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सियाचीन में शहीद होने वाले तीन जवान पंजाब के, शहीद वीरपाल की सैन्य सम्मान से अंत्येष्टि

सियाचिन में हिमस्खलन के कारण बर्फ में दबने से शहीद हुए सेना के चार जवानों मेंं से तीन पंजाब के थेेे। आज शहीद हुए वीरपाल की सैन्य सम्मान के अंत्येष्टि की गई।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 12:07 PM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 05:11 PM (IST)
सियाचीन में शहीद होने वाले तीन जवान पंजाब के, शहीद वीरपाल की सैन्य सम्मान से अंत्येष्टि
सियाचीन में शहीद होने वाले तीन जवान पंजाब के, शहीद वीरपाल की सैन्य सम्मान से अंत्येष्टि

संगरूर [मनदीप कुमार]। सियाचिन में हिमस्खलन के कारण बर्फ में दबने से शहीद हुए सेना के चार जवानों मेंं से तीन पंजाब के थेेे। पंजाब के शहीद हुए जवानों में अजनाला के धोनेवाला गांव निवासी शहीद हुए जवानों में सिपाही मनिन्द्र सिंह, होशियारपुर जिले की मुकेरियां की सैदों तहसील के निवासी सिपाही डिंपल कुुुुुमार व संगरूर जिले के मलेरकोटला के गांव गुआरा निवासी सैनिक वीरपाल सिंह शामिल हैं। शहीद वीरपाल का आज उनके पैतृक गांव में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया।

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शहीद वीरपाल का तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर जैसे ही गांव पहुंचा तो शहीद के अंतिम दर्शनोंं के लिए लोग उमड़ पड़े। हर कोई अपने लाल को विदाई दे रहा था। प्रशासन की तरफ से एसडीएम विक्रमजीत पहुंचे। उन्होंने शहीद की माता मनजीत कौर व पिता कृपाल सिंह को हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया। 

गुआरा निवासी वीरपाल भारतीय सेना की पंजाब रेजमेंट में डेढ़ वर्ष पहले ही भर्ती हुए थे। बीरपाल की शहादत की घर व गांव में मातम का माहौल छा गया है। तीन बहनों व दो भाइयों में से सबसे छोटे बीरपाल सिंह की शहादत ने पूरे परिवार को झिंझोड़ दिया। घर में विलाप मचा हुआ है। शहादत की खबर के बाद से ही गांव के लोग शहीद के घर पर जमा हो गए थे। पार्थिव शरीर घर पहुंचने के बाद परिजन फूट-फूट कर रोने लगे। 

सेना के जवान मनदीप सिंह व जसविंदर सिंह ने कहा कि शहीद वीरपाल सिंह सहित अन्य जवानों की ड्यूटी ग्लेशियर पर लगी हुई थी। अचानक बर्फीले चफान की चपेट में आने के कारण टुकड़ी के जवान शहीद हो गए। गांव गुआरा के पंच जगदीप सिंह ने बताया कि शहीद वीरपाल एक बहुत ही गरीब परिवार से संबंध रखता था। उसके माता-पिता ने बहुत ही मुश्किल दौर से गुजरते हुए उसे सेना में भर्ती करवाया, लेकिन परमात्मा को कुछ और ही मंजूर था।

मात्र डेढ़ वर्ष ही वीरपाल को देश की सेवा करने मौका मिला। शहीद के पिता कृपाल सिंह, माता मनजीत कौर, तीन बहनें हरप्रीत कौर, अमनदीप कौर, सरबजीत कौर व बड़ा भाई कुलदीप सिंह की जिम्मेदारी वीरपाल सिंह के कंधों पर थी।

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