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किराये के मकान में रहने को मजबूर स्वतंत्रता सेनानी का परिवार

संवाद सूत्र दिड़बा (संगरूर) देश को आजाद हुए 74 वर्ष पूरे हो गए। लेकिन गरीबी में जी रहा स्वंतत्रता सेनानी का परिवार।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 11:11 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 11:11 PM (IST)
किराये के मकान में रहने को मजबूर स्वतंत्रता सेनानी का परिवार
किराये के मकान में रहने को मजबूर स्वतंत्रता सेनानी का परिवार

संवाद सूत्र, दिड़बा (संगरूर) :

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देश को आजाद हुए 74 वर्ष पूरे हो गए। लोग आजादी का जश्न मनाकर अपने शहीदों व स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर उन्हें हर वर्ष श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं, लेकिन उन स्वतंत्रता सेनानियों का क्या, जिनके परिवार आज भी बदहाली का शिकार हैं। क्योंकि सरकारों ने आजादी के बाद आज तक देश के लिए कुर्बानी करने वालों व उनके परिवारों की सही तरीके से देखभाल नहीं कर सकीं। ऐसी ही दास्तां दिड़बा के एक स्वतंत्रता सेनानी व उसके परिवार की है।

वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा ले चुके स्व. राय सिंह का परिवार पिछले 18 वर्षों से किराए के मकान के रहने को मजबूर है। हालांकि उन्हें आज दुनिया को अलविदा कहे एक वर्ष हो चुका है, लेकिन उनके बाद उनका परिवार बेहद बदहाल जीवन जी रहा है। राय सिंह ने गरीबी की वजह से अपना पहला गांव रतनहेडी को छोड़ दिया था, जिसके बाद वे दिड़बा आकर किराये के मकान में रहने लगे। उनके अंतिम संस्कार व अंतिम अरदास पर सरकार व प्रशासन ने उनके परिवार को प्रत्येक मदद देने की बात कही थी, जो कि वादा ही रह गया।

राय सिंह के बेटे प्रगट सिंह ने कहा कि उनके पिता ने भारत छोड़ो आंदोलन में करीब छह महीने जेल काटी है। वह जिला पटियाला के गांव रत्‍‌नहेड़ी से थे। प्रगट सिंह अब मजदूरी करता है, जबकि उनका पोता राजविदर सिंह राजगिरी का काम कर परिवार का पेट पाल रहा है। प्रगट सिंह ने सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार द्वारा लंबे समय से देश के लिए जान गवाने वाले शहीदों व स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को प्रत्येक सुविधा देने की बातें कहीं जाती हैं, लेकिन आज भी बहुत से ऐसे स्वतंत्रता सेनानी व उनके परिवार है, जो दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर है।

उन्होंने कहा कि उनके लिए आजादी कोई मायने नहीं रखती है, क्योंकि उनके पिता ने देश के लिए पूरी जिदगी काम किया है, लेकिन आजादी के बाद उनका हाल किसी ने नहीं पूछा। यह देश की बदकिस्मती है कि देश को आजाद करवाने वाले खुद वर्षों तक किराये के मकान में रहकर भट्ठों पर मजदूरी करने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि वह अब तक सरकार की तरफ से उन्हें पक्के मकान की सुविधा का इंतजार है।

फ्रीडम फाइटर्स उत्तराधिकारी संगठन के प्रांतीय प्रधान हरिदर सिंह खालसा ने भी सरकार के प्रति ऐसे रवैये की निदा करते हुए कहा कि सरकार का स्वतंत्रता सेनानियों व उनके वारिसों के प्रति रवैया बेहद निंदनीय है। स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार आज भी बदहाली में हैं।


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