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कांग्रेस से टिकट न मिलने पर आजाद चुनाव लड़ सकते हैं कई कांग्रेसी

तरनतारन नगर कौंसिल के चुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए गले की हड्डी बन सकते हैं। इन चुनावों में उन लोगों की चांदी है जो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस खेमे से जुड़े थे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 07:45 PM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 07:45 PM (IST)
कांग्रेस से टिकट न मिलने पर आजाद चुनाव लड़ सकते हैं कई कांग्रेसी
कांग्रेस से टिकट न मिलने पर आजाद चुनाव लड़ सकते हैं कई कांग्रेसी

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन :

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तरनतारन नगर कौंसिल के चुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए गले की हड्डी बन सकते हैं। इन चुनावों में उन लोगों की चांदी है, जो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस खेमे से जुड़े थे। ऐसे में पुराने और टकसाली कांग्रेसियों की नजरअंदाजगी कांग्रेस को भारी पड़ सकती है। क्योंकि अधिकतर चेहरे ऐसे हैं, जो टिकट के लिए हाईकमान के समक्ष बार-बार मिन्नतें करने की बजाय आजाद मैदान में उतरना आसान समझते हैं।

नगर कौंसिल तरनतारन के अब 25 वार्ड हो चुके हैं। 12 वार्ड महिला प्रत्याशियों के लिए आरक्षित हैं जबकि 13 पर पुरुष प्रत्याशी मैदान में उतारे जाने है। इस चुनाव में टकसाली कांग्रेसी अपने-अपने वार्ड से टिकट के लिए आवेदन दे चुके हैं। परंतु चार वर्ष पहले विस चुनाव के मौके कांग्रेस के खेमे से जुड़े कुछ चेहरों को मैदान में उतारना पार्टी की मजबूरी समझा जा रहा है। सूत्रों की मानें तो पुराने कांग्रेसी टिकट अप्लाई करने के बाद हाईकमान के समक्ष अधिक चक्कर लगाने की बजाय आजाद तौर पर मैदान में उतरने की तैयारी में है। यानि वे कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर आजाद उतर सकते हैं। छह वर्ष पहले हुए चुनाव के मौके कांग्रेस ने जिन चेहरों को मैदान में उतारा था, उनमें से अधिकतर की जमानत जब्त हो गई थी। जमानत जब्त करवा चुके ये कांग्रेसी भी इस बार टिकट के लिए दावेदार हैं। शिअद और भाजपा के चुनाव चिन्हों पर जीत दर्ज करवा चुके कुछ पूर्व पार्षद दल बदली करके कांग्रेस पार्टी की टिकट अप्लाई तो कर चुके हैं, परंतु अभी तक रसमी तौर पर कांग्रेस में शामिल नहीं हुए। पूरे शहर में ऐसें 10 वार्ड हैं, जहां से कांग्रेस से संबंधित परिवार आजाद तौर पर चुनाव लड़ने के लिए वार्डों में बैठकों का सिलसिला शुरू कर चुके है। जिला कांग्रेस के महासचिव जसपाल सिंह पाला कहते है कि लंबे समय से कांग्रेस से जुड़ा हूं। कई बार झूठे पर्चे भी हुए, परंतु टिकटों के बंटवारे के लिए उनका नाम नहीं है। इसके चलते आजाद तौर पर चुनाव मैदान में उतरेंगे। विधायक की मर्जी के बिना एक भी टिकट नहीं

कांग्रेस पार्टी के पास न तो जिला अध्यक्ष है और न ही नया शहरी अध्यक्ष बनाया गया है। ऐसे में टिकट का फैसला हलका विधायक डा. धर्मबीर अग्निहोत्री द्वारा ही फाइनल किया जाना है। ऐसे में वह चाहते हुए भी सभी कांग्रेसियों को खुश नहीं रख सकते। इसके चलते कांग्रेस में बगावत की संभावना बढ़ चुकी है। हालांकि विधायक अग्निहोत्री कहते हैं कि टिकट मांगने वालों की संख्या बढ़ने पर उसे बगावत नहीं कहते, बल्कि चुनाव लड़ने का उत्साह कहते हैं।


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