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कबाड़ से खरीदी वैन में जिंदा जले थे मासूम, फिर भी सड़कों पर मौत बनकर घूम रहे कंडम, ओवरलोड और तेज रफ्तार वाहन

कंडम तेज रफ्तार व ओवरलोड वाहन शहर की सड़कों पर मौत बनकर घूम रहे हैं। इसके बावजूद न तो सड़कों पर कंडम वाहनों का दौड़ना बंद हुआ है न ही तेज रफ्तार वाहनों पर लगाम कसी गई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 03:04 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 06:47 AM (IST)
कबाड़ से खरीदी वैन में जिंदा जले थे मासूम, फिर भी सड़कों पर मौत बनकर घूम रहे कंडम, ओवरलोड और तेज रफ्तार वाहन
कबाड़ से खरीदी वैन में जिंदा जले थे मासूम, फिर भी सड़कों पर मौत बनकर घूम रहे कंडम, ओवरलोड और तेज रफ्तार वाहन

जागरण संवाददाता, संगरूर : कंडम, तेज रफ्तार व ओवरलोड वाहन शहर की सड़कों पर मौत बनकर घूम रहे हैं। इसके बावजूद न तो सड़कों पर कंडम वाहनों का दौड़ना बंद हुआ है न ही तेज रफ्तार वाहनों पर लगाम कसी गई। तूड़ी व फूंस से भरे भारी वाहन दिन के उजाले व रात के अंधेरे में सड़कों पर आम दिखाई देते हैं। इन पर कोई रोक-टोक नहीं । वहीं, सड़कों के किनारे खड़े वाहन धुंध व रात के समय काल से कम नहीं है। इन वाहनों से टकराकर कई वाहन दुर्घटनाओं के शिकार हुए हैं। 2020 में ही ग्यारह महीने में 136 सड़क हादसे हो चुके हैं, जिनमें 73 लोगों की जान गई और कई घायल हुए।

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- बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के दौड़ते वाहन

वाहनों की फिटनेस की जांच के लिए बेशक विभाग ने कड़े नियम बनाएं हैं, लेकिन कंडम ट्रक, ट्रैक्टर-ट्रालयां, टिपर, चार पहिया वाहन सड़कों पर दौड़ते आम दिखाई देते हैं। महानगरों में कंडम करार दिए वाहन यहां बिना किसी रोक-टोक के चलते हैं। यहां तक की वाहन बिना फिटनेस जांच के ही चल रहे हैं। इसमें स्कूलों में इस्तेमाल की जाने वाली बसें भी शामिल हैं, जिनकी खस्ता हालत स्कूली विद्यार्थियों के लिए भी बेहद खतरनाक हैं। 15 फरवरी को ही संगरूर के लोंगोवाल इलाके में कबाड़ से खरीदी वैन को स्कूल वाहन के तौर पर इस्तेमाल करते समय अचानक आग लगने से चार मासूम बच्चों की जिंदा जिदा जलने से मौत हो गई थी।

- ओवरलोड वाहन, ट्रैक्टर ट्राली व जुगाड़ू वाहनों की भरमार

वाहनों पर क्षमता से अधिक सवारियों हो या माल लोड करके चलना अब आम हो गया है। माल ढोने के लिए बने छोटे टैंपों सवारियां ढोने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। वहीं, ट्रैक्टर-ट्रालियां, टैंपो, ट्रक-ट्राले भी ओवरलोड माल ढो रहे हैं। जनरेटर से बनाए गए पीटर रेहड़ों को भी लोग सामान ढोने के लिए मुख्य सड़कों पर लेकर आ जाते हैं। इन वाहनों का न तो कोई फिटनेस सर्टिफिकेट हैं और न ही आरसी। यह वाहन हर दिन हादसों का कारण बन रहे हैं, जबकि परिवहन विभाग व ट्रैफिक पुलिस के सामने जमकर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

- सड़कों पर आधे-अधूरे निर्माण कार्य, सड़कों पर घूमते मवेशी:-

बेशक बठिडा से चंडीगढ़ तक शानदार हाईवे संगरूर शहर से सटा है, लेकिन इस रोड पर अधिकतर ओवरब्रिज, पुल के नीचे या अन्य जगहों, चौक-चौराहों पर लाइटों का कोई प्रबंध नहीं है। लाइटें खराब पड़ी हैं, जिनकी मरम्मत तक नहीं हो रही। सड़कों पर घूमते मवेशी हादसों का कारण बन रहे हैं। गत वर्ष दौरान एक माह में नौ लोगों की जान सड़कों पर मवेशियों के कारण हुई, जिसके बाद बेशक मवेशियों को पकड़ने के लिए अभियान आरंभ हुआ, लेकिन दिसंबर तक संगरूर को मवेशी मुक्त करने का अभियान सफल न हुआ।

- सड़क पर गलत पार्किंग, सड़क पर खड़े खराब वाहन:-

संगरूर-मैहलां, संगरूर से सुनाम रोड, संगरूर-धूरी रोड, खनौरी, दिड़बा इलाके में सड़कों के किनारे खड़े ट्रक हादसों का कारण बनते हैं। मैहलां रोड पर इंडियन आयल डिपो के दोनों तरफ ट्रकों की कतारें हर वक्त लगी रहती हैं। वहीं, धूरी रोड पर राइल मिल के सामने भी ट्रकों का जमावड़ा लगा रहता है। धूरी रोड पर लगने वाले ट्रकों के जमावड़े के खिलाफ कई बार धरने प्रदर्शन भी लग चुके हैं, लेकिन समस्या का कोई हल नहीं हुआ। इन ट्रकों की गलत पार्किंग के कारण हर दिन सड़क हादसे होते रहते हैं। संगरूर के दिल्ली रोड पर मौजूद वाहनों की मरम्मत की वर्कशाप के बाहर भी सड़कों तक वाहन लगाकर इनकी मरम्मत की जाती है।

- लगातार करते हैं वाहनों की जांच:-

आरटीए करणवीर सिंह छिन्ना ने बताया कि वाहनों की लगातार चेकिग करते रहते हैं। फिटनेस में सही न पाए जाने वालों का तुरंत चालान काटा जाता है या अधिक नकारा हुए वाहनों को जब्त कर दिया जाता है। उनकी तरफ से लगातार नाके लगाकर वाहनों की जांच की जाती है। फिर भी कहीं कोई कमी है तो उसे दुरुस्त किया जाएगा। लोग अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए ट्रैफिक नियमों की गंभीरता से पालन करें।


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