तुर्की में नस्ल भेद का शिकार हुआ गुरसिख रेसलर, पगड़ी उतारकर खेलने का बनाया दबाव
तुर्की में पगड़ी के कारण सिख रेसलर को नस्ल भेद का शिकार होना पड़ा। रेसलर जसकंवर सिंह गिल पर पगड़ी उतारकर खेलने का दबाव बनाया गया
जेएनएन, तरनतारन। तुर्की में तरनतारन का पहलवान नस्ल भेद का शिकार हुआ। रेसलर जसकंवर सिंह गिल पर पगड़ी उतारकर खेलने का दबाव बनाया गया, लेकिन उसने पगड़ी उतार कर कुश्ती लडऩे से मना कर दिया। अपने घर लौटे पहलवान जसकंवर ने इस मामले में भारत सरकार से दखल देने की मांग की है।
गांव चूसलेवड़ निवासी भारत केसरी (1987) के नाम से जाने जाते अंतरराष्ट्रीय पहलवान सलविंदर सिंह गिल के बेटे जसकंवर सिंह गिल पूर्ण रूप से गुरसिख है। गिल को वल्र्ड रैकिंग सीरिज रेसलिंग के मुकाबले में तुर्की बुलाया गया था। यहां पर उसे पगड़ी उतार कर कुश्ती मैदान में आने के लिए कहा गया। इस पर गिल ने प्रबंधकों को बताया कि पगड़ी उतार कर कुश्ती लडऩा सिख धर्म के खिलाफ है, लेकिन प्रबंधक नहीं मानें।
इसके बाद वह वापस घर लौट आया। पिता सलविंदर सिंह गिल ने कहा कि बेटे जसकंवर के साथ तुर्की में जो व्यवहार हुआ वह निराशाजनक है। यह सिख धर्म का भी अपमान है। एसजीपीसी के महा सचिव गुरबचन सिंह कर्मूवाला का कहना है कि सिखों के साथ विदेशों में अक्सर ऐसा होता है। यह मामला एसजीपीसी विदेश मंत्रालय के समक्ष उठाएगी।
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