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लीडरशिप से नाराज होकर टूट रहे पूर्व पार्षद, थाम रहे आप का दामन

विधानसभा चुनाव में हुई हार से आहत शिअद और कांग्रेस पार्टी की लीडरशिप अभी ग्राउंड लेवल पर सियासत करने से कतरा रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 May 2022 07:15 PM (IST)Updated: Sun, 29 May 2022 11:00 AM (IST)
लीडरशिप से नाराज होकर टूट रहे पूर्व पार्षद, थाम रहे आप का दामन
लीडरशिप से नाराज होकर टूट रहे पूर्व पार्षद, थाम रहे आप का दामन

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन

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विधानसभा चुनाव में हुई हार से आहत शिअद और कांग्रेस पार्टी की लीडरशिप अभी ग्राउंड लेवल पर सियासत करने से कतरा रही है। इसी कारण वर्करों में निराशा पाई जा रही है। चुनाव नतीजे के बाद तरनतारन में छठे पूर्व पार्षद ने आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक डा. कश्मीर सिंह सोहल की अगुआई में आप का दामन थाम लिया। विधायक सोहल ने भले ही आम आदमी पार्टी से संबंधित कई गुटों से दूरी बनाई है, पर वह अपना गुट तैयार करने में विश्वास रखते हैं। इसी के तहत पूर्व पार्षद सरबरिदर सिंह भरोवाल के आवास पर जाकर विधायक डा. कश्मीर सिंह सोहल ने उन्हें आप में शामिल करके बधाई दी। तीन बार विधायक रह चुके हरमीत सिंह संधू के करीबी माने जाते सरबरिदर सिंह भरोवाल के बाद विधायक सोहल अभी कई और नेताओं की सूची तैयार कर रहे हैं। नगर कौंसिल के चुनाव के मौके भाजपा की टिकट पर जीत दर्ज करवाने वाले सुरिदर सिंह मल्ली, गुरप्रीत गोल्डी, सतनाम सिंह मठाड़ू के अलावा शिअद की टिकट पर जीते डा. सुखदेव सिंह लौहुका, रंजीत सिंह राणा ने एक माह पहले ही रिवायती पार्टियों को छोड़कर विधायक सोहल की अगुआई में आप में शामिल हो गए थे। डा. सुखदेव लौहुका ने हर चुनाव के बाद बदला पाला

डा. सुखदेव सिंह लौहुका ऐसे पूर्व पार्षद हैं, जिन्होंने सबसे अधिक सियासी पार्टियां बदली हैं। कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़कर सियासत में कूदे डा. लौहुका 1992 में पहली बार पार्षद बने थे। इसके बाद उन्होंने शिअद के अलविदरपाल सिंह पखोके से संपर्क बनाया। बाद में डा. लौहुका पूर्व विधायक हरमीत सिंह संधू के साथ जुड़ गए। 2017 के चुनाव में कांग्रेस सरकार आते ही लौहुका ने तत्कालीन विधायक डा. धर्मबीर अग्निहोत्री की छत्रछाया में सियासी तौर पर अपनी पैठ बनाई। 2022 के चुनाव में आप की सरकार बनते ही लौहुका ने पाला बदल अब सोहल की अगुआई कुबूल ली। पहले भाजपा, फिर कांग्रेस और अब आप में सुरिदर मल्ली

2015 के नगर कौंसिल चुनाव में भाजपा की टिकट पर पार्षद का चुनाव जीते सुरिदर सिंह मल्ली ने 2017 के चुनाव में डा. धर्मबीर अग्निहोत्री का साथ दिया था। पांच वर्ष तक वह उनके साथ जुड़े रहे। 2022 के चुनाव में सत्ता में परिवर्तन आते ही मल्ली ने सियासी पाला बदला और आप के हो गए। सतनाम सिंह मठाड़ू का दल-बदली का दौर रहा जारी

इसी प्रकार भाजपा की टिकट पर 2015 में पहली बार पार्षद बने सतनाम सिंह मठाड़ू 2017 में राज्य की सत्ता में परिवर्तन होते ही कांग्रेस का साथ दिया। बाद में वे पूर्व विधायक हरमीत संधू की अगुआई में शिअद में गए। अब आप की सरकार आने के बाद मठाड़ू ने विधायक डा. कश्मीर सोहल की अगुआई में आप ज्वाइन कर ली। भाजपा, शिअद से होकर आप में आए गोल्डी

2015 में अनिल जोशी की अगुआई में भाजपा की टिकट पर पार्षद का चुनाव जीतने के बाद गुरप्रीत गोल्डी ने 2017 के चुनाव में कांग्रेस का साथ दिया था और पांच वर्ष साथ डटे रहे। विधानसभा चुनाव के दौरान गोल्डी ने शिअद के पूर्व विधायक हरमीत सिंह संधू से सिरोपा डलवाकर शिअद ज्वाइन कर ली थी। हालांकि आप की सरकार बनते ही गोल्डी भी आप में शामिल हो गए।


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