16 दिन से नहीं गए घर, दिन रात कर रहे ड्यूटी
एसडीएम रजनीश कार्यालय के पास छोटे कमरे में रहते कंघी के लिए नहीं शीशा व टेलीविजन हाथ से करनी पड़ती कपड़ों की धुलाई।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में एसडीएम रजनीश अरोड़ा महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वह दो माह से यहां तैनात है। कोरोना के खौफ के बीच 16 दिनों से दिन-रात ड्यूटी दे रहे रजनीश अरोड़ा अपने घर नहीं जा पा रहे। कार्यालय के पास ही छोटे से कमरे में रात को नींद की थोड़ी सी झपकी ले लेते हैं।
एसडीएम रजनीश अरोड़ा की स्थायी रिहायश चंडीगढ़ में है। पीसीएस बनने से पहले वह मेहनत के कार्य करते थे। मार्केट में लिफाफे भी बेचते रहे हैं। उन्होंने दर्जाचार कर्मी की नौकरी भी की है। पीसीएस बनने के बावजूद अकड़ मिजाज उनके जीवनशैली का हिस्सा नहीं बन पाई। कोरोना वायरस के मद्देनजर 16 दिन से लगातार दिन रात एक करते हुए एसडीएम रजनीश अरोड़ा अपने घर नहीं जा पाए। चार दिन पहले उन्होंने पत्नी को तरनतारन बुला लिया। पत्नी का अचानक हाथ जल गया। कामकाज के लिए उन्होंने कोई नौकर नहीं रखा। बल्कि खुद हाथों से कपड़े धो लेते हैं। उनके पास यहां वाशिंग मशीन की सहूलियत भी नहीं है। कमरे में टीवी भी नहीं है।
दैनिक जागरण को रजनीश अरोड़ा ने बताया कि जिस कमरे में रात को नींद की झपकी लेते है, वहां पर शीशा तक नहीं। नहाने के बाद कंघी के लिए मोबाइल के कैमरे का सहारा लेते है। उनकी सब डिवीजन में विधान सभा हलका तरनतारन व खडूर साहिब के गांव आते है। प्रत्येक गांव का दौरा करके वह गरीब लोगों की जरूरतों से अवगत होकर उनको राशन मुहैया करवा रहे हैं। अपने दफ्तर के सेवादारों को भी हाथ जोड़कर कोरोना से बचने की सलाह देते हुए ड्यूटी पर लगातार तैनात रहने के लिए कहते हैं। कर्फ्यू के दौरान लोगों को पास देने, राशन मंगवाने, जरूरतमंदों तक पहुंचाने, कर्फ्यू के आदेशों का पालन करवाने में कई बार वह दोपहर का खाना भी समय पर नहीं खा पाते। रजनीश अरोड़ा कहते है कि इतनी सख्त ड्यूटी के बावजूद बुजुर्गो का सत्कार करना वह भूल नहीं पाए।