमजीत कौर की अदालत में पूर्व सीपीएस प्रो. विरसा सिंह वल्टोहा पर आरोप तय हुए। मामले की सुनवाई 14 फरवरी को होगी। फरवरी 2019 में जेएमआइसी पट्टी मनीष गर्ग की अदालत में पुलिस ने चालान पेश किया था।

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30 सितंबर 1983 को डॉ. सुदर्शन त्रेहन पर उस समय तीन लोगों ने गोलियां चलाई थी, जब वह क्लीनिक में मरीज को इंजेक्शन दे रहे थे। मामले में थाना पंट्टी पुलिस ने गांव भूरा कोहना वासी हरदेव सिंह और बलदेव सिंह को गिरफ्तार किया था। आरोपितों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि इस हत्याकांड में विरसा सिंह वल्टोहा भी शामिल है। जून 1984 में आप्रेशन ब्लू स्टार के दौरान विरसा सिंह वल्टोहा को गिरफ्तार करके तिहाड़ जेल में बंद कर दिया।

6 नवंबर 1990 को अमृतसर की अदालत द्वारा उक्त दोनों आरोपितों को बरी कर दिया। जुलाई 1991 में वल्टोहा रिहा हुआ। वल्टोहा ने जेल में ही प्रोफेसर की डिग्री कर की। इसके बाद प्रकाश सिंह बादल की सरकार में वह एसएस बोर्ड के सदस्य बने। 2007 में प्रो. वल्टोहा ने विधानसभा चुनाव जीता। इसके बाद सीपीएस बने। 2012 में विस हलका खेमकरण से दूसरी बार चुनाव लड़कर विधायक बने। फिर बादल सरकार में सीपीएस बने। दो बार चुनाव लड़ने के दौरान प्रो. वल्टोहा ने डॉ. त्रेहन हत्याकांड से संबंधित एफआइआर का कोई जिक्र नहीं किया।

डॉ. त्रेहन हत्याकांड से संबंधित फाइल पुलिस रिकॉर्ड से सियासी दबाव के चलते गायब हो गई थी। यह मामला दोबारा चर्चा में आने पर पुलिस ने प्रो. वल्टोहा के खिलाफ फरवरी 2019 में पट्टी स्थित जेएमआइसी मनीष गर्ग की अदालत में चालान पेश कर दिया।

घटिया राजनीति कर रही है कांग्रेस : प्रो. वल्टोहा

पूर्व सीपीएस प्रो. विरसा सिंह वल्टोहा का कहना है कि कई झूठे मामले दर्ज किए थे। सात साल जेल में गुजारने के बाद इंसाफ मिला। डॉ. सुदर्शन त्रेहन हत्याकांड से कोई वास्ता नहीं है। 1991 में इस मामले से अदालत द्वारा बरी किया गया था। प्रो. वल्टोहा ने कहा कि सरकार के दबाव में यह चालान पेश किया गया है।


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