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संयुक्त किसान मोर्चा भारत की ओर से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा

किसान आंदोलन दौरान हुई हिसा में पुलिस द्वारा पकड़कर जेल में डाले गए किसान नेताओं व नौजवानों की रिहाई की मांग को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा भारत की ओर से एडीसी अनमोल सिंह धालीवाल संगरूर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 07:42 AM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 07:42 AM (IST)
संयुक्त किसान मोर्चा भारत की ओर से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा
संयुक्त किसान मोर्चा भारत की ओर से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा

संवाद सहयोगी, संगरूर

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किसान आंदोलन दौरान हुई हिसा में पुलिस द्वारा पकड़कर जेल में डाले गए किसान नेताओं व नौजवानों की रिहाई की मांग को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा भारत की ओर से एडीसी अनमोल सिंह धालीवाल संगरूर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया। वफद में शामिल जिला प्रधान रण सिंह चटठा, प्यारा सिंह व जीवन सिंह ने कहा कि संघर्ष दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से झूठे केस बनाकर कई किसान नेताओं व नौजवानों को जेल में बंद कर रखा है। उन्हें सरकारी एजेंसियों की ओर से डराया धमकाया जा रहा है कि वह खुद को हिसा के लिए जिम्मेदार मांने। उन्होंने कहा कि ज्ञापन में मांग की गई है कि कैद किए नौजवानों व नेताओं को तुरंत रिहा किया जाए, उन्हें नोटिस भेजकर डराना बंद किया जाए, किसान संगठनों के खिलाफ दर्ज किए झूठे मामले रद्द किए जाएं। यदि ऐसा न हुआ तो रिहाई के लिए किसान संगठन संघर्ष को तेज करेंगे। इस मौके वफद में बिदरपाल सिंह भाकियू राजेवाल, जसदीप सिंह व सतवंत सिंह लोंगोवाल किरती किसान यूनियन व हरजीत सिंह मंगवाल भाकियू राजेवाल उपस्थित थे। --------------------

किसानों द्वारा विभिन्न जगहों पर धरना जारी

संवाद सहयोगी, बरनाला

कृषि कानून को लेकर किसानों द्वारा 1 अक्टूबर से लगातार 147 दिनों से संघर्ष किया जा रहा है। जिसके चलते रेलवे स्टेशन पार्किग, आधार माल, बरनाला बाजाखाना रोड शापिग मॉल, धनौला, संघेडा, पेट्रोल पंप समेत बड़बर व महलकलां टोल प्लाजा, भाजपा के जिला प्रधान यादविदर शंटी की रिहायश लकी कालोनी गली नंबर दो व भाजपा पंजाब वाइस प्रधान अर्चना दत्त शर्मा की रिहायश लकी कालोनी गली नंबर पांच समक्ष पक्का मोर्चा लगाकर धरना दिया व संघर्ष जारी रखा गया। कृषि कानून रद्द करवाने के लिए किसानों द्वारा शांतमय संघर्ष किया जा रहा है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा कानून रद्द ना करने को लेकर किसान अपनी मांगो पर अड़़े है व लगातार संघर्ष कर रहे है।


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