किसानों ने खुद शुरू की नालों की सफाई
शेरपुर (संगरूर) मानसून आ चुका है। सरकार ड्रेनेज की सफाई नहीं की किसान खुद करने में जुटे।
जागरण टीम, लहरागागा/शेरपुर (संगरूर) : मानसून आ चुका है। सरकार ड्रेनेज की सफाई करवाने के बड़े-बड़े दावे करती नजर आ रही है, लेकिन कहीं न कहीं यह दावे झूठे साबित होते नजर आ रहे हैं। इसकी मिसाल कोहरिया-घोड़ेनब ड्रेन से मिलती है।
पंजाब किसान यूनियन के प्रांतीय सचिव बलवीर सिंह जलूर ने बताया कि इस ड्रेन में सफाई का बुरा हाल है। किसान गुरप्रीत सिंह, जसवीर सिंह व जरनैल सिंह ने बताया कि संबंधित ड्रेन विभाग चुपचाप सबकुछ जानते हुए भी देख रहा है। उनकी ठेके पर ली फसल ड्रेन की सर्फाइ न होने से डूब रही है। ऐसे में वह खुद ही ड्रेन की सर्फाइ करने में जुट गए हैं। उन्होंने कहा कि अगर ड्रेन की सर्फाइ जल्द न हुई तो किसान संगठनों के सहयोग से संबंधित विभाग के खिलाफ मोर्चा खोला जाएगा। उधर, उधर शेरपुर में लसाड़ा ड्रेन की सफाई का काम किसानों द्वारा अपने तौर पर पैसे खर्च कर जेबीसी की मदद से करवाया जा रहा है। लसाड़ा ड्रेन गत कई वर्षों से सफाई न होने की वजह से फसलें तबाह करती आ रही है। ड्रेन में उगा घास व गिरे हुए पेड़ पानी को आगे जाने से रोक लेते है, जिससे पानी ओवरफ्लो होकर किसानों के खेतों में चला जाता है। ड्रेन विभाग के अधिकारियों द्वारा पानी की निकासी के लिए कोई प्रबंध नहीं किया गया है, जिससे परेशान होकर किसानों ने खुद अपने खर्चे पर जेबीसी मशीन की मदद से कच्चे पुल को उखाड़ने का काम शुरु कर दिया है। गांव फतेहगढ़ पंजागराइयां के किसान नेता सुखजिदर सिंह, हाकम सिंह, दविदर सिंह, जंग सिंह ने बताया कि वह कई वर्षों से संबंधित विभाग से ड्रेन की सफाई करने की मांग करते आ रहे हैं। लेकिन उनकी ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। घास व पेड़ों की वजह से लसाड़ा ड्रेन का पक्का पुल कहीं दिखाई नहीं दे रहा है। उन्होंने प्रभावित हुए किसानों के लिए सरकार से मुआवजे की मांग की है। सीनियर यूथ अकाली नेता गुरजीत सिंह ईसापुर ने कहा कि प्रत्येक वर्ष किसान ड्रेन की सफाई की मांग करते हैं। लेकिन समय पर सर्फाइ न होने से उनकी हजारों एकड़ फसल तबाह हो जाती है। मुआवजे की मांग भी केवल कागजी कार्रवाई बनकर रह जाती है।