भगवान महावीर के उपदेश अच्छाई की तरफ ले जाते हैं : अजित मुनि
संगरूर भगवान महावीर स्वामी ने आज से करीब ढाई हजार वर्श पहले ऐसे उपदेश दिए जो हमें अच्छाईयों की ओर ले जाते हैं। भगवान ने जहां संतों को व्रत अंगीकार रने के लिए कहा वहीं श्रावक के लिए भी श्रावक के 12 व्रत स्वीकार कर अपने जीवन को उचाईयों की ओर ले जाने के लिए व्रत अंगीकार करने के लिए कहा है।
जागरण संवाददाता, संगरूर :
भगवान महावीर स्वामी ने आज से करीब ढाई हजार वर्श पहले ऐसे उपदेश दिए जो हमें अच्छाईयों की ओर ले जाते हैं। भगवान ने जहां संतों को व्रत अंगीकार रने के लिए कहा वहीं श्रावक के लिए भी श्रावक के 12 व्रत स्वीकार कर अपने जीवन को उचाइयों की ओर ले जाने के लिए व्रत अंगीकार करने के लिए कहा है। श्रावक के 12 व्रतों पर चर्चा करते जैन स्थानक मोहल्ला मैगजीन में विराजत जैन संत प्रवचन भास्कर अजित मुनि महाराज ने तीसरे व्रत पर चर्चा करते कहा कि ¨हसा भी चोरी, है, झूठ भी चोरी है, किसी वस्तु को छुपाना भी चोरी है। चोरी बहुत बड़ा सामाजिक अपराध है। चोरी करने वाले की ईमानदारी खत्म हो जाती है, बच्चों में कुसंस्कार पैदा होते हैं। मालिक की बिना आज्ञा के किसी वस्तु को उठाना भी चोरी माना गया है। सच्चे श्रावक को मोटी चोरी से बचकर रहना चाहिए। मुनि ने कहा कि साधु अगर गुरु की आज्ञा के बिना कुछ ग्रहण करता है तो वह भी चोरी है। आज मनुष्य गरीबी के कारण सामाजिक विशेषताओं के कारण समाज में अनचाहे टैक्सों के कारण भी लोग चोरी करते जा रहे हैं। चोरी, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचारी, बेईमानी रूकने की बजाए बढ़ती जा रही है। इसको रोकने के लिए संतोष वृति को लाना होगा। हम अपनी इच्छाओं को सीमित कर संतोष भाव में आने से इसको विराम लगा सकते हैं। श्रावक को तो कम से कम ऐसी चोरी का त्याग करना होगा। मुनि ने कहा कि हम राज्य विरुद्ध कोई कार्य न करें, कूट नापतोल न करें, नकली माल न दें, अगर हम ऐसा करते हैं तो हमारा तीसरा अनुव्रत सुरक्षित रहेगा। नवीन मुनि महाराज ने कहा कि हमें अपने घरों में संतों के चरण डलवाने से पहले आचरण को बदलना चाहिए तभी हमारे अंदर भी आचरण आएगा। गुरु यदि खुद संयम में है तो शिष्य में भी तभी संयम आएगा। क्षेत्र में आयमल की तपस्या में निशा व उषा जैन आज 5वें आयमल, जीवन जैन 110वें इकाशने व अतुल गोयल 91वें इकाशने में प्रवेश कर चुके हैं।