बिना मास्क घूमने वाले लोगों के सैंपल तो लिए जा रहे पर उन पर नहीं रखी जा रही नजर
घर से निकलने से पहले जो लोग मास्क नहीं पहनते उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने वाली पुलिस द्वारा भले ही ठोस कार्रवाई के नाम पर उनके सैंपल लिए जा रहे है।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन :
घर से निकलने से पहले जो लोग मास्क नहीं पहनते उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने वाली पुलिस द्वारा भले ही ठोस कार्रवाई के नाम पर उनके सैंपल लिए जा रहे है। परंतु कोरोना पाजिटिव पाए गए लोग यकीनन तौर पर अपने घरों में रहते है या फिर पहले की तरह घूम रहे है। इस बाबत प्रशासन के पास ठोस जानकारी नहीं।
चार अप्रैल से लेकर 19 अप्रैल तक जिले भर की पुलिस द्वारा जगह-जगह नाके लगाकर 456 लोगों के सैंपल लिए गए। यह वह लोग हैं जो बिना मास्क के घूमते थे। इन 456 लोगों में से अब तक 42 लोग कोरोना पाजिटिव पाए गए हैं। अब बात करें ग्राउंड लेबल की तो सैंपल लेने के तुरंत बाद उनकी रिपोर्ट नहीं आती। आम तौर पर एक दिन बाद या छुट्टी के दिनों में दूसरे दिन रिपोर्ट आती है। इतने समय तक लोग खुलेआम घूमते रहते है। कोरोना बाबत लिए गए सैंपल की रिपोर्ट अगर दूसरे दिन भी आती है तो मरीज को उसी दिन नहीं ढूंढा जाता। कई बार सेहत विभाग की लापरवाही इस कदर होती है कि रिपोर्ट पाजिटिव आने के दूसरे दिन में मरीज को फतेह किट मुहैया करवाते होम आइसोलेट किया जाता है। वैसे आशा वर्करों द्वारा इन मरीजों की जांच करने का दावा किया जाता है। परंतु यह दावा कागजों तक ही सीमत है। अब बात करें पुलिस विभाग द्वारा लिए जाते सैंपल की तो बिना मास्क घूमने वाले व्यक्ति का सैंपल लेने मौके केवल उसका नाम, उम्र, पता पूछकर मोबाइल नंबर नोट किया जाता है। इसके आधार पर सेहत विभाग पाजिटिव पाए गए मरीज को ट्रेस करता है। सेहत खराब होने पर ही किया जाता है दाखिल
सिविल सर्जन डा. रोहित मेहता कहते है कि कोरोना पाजिटिव पाए गए व्यक्ति की सेहत व रोग बाबत डिटेल ली जाती है। अगर पाजिटिव व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत, शूगर, ब्लड प्रेशर या कोई गंभीर बीमारी की शिकायत हो तो उसे आइसोलेशन वार्ड में दाखिल किया जाता है। अगर पाजिटिव व्यक्ति की सेहत नार्मल हो तो उसे घर में ही आइसोलेट किया जाता है। उन्होंने दावा कि जिले में ऐसी एक भी शिकायत सामने नहीं आई, जिसमें कोरोना पाजिटिव व्यक्ति कहीं घूम रहा हो।