डै्रगन डोर की गूंजलों में फंसे बैन के आदेश
प्लास्टिक की डोर की तरह लचकीला प्रशासन हो तो कानून का रखवाला भगवान ही हो सकता है। 3 वर्ष पहले ड्रैगन डोर का शिकार होने वाले पीड़ितों के आरोप जिला प्रशासन की इमानदारी पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि पुलिस प्रशासन इमानदार हो जाए तो जनता भी साथ देगी। दैनिक जागरण के अभियान नो मोर ड्रैगन डोर के तहत गांव भंगाला वासी मेवा सिंह ने बताया कि 2016 की लोहड़ी के दिन वह दूध लेकर घर जा रहा था कि रास्ते में डै्रगन डोर ने उसका बाया हाथ घायल कर दिया। पंडोरी वासी निर्मल कौर कहती है कि 16 वर्षीय लड़का जसपाल सिंह चाइना डोर की चपेट में आने से घायल हो गया था।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : प्लास्टिक की डोर की तरह लचकीला प्रशासन हो तो कानून का रखवाला भगवान ही हो सकता है। 3 वर्ष पहले ड्रैगन डोर का शिकार होने वाले पीड़ितों के आरोप जिला प्रशासन की इमानदारी पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि पुलिस प्रशासन इमानदार हो जाए तो जनता भी साथ देगी। दैनिक जागरण के अभियान नो मोर ड्रैगन डोर के तहत गांव भंगाला वासी मेवा सिंह ने बताया कि 2016 की लोहड़ी के दिन वह दूध लेकर घर जा रहा था कि रास्ते में डै्रगन डोर ने उसका बाया हाथ घायल कर दिया। पंडोरी वासी निर्मल कौर कहती है कि 16 वर्षीय लड़का जसपाल सिंह चाइना डोर की चपेट में आने से घायल हो गया था। जसपाल की दाई आंख बुरी तरह से प्रभावित हुई। गांव गजल वासी मंगल सिंह, सरूप सिंह और दर्शन सिंह कहते हैं कि चाइना डोर की बिक्री सरेआम होती है। जिला प्रशासन चाइना डोर की बिक्री पर रोक लगाकर पुलिस से छापामारी करवाता है पर सवाल यह पैदा होता है कि इस डोर की एंट्री कहां से होती है।
2 लोग हुए चाइना डोर का शिकार
लोहड़ी के दिन भिखीविंड वासी स्वर्ण सिंह किसी कामकाज से बाइक पर घर लौट रहा था कि रास्ते में चाइना डोर की चपेट में आ गया। बाइक से संतुलन बिगड़ने पर सड़क पर गिर गया। घायल हालत में उसे सरकारी अस्पताल भर्ती करवाया गया। दूसरे मामले में भी इसी कस्बे का युवक जरमनजीत सिंह घरेलू कामकाज के बाद घर लौट रहा था कि थाना भिखीविंड के समीप चाइना डोर की चपेट में आ गया। जरमनजीत सिंह की गर्दन मुश्किल से बची। हालांकि माथे पर मामूली घाव आए।
कितने लोग हुए घायल, रिकार्ड नहीं
3 वर्ष में जिले में चाइना डोर का शिकार बनने वालों की जानकारी न तो सिविल प्रशासन के पास है और न ही पुलिस प्रशासन के रिकार्ड में। जिला पुलिस द्वारा तीन वर्ष के दौरान विभिन्न स्थानों पर छापामारी करके 14 हजार के करीब गट्टू पकड़ कर विभिन्न थानों में कुल 16 मामले दर्ज हुए हैं।
एक भी थाने में चाइना डोर की एफआइआर नहीं
सोसायटी फॉर एक्सीडेंट एड एंड ट्रैफिक हेल्प (साथ) के राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर रमनीक सिंह खेड़ा कहते हैं कि चाइनीज डोर के खिलाफ अभियान तेज करने के लिए इमानदारी जरूरी है। प्रशासन की अनदेखी के कारण उक्त डोर की बिक रही है। हैरानी की बात है कि जिले के एक भी थाने में चाइना डोर के अवैध कारोबार की एफआइआर दर्ज नहीं हुई।
सख्त कानून की जरूरत: चब्बा
एडवोकेट नवजोत कौर चब्बा कहती हैं कि चाइनीज डोर की बिक्री रोकने के लिए विधानसभा में सख्त कानून होना चाहिए। उनका कहना हैं कि चाइनीज डोर की बिक्री पर सीआरपीसी की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाती है। धारा 325 व 307 के तहत एफआइआर दर्ज करने का प्रावधान होना चाहिए क्योंकि कई बार इस डोर से गला व श्वासनली तक कट जाती है।
प्रशासन को दें जानकारी: डीसी
इस बारे में डीसी कहते हैं कि चाइनीज डोर की बिक्री में किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई ढीली रही तो संबंधित थाना प्रभारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। चाइनीज डोर बच्चों को खरीद कर देने की बजाए इसे बेचने वालों की जानकारी प्रशासन को दें।