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तीन दशक बाद भी साकर नहीं हो सकता राजीव गांधी का सपना

श्री गोइंदवाल साहिब : प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने वर्ष 1985 में सिखी के धुरे के तौर पर जानी जाती गुरु नगरी श्री गोइंदवाल साहिब को इंडस्ट्री के नक्शे में लाने के लिए करोड़ों रुपये के प्रोजेक्टों का उद्घाटन कर इसे पंजाब की चौथी इंडस्ट्री सिटी बनाने का जो सपना संजोया था वह आतंकवाद के पनपते ही ऐसा तबाह हुआ कि 31 वर्ष बाद भी ये इंडस्ट्री चल नहीं पाई। देश भर के विभिन्न शहरों से यहां आकर प्रोजेक्ट लगाने वाले उद्योगपति आर्थिक तौर पर बुरी तरह से पिट चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Jan 2018 05:58 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jan 2018 05:58 PM (IST)
तीन दशक बाद भी साकर नहीं हो सकता राजीव गांधी का सपना
तीन दशक बाद भी साकर नहीं हो सकता राजीव गांधी का सपना

धर्मवीर सिंह मल्हार, श्री गोइंदवाल साहिब : प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने वर्ष 1985 में सिखी के धुरे के तौर पर जानी जाती गुरु नगरी श्री गोइंदवाल साहिब को इंडस्ट्री के नक्शे में लाने के लिए करोड़ों रुपये के प्रोजेक्टों का उद्घाटन कर इसे पंजाब की चौथी इंडस्ट्री सिटी बनाने का जो सपना संजोया था वह आतंकवाद के पनपते ही ऐसा तबाह हुआ कि 31 वर्ष बाद भी ये इंडस्ट्री चल नहीं पाई। देश भर के विभिन्न शहरों से यहां आकर प्रोजेक्ट लगाने वाले उद्योगपति आर्थिक तौर पर बुरी तरह से पिट चुके हैं।

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प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने श्री गोइंदवाल साहिब आकर जहां पर पेपर मिल लगाने का उद्घाटन किया था। श्री गोइंदवाल साहिब के अमृतसर, लुधियाना और जालंधर की तर्ज पर इंडस्ट्री सिटी बनाने के लिए छह हजार एकड़ जमीन को इंडस्ट्रीज एरिया घोषित किया गया था। पेपर मिल सहित जहां पर एचएमटी का प्लांट, सीमेंट फैक्ट्री, बीएचईएल का प्रोजेक्ट लगाने के लिए युद्ध स्तर पर जब सरकार ने कमर कसी तो देश भर के उद्योगपतियों को श्री गोइंदवाल साहिब की फोकल प्वाइंट में हाथों-हाथ प्लांट बेचे गए। छोटे प्रोजेक्ट लगाने के लिए उद्योगपतियों ने बैंकों से करोड़ों का कर्ज लिया। बीएचईएल के प्रोजेक्ट पर तीस करोड़ की राशि खर्ची जानी थी, किंतु ये प्रोजेक्ट शुरू होते ही बंद हो गया।

उद्योगपतियों द्वारा यहां पर 200 के करीब अपने प्रोजेक्ट लगाकर चालू कर दिए गए। आतंकवाद जब चरम सीमा पर था तो तरनतारन को खालिस्तान की राजधानी के नाम से जाना जाता था। इस दौरान इंडस्ट्रीज को ताले लगने शुरू हो गए। उधर, सरकार ने भी इंडस्ट्री सिटी से अपने हाथ खींच लिए। जिसका परिणाम ये हैं कि इस नगरी में अब केवल 42 छोटी इंडस्ट्री ही चल रही हैं। बाकी के सभी प्रोजेक्ट जहां बंद पड़े हैं और इमारतें खंडहर बनती जा रही हैं।

स्थानीय निवासी केवल सिंह, जगीर सिंह, जतिंदर सिंह, सुच्चा सिंह ने दैनिक जागरण को बताया कि फोकल प्वाइंट से 84 एकड़ जमीन लेकर प्रदेश सरकार द्वारा जेल का निर्माण कराया जा रहा है। इससे लगता है कि सरकार उजड़ चुकी इंडस्ट्री को दोबारा बसाने के पक्ष में नहीं है।

बादल सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी : ब्रह्मपुरा

खडूर साहिब से पूर्व विधायक रविंदर सिंह ब्रह्मपुरा ने कहा कि शिअद सरकार द्वारा श्री गोइंदवाल साहिब के उद्योगपतियों को राहत देते हुए वर्ष 2012 में वन टाइम सेटलमेंट स्कीम के जरिए करोड़ों का सूद माफ कर मूल के तौर पर खड़ी आठ करोड़ की राशि वसूल की गई थी। जबकि उद्योगपतियों को और राहत देने के लिए मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के समक्ष मामला उठाया गया। फाइल भी सीएम आफिस में पड़ी है। बादल सरकार ने इस प्रोजेक्ट को पुन: सुरजीत करने लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

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मोदी सरकार की नीयत में है खोट : सिक्की

खडूर साहिब के विधायक रमनजीत सिंह सिक्की ने कहा कि देश में जब मनमोहन सिंह की सरकार थी तो उस समय इंडस्ट्री को सुरजीत करने के लिए जहां केंद्र की टीम पहुंची थी। इस इंडस्ट्री को मनमोहन सरकार पुर्ण सुरजीत करने के पक्ष में थी, किंतु केंद्र की मोदी सरकार द्वारा ऐसा कोई भी प्रयास ना किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। केंद्र की मोदी सरकार में पंजाब के प्रति सोच ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि इस इंडस्ट्री का मुद्दा कैप्टन सरकार द्वारा गंभीरता से लिया जा रहा है।


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