दर्शनी ड्योढ़ी गिराने का फैसला नहीं होने देंगे लागू
तरनतारन : शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह के पोते कुंवर नौनिहाल सिंह द्वारा बनवाई गई दर्शनी ड्योढ़ी गिराकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) पुरातन इतिहास को मिटाना चाहती है जो बर्दाशत नहीं किया जाएगा। यह कहना है निशान-ए-खालसा गतका दल के मुखी हरप्रीत सिंह खालसा, यूनाईटेड सिख पार्टी के नेता धर्म सिंह खालसा का। मंगलवार को चौंक श्री दरबार साहिब में विभिन्न सिख संगठनों की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह के पोते कुंवर नौनिहाल सिंह ने 1881 में यह दर्शनी ड्योढ़ी बनवाई थी।
संवाद सूत्ऱ, तरनतारन : शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह के पोते कुंवर नौनिहाल सिंह द्वारा बनवाई गई दर्शनी ड्योढ़ी गिराकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) पुरातन इतिहास को मिटाना चाहती है जो बर्दाशत नहीं किया जाएगा।
यह कहना है निशान-ए-खालसा गतका दल के मुखी हरप्रीत सिंह खालसा, यूनाईटेड सिख पार्टी के नेता धर्म सिंह खालसा का। मंगलवार को चौंक श्री दरबार साहिब में विभिन्न सिख संगठनों की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह के पोते कुंवर नौनिहाल सिंह ने 1881 में यह दर्शनी ड्योढ़ी बनवाई थी। इस ड्योढ़ी की मरम्मत करने के लिए एसजीपीसी द्वारा मता पारित किया गया है। मता पारित करने के बाद कार सेवक बाबा जगतार सिंह को कार सेवा सौंपी गई। बाद में पता चला कि दर्शनी ड्योढ़ी की मरम्मत नहीं बल्कि यह गिरा कर दोबारा बनाई जाएगी। एसजीपीसी के उक्त फैसले के खिलाफ विभिन्न सिख संगठनों ने मोर्चा खोलते विरोध शुरू कर दिया। गौर हो कि महासचिव गुरबचन सिंह करमूंवाला की मौजूदगी में बाबा जगतार सिंह द्वारा दर्शनी ड्योढ़ी को गिराने लिए कई माह से लोहे का जाल बंधवाया गया है। सिख संगठनों के नेता अमृतपाल सिंह जौड़ा, पवनदीप सिंह खालसा, रणजीत सिंह वां, बाबा लाडा सिंह, गुरप्रीत सिंह, बलजीत सिंह रंधावा, हीरा सिंह ने कहा कि 1881 में बनाई गई दर्शनी ड्योढ़ी को मरम्मत ही की जानी चाहिए।
अगले आदेशों तक लगी है रोक
उधर श्री दरबार साहिब के मैनेजर बलविंदर सिंह उबोके ने कहा कि दर्शनी ड्योढ़ी की खस्ता हालत को मुख्य रखते हुए उसे तोड़ कर नई बनाने की प्रवानगी शिरोमणि कमेटी ने दी थी। सिख संगठनों द्वारा अब जो विरोध किया जा रहा है इसकी रिपोर्ट कमेटी अध्यक्ष भाई गोबिंद सिंह लोगोंवाल को दी जा चुकी है। कमेटी द्वारा अगले आदेशों तक दर्शनी ड्योढ़ी गिराने पर रोक लगा दी गई है।