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पंजाबी हाथों ने कमाल कर दिखाया, पलायन से श्रमिकों का संकट गहराया तो खुुुद कदम बढ़ाया

पंजाब से बड़ी संख्या में बाहरी राज्यों के श्रमिक अपने घरों की ओर जा रहे हैं। ऐसे में श्रमिकों का संकट गहराया तो यहां के लोगों ने खुद काम के लिए कदम बढ़ाया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 11 May 2020 08:51 AM (IST)Updated: Mon, 11 May 2020 08:51 AM (IST)
पंजाबी हाथों ने कमाल कर दिखाया, पलायन से श्रमिकों का संकट गहराया तो खुुुद कदम बढ़ाया
पंजाबी हाथों ने कमाल कर दिखाया, पलायन से श्रमिकों का संकट गहराया तो खुुुद कदम बढ़ाया

तरनतारन [धर्मबीर सिंह मल्हार]। गेहूं और धान की बिजाई से लेकर कटाई तक दूसरे राज्यों के श्रमिकों पर निर्भर रहने वाले किसान इस बार उनके वापस लौट जाने की वजह से परेशान हैैं। पूरे पंजाब की तरह तरनतारन से भी बड़ी संख्या में श्रमिकों ने अपने गृह राज्यों का रुख कर लिया। जिस कारण जिले की मंडियों में भी श्रमिक संकट गहराने लगा, लेकिन इस सबके बीच लॉकडाउन का शिकार पंजाबी श्रमिक न केवल किसानों और आढ़तियों की डाल बने बल्कि अपनी आजीविका कमाने के लिए मंडियों में पहुंच गए। रिक्शा चालक, कपड़ा सिलाई का काम करने वालों से लेकर छोटी दुकानों में हेल्पर का काम करने वाले युवाओं ने धरती से उगे सोने की सफाई का काम अपने हाथों में ले लिया।

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जिला मंडी समेत जिले के अलग-अलग खरीद केंद्रों पर दूसरे राज्यों के श्रमिकों सहित पंजाबी श्रमिक भी बड़ी संख्या में काम करते नजर आने लगे हैैं। आढ़तियों के अनुसार मंडियों में करीब चालीस फीसद काम पंजाबी श्रमिकों ने संभाल लिया है और इनकी संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। यह पंजाब के लिए अच्छे संकेत भी हैैं।

उम्मीद है कि गेहूं खरीद के बाद यह लोग धान की बिजाई के लिए भी आगे आएंगे। जिससे पंजाब के किसानों को मदद मिलेगी। पहली बार मंडी में काम कर रहे पंजाबी श्रमिकों विरसा सिंह, भगवान सिंह, नत्थूमल्ल, पीने शाह, गुरदेव सिंह, पिंदर सिंह ने कहा कि लॉकडाउन के कारण दो वक्त की रोटी कमाने की चिंता सता रही थी। परंतु गेहूं के सीजन ने न केवल काम करने का अवसर दिया बल्कि कमाई के द्वार भी खोल दिए।

पंजाबी श्रमिकों ने किसानों के साथ 234 आढ़तियों को दी राहत

तरनतारन की अनाज मंडी के आढ़ती गुरमिंदर सिंह रटौल, मेहर सिंह चोताला, यशपाल शर्मा, पवन ढोटियां, विजयपाल चौधरी, हंसराज चौधरी ने कहा कि मंडी में 234 आढ़ती हैं। हर एक के पास करीब 15 से 20 श्रमिक काम करते थे। इनमें सबसे अधिक संख्या बाहरी राज्यों से संबंधित थी, परंतु उनकी वापसी शुरू होने से चिंता बढ़ गई थी, लेकिन अब पंजाबी श्रमिकों ने जिस तरह जोश दिखाया है उससे मंडियों की रौनक लौट आई है और पंजाबी हाथों ने कमाल कर दिखाया है। मंडी में करीब 1200 ऐसे मजदूर काम पर डटे हैं, जिन्होंने पहली बार किसान के सोने की कीमत को जाना है।

गेहूं की सफाई ही नहीं, धान की बिजाई भी करेंगे

मंडी में काम करने वाले बाहरवीं पास जगरूप सिंह ने कहा कि वह और उसका चचेरा भाई सविंदर सिंह पहले लेडीज सूट कटिंग और कपड़े सिलने का काम करते थे परंतु काम बंद हो जाने के कारण उन्होंने मंडी में आकर मेहनत करने की ठान ली। वह अपने उन दोस्तों को भी मंडी में काम करने के लिए ले आए जो काम न होने के कारण परेशान थे। अब वह सब जी-जान से काम करने में जुटे हैैं। आने वाले दिनों में धान की बिजाई भी करेंगे।


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