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26 साल बाद आए फैसले से पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं, कहा-फांसी मिलनी चाहिए थी

। 26 साल बाद सीबीआइ की मोहाली अदालत द्वारा वीरवार को सुनाए गए फैसले से पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं है

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 01:24 AM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 06:12 AM (IST)
26 साल बाद आए फैसले से पीड़ित परिवार  संतुष्ट नहीं, कहा-फांसी मिलनी चाहिए थी
26 साल बाद आए फैसले से पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं, कहा-फांसी मिलनी चाहिए थी

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन

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आतंकवाद के दौर में पुलिस द्वारा डेरा झूलने महल के मुखी बाबा चरण सिंह व उनके तीन भाइयों के अलावा दो रिश्तेदारों को गैर कानूनी हिरासत में रखने के बाद फर्जी मुठभेड़ में मार डालने व शवों को खुर्दबुर्द करने के मामले में 26 साल बाद सीबीआइ की मोहाली अदालत द्वारा वीरवार को सुनाए गए फैसले से पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं है। परिवार का कहना है कि इंसाफ मिलने तक वे सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई जारी रखेगा।

गांव ठट्ठी खारा में जब दैनिक जागरण की टीम पहुंची तो बाबा चरण सिंह की 80 वर्षीय पत्नी सुरजीत कौर उन रिश्तेदारों की तस्वीरों को बूढ़ी आंखों से निहार रही थीं, जिन्हें पुलिस ने फर्जी मुकाबले में मार दिया था। सुरजीत कौर के बेटे बाबा हीरा सिंह (मुखी झूलने महल) ने बताया कि इस घटना के 26 साल बाद भी उनके जख्म हरे हैं। उन्होंने कहा कि बाबा चरण सिंह व उनके भाई मेजा सिंह को हरिके पत्तन ले जाकर गोलियां मार ढेर कर दिया गया। फिर दोनों के शवों से पत्थर बांधकर हरिके दरिया में बहा दिया गया। बाबा चरण सिंह के साले गुरमेज सिंह व उसके बेटे बलविंदर सिंह (पिता-पुत्र निवासी गांव सखीरा) को दो जीपों से बांधकर शरीर के दो-दो टुकड़े कर दिए गए। इसी तरह बाबा गुरदेव सिंह और केसर सिंह को बेरहमी से मारकर शव खुर्द-बुर्द कर दिए गए।

बाबा हीरा सिंह ने बताया कि इस मामले में कुल 15 आरोपितों के खिलाफ 100 गवाहों ने अदालत में गवाही दी। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने यह जांच की थी। कुल 15 पुलिस अधिकारी व कर्मी आरोपित थे। जिनमें से छह की मौत हो चुकी है। मामले के मुख्य आरोपित डीएसपी गुरमीत सिंह रंधावा, कश्मीर सिंह गिल, निर्मल सिंह को सीबीआइ अदालत ने बरी कर दिया है। यह तीनों मुख्य आरोपित थे।

26 वर्ष बाद आए इस फैसले से उन्हें इंसाफ मिलने की उम्मीद तो जगी है, परंतु वह फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। अदालत ने जिन आरोपितों को पांच या दस साल की सजा सुनाई है, उन्हें फांसी मिलनी चाहिए थी। क्योंकि एक ही परिवार के छह सदस्यों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। इतना ही नहीं डेरे से 40 लाख का गेहूं व डेढ़ दर्जन वाहन भी पुलिस ने जब्त कर लिए। अब इंसाफ के लिए कानूनी लड़ाई लड़ते हुए वे सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। कई बार दिया लालच और धमकियां भी मिलीं

सुरजीत कौर ने बताया कि सीबीआइ जांच के लिए हमने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अदालत के आदेश पर सीबीआइ ने जांच करते मोहाली की अदालत में आरोपितों खिलाफ चार्जशीट दायर की। मुकदमा वापस लेने के लिए कई बार धमकियां दी गई। जब बात नहीं बनी तो करोड़ों रुपये देने का लालच दिया गया परंतु सच्चाई के रास्ते पर चलते हुए उन्होंने उनके कदम कभी डगमगाए नहीं। आज सीबीआइ की अदालत से जो उम्मीद थी वह पूरी नहीं हुई।


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