बापू दे विछोड़े कारण बहुत दुखी आ बेबे..
तरनतारन : सैनिक साथी के हाथों गोलियों का शिकार हुए 18 सिख रेंजमेंट के हवलदार हरदीप सिंह (3396771 -एल) की मौत बाबत खबर सोमवार को शाम 5 बजे तक स्थानीय प्रशासन द्वारा उसके परिवार को नहीं दी गई। एक तरफ सैनिक हरदीप की मौत से परिवार दुखी था तो दूसरी तरफ प्रशासन की बेरुखी से खफा भी था।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : सैनिक साथी के हाथों गोलियों का शिकार हुए 18 सिख रेंजमेंट के हवलदार हरदीप सिंह (3396771 -एल) की मौत बाबत खबर सोमवार को शाम 5 बजे तक स्थानीय प्रशासन द्वारा उसके परिवार को नहीं दी गई। एक तरफ सैनिक हरदीप की मौत से परिवार दुखी था तो दूसरी तरफ प्रशासन की बेरुखी से खफा भी था।
विधान सभा हलका पट्टी के गांव मरहाणा निवासी ट्रक चालक चंचल सिंह के घर पैदा हुआ हरदीप सिंह 1996 में फौज में भर्ती हुआ उसका विवाह गांव वरपाल निवासी परमजीत कौर से हुआ। उनकी 12 वर्षीय लड़की जश्नदीप कौर व 10 वर्षीय लड़का अनमोलजीत सिंह है। हरदीप सिंह का छोटा भाई विदेश में रहता है। जबकि दो बहने कुलदीप कौर, संदीप कौर विवाहित हैं। सैनिक हरदीप सिंह के पिता चंचल सिंह और मां कश्मीर कौर मुंबई में रह कर ट्रक चलाते थे। बताया जा रहा है कि करीब डेढ़ माह पहले चंचल सिंह की मौत हो गई थी। पिता की मौत के बाद सैनिक हरदीप सिंह अपनी मां के अकेलेपन से काफी परेशान था। रविवार की रात को हरदीप सिंह ने पहले अपनी मां कश्मीर कौर से फोन पर बात की और फिर अपनी पत्नी परमजीत कौर से बातचीत करते हुए कहा कि 'बापू दी मौत तो बाद जदों दा मैं वापिस ड्यूटी ते (धर्मशाला) गिआ वां, उदों तो बेबे (मां) बहुत दुखी आ..। तू उहना नूं हुन बंबे न जान देवी ते उन्हां नो अपने कोल रख लै..। रविवार की रात को अपने साथी सैनिक जसबीर सिंह के हाथों गोलियों का शिकार हुए हवलदार हरदीप सिंह की मौत बाबत टीवी चैनलों पर खबर चलती रही। मीडिया कर्मी जब सैनिक हरदीप सिंह के घर पहुंचे तो किसी को भी इस अनहोनी की खबर नहीं थी। शाम 5 बजे तक प्रशासन का कोई भी अधिकारी सैनिक हरदीप सिंह के परिवार से न तो हमदर्दी जताने पहुंचा और न ही किसी ने बताया कि पार्थिक शरीर कब पहुंचेगा।
दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए मृतक हरदीप सिंह की मां कश्मीर कौर ने बताया कि रात ढाई बजे अचानक मेरी नींद टूट पड़ी तो दिल में तरह तरह के ख्याल आने लगे। मेरे कलेजे का टुकड़ा ड्यूटी पर शहीद हो जाएगा। यह मैने कभी नहीं सोचा था। सैनिक हरदीप सिंह की पत्नी परमजीत कौर, बेटी जश्नदीप कौर, लड़के अनमोलजीत सिंह को हौंसला देते प्रीतम कौर की आंखों से लगातार आंसू बहते रहे।
दो वर्ष बाद होना था सेवानिवृत्त
मां प्रीतम कौर ने बताया कि रात को हरदीप सिंह ने उसे दिलासा दिया था कि वह दो वर्ष बाद सेवानिवृत्ति ले कर घर लौट आएगा। हरदीप सिंह ने मां को दिलासा देते यह कहते फोन बंद कर दिया कि सुबह जल्दी उठ कर ड्यूटी देनी है, लेकिन क्या पता था कि हरदीप सिंह की मौत की खबर सुबह मिल जाएगी। लंबे समय तक शिकागो में तैनात रहे 18 वीं सिख रेजिमेंट के हवलदार हरदीप सिंह की मौत की खबर जब मिडिया कर्मियों के मार्फत गांव पहुंची तो परिवार ने सैनिक की पत्नी परमजीत कौर के परिजनों को बुलाया। परिजनों ने पहले परमजीत कौर को बताया कि उसके पति हरदीप सिंह को गोली लगी है। इसके बाद जब उसे पता चला कि उसके पति की मौत हो चुकी है तो दहाड़े मार कर रोने लगी।