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दिन-रात शहर को सैनिटाइज करने में जुटे रमेश

शहर को कोरोना से बचाने के लिए सैनिटाइज करने का कार्य बेहद जरूरी है। इस कार्य में वह अपनी टीम सहित पिछले 12 दिनों से जुटे हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 11:38 PM (IST)Updated: Fri, 03 Apr 2020 06:10 AM (IST)
दिन-रात शहर को सैनिटाइज करने में जुटे रमेश
दिन-रात शहर को सैनिटाइज करने में जुटे रमेश

संवाद सहयोगी, संगरूर : शहर को कोरोना से बचाने के लिए सैनिटाइज करने का कार्य बेहद जरूरी है। इस कार्य में वह अपनी टीम सहित पिछले 12 दिनों से जुटे हुए हैं। इस बड़ी जिम्मेदारी को निभा रहे हैं नगर कौंसिल के कार्यसाधक अधिकारी रमेश कुमार। कार्यसाधक अधिकारी रमेश कुमार ने कहा कि प्रशासन द्वारा पूरे शहर में इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए दवा का छिड़काव करने के लिए उनकी टीम की ड्यूटी लगी है। वह बड़ी ही मुस्तैदी से शहर के हर कोने में दवा का छिड़काव करवा रहे हैं। जब से क‌र्फ्यू लगा है, उसी दिन से उनकी दिनचर्या काफी प्रभावित हुई है। सुबह चार बजे उठकर पहले तो उन क्षेत्रों की लिस्ट बनाते हैं जहां-जहां दवा का छिड़काव करवाना होता है। उसके बाद टीम की लगाई हुई ड्यूटियों को चेक करते हैं। काम करते हुए दिन कब ढल जाता है पता ही नहीं चलता। क‌र्फ्यू में स्पेशल ड्यूटी के साथ-साथ शहर की सफाई सहित कई अन्य जरूरी कार्यों की निगरानी रखनी पड़ती है, बड़ी जिम्मेदारी है सब मेनटेन रखना। आज कल परिवार को भी समय नहीं दे पा रहे हैं। पहले शनिवार व रविवार की छुट्टी होती थी तो घर वालों के साथ समय बिता लेते थे व दफ्तरी कामकाज निपटाते थे। अब दफ्तरी कामकाज निपटाने का अधिक वक्त नहीं है, क्योंकि दिन भर शहर को सैनिटाइज करने में दिन गुजर जाता है। घर वालों को पहले ही समझा दिया था कि पूरे शहर के बच्चे भी मेरा परिवार हैं जिन्हें बचाने में उनकी भी अहम भूमिका साबित होगी।

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जरूरतमंदों को दूध भी बांट रहे

दवा के छिड़काव के लिए आठ टीमों का गठन किया है जो तंग गलियों में कंधे पर स्प्रे वाली मशीन से दवा का छिड़काव करते हैं। सड़कों, पार्कों व दफ्तरों में फायर ब्रिगेड की गाड़ियों से भी दवा का छिड़काव किया जा रहा है। प्रशासन ने उनकी ड्यूटी जरूरतमंद परिवारों के पास दूध पहुंचाने की भी लगाई है। इस सेवा को भी वह भली भांति पूरा करने में जुटे रहते हैं। दफ्तर से रात के 10 बजे घर के लिए रवाना होते हैं क्योंकि छिड़काव के बाद घातक दवा को संभालने में भी समय लग जाता है। यह कार्य वह अपनी निगरानी में करवाते हैं। वह आजकल रात को 11:30 बजे सोते हैं। इस संकट के घड़ी में उनको परिवार से अधिक देश प्यारा है।


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