Move to Jagran APP

सियासत का 'नशा', रगों में बसा

पंजाब की सियासत का सबसे गंभीर मुद्दा नशा है जिसके दम पर हर राजनीतिक पार्टी सत्ता तो हासिल कर रही है लेकिन नशे के प्रकोप से सताई जनता को निजात दिलाने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही। वर्ष 2014 के दौरान नशे को मुद्दा बनाकर आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव के दौरान मैदान में उतरी व चार सीटों पर जीत हासिल की। विधानसभा 2017 चुनाव में कांग्रेस ने नशे को मुद्दा बनाकर उठाया व एक माह में पंजाब से नशा समाप्त करने की शपथ ली व सरकार बनाने में सफल हुए जिससे साफ है कि जनता समाज से नशे की जड़ों को उखाड़ फेंकने के लिए कितनी उत्सुक है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 May 2019 12:19 AM (IST)Updated: Mon, 13 May 2019 12:19 AM (IST)
सियासत का 'नशा', रगों में बसा
सियासत का 'नशा', रगों में बसा

मनदीप कुमार, संगरूर : पंजाब की सियासत का सबसे गंभीर मुद्दा नशा है, जिसके दम पर हर राजनीतिक पार्टी सत्ता तो हासिल कर रही है, लेकिन नशे के प्रकोप से सताई जनता को निजात दिलाने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही। वर्ष 2014 के दौरान नशे को मुद्दा बनाकर आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव के दौरान मैदान में उतरी व चार सीटों पर जीत हासिल की। विधानसभा 2017 चुनाव में कांग्रेस ने नशे को मुद्दा बनाकर उठाया व एक माह में पंजाब से नशा समाप्त करने की शपथ ली व सरकार बनाने में सफल हुए, जिससे साफ है कि जनता समाज से नशे की जड़ों को उखाड़ फेंकने के लिए कितनी उत्सुक है। शहरों की स्लम बस्तियों में नशे का कारोबार फलफुल रहा है। मेडिकल स्टोरों पर बेशक सीधे तौर पर नशे की बिक्री नहीं है, लेकिन ग्रामीण इलाकों मे मेडिकल नशे का कारोबार हो रहा है। वहीं मेडिकल नशे की अपेक्षा संथेटिक नशा (चिट्टा) ने संगरूर व बरनाला में पूरी पकड़ बनाई हुई है। अब तो नशा तस्करी में नाबालिग व महिलाओं को उतारा गया है, जो नशे की होम-डिलीवरी नशेड़ियों को कर रही हैं। पुलिस प्रशासन की आंखों के सामने नशे का कारोबार चल रहा है। हरियाणा राज्य से लगती संगरूर की सीमा से नशा पंजाब में पहुंच रहा है। वहीं दिल्ली में बैठे विदेशी नशा तस्करों के माध्यम से नशा इलाके में पहुंच रहा है। रेलगाड़ी, बसों, ट्रक ट्रांसपोर्ट सहित निजी वाहनों के माध्यम से नशा एक तरफ से दूसरी तरफ आसानी से पहुंच रहा हैं।

loksabha election banner

हरियाणा, राजस्थान, बिहार व दिल्ली से मौत के सामान की सप्लाई

संगरूर लोकसभा हलका की बात करें तो पिछले चार माह में तीन नौजवानों की मौत नशे के कारण हो चुकी हैं। पुलिस प्रशासन द्वारा भी बेशक अब नशा तस्करों को इन नौजवानों की मौत का जिम्मेदार मानते हुए सख्त धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जा रहा है, लेकिन पुलिस नशे की लगातार बढ़ती तस्करी की चेन को तोड़ पाने में सफल नहीं हो रही है। चुनाव के दौरान बेशक चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा है, लेकिन हरियाणा से अभी भी अवैध शराब व नशीले पदार्थों की तस्करी जारी है। पिछले समय के दौरान गिरफ्तार नशा तस्करों से पूछताछ में अक्सर नशीले पदार्थ को बिहार, राजस्थान, दिल्ली से लाने का खुलासा होता रहा है। हरियाणा से पंजाब की तरफ आते गुप्त रास्तों को नशा तस्कर आने-जाने के लिए इस्तेमाल करते हैं, बकायदा तौर पर इन रास्तों की लगातार रेकी भी की जाती है।

केस-1

20 दिसंबर को गांव रुपाहेड़ी वासी राष्ट्रीय स्तरीय कबड्डी खिलाड़ी बलकार सिंह उर्फ गोगी की दोस्त के घर में नशे की ओवरडोज के कारण मौत हुई। बलकार के पिता अवतार सिंह ने बताया था कि बेटे ने दोस्त के घर पर नशे का इंजेक्शन लगाया था, जिसके बाद वह सो गया था। कुछ देर बाद जब उसके दोस्त ने देखा तो बलकार के मुंह से झाग निकल रही थी, जब तक उसे अस्पताल ले जाया गया, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी पिता अवतार ने कहा कि सरकारें नशा खत्म करने के दावे करती हैं, लेकिन आसानी से उपलब्ध हो रहा नशा घरों को बर्बाद कर रहा है।

केस दो

संगरूर के नजदीकी गांव झनेड़ी गुरदीप सिंह की 21 फरवरी को नशे की ओवरडोज से मौत हुई। गुरदीप के बड़े भाई कर्म सिंह पुत्र शमशेर सिंह उर्फ शेरा वासी झनेड़ी ने बताया कि गुरदीप सिंह कंबाइन चलाने का काम करता था और तीन वर्ष से नशा करने का आदी था। उसको नशा मुक्ति केंद्र संगरूर व घाबदां में भर्ती भी करवाया था, जहां से उसने नशा छोड़ दिया था, लेकिन फिर दोबारा नशा करने लगा। 21 फरवरी को उभावाल रोड पर उसकी लाश मिली। जांच-पड़ताल मे सामने आया कि उसने नजदीक की बस्ती से ही चिट्टा खरीदा व चिट्टे की ओवरडोज से ही उसकी मौत हुई। शमशेर का कहना है कि नशा परिवारों को लील रहा है, लेकिन सरकारें व राजनीतिक पार्टियां केवल नशे पर सियासत करने तक सीमित हैं।

केस तीन

धूरी के नजदीकी गांव ईसी वासी इंद्रपाल की 12 अप्रैल को नशे की ओवरडोज से मौत हुई। इंद्रपाल के पिता बलविदर सिंह ने बताया कि 24 वर्षीय इंद्रपाल सिंह की एक माह पहले ही शादी हुई थी। 12 अप्रैल को इंद्रपाल सिंह दोस्त कमलजीत सिंह के पास गांव कातरों में गया था, जहां से कमलजीत सिंह इंद्रपाल को कुलविदर कुमार वासी बादशहापुर के पास ले गया, जहां उन्होंने किसी अज्ञात व्यक्ति से नशा खरीदा व वापस गांव कातरों में आकर नशा कर लिया। नशे की ओवरडोज के कारण इंद्रपाल की मौत हो गई। बलविदर सिंह ने कहा कि पुलिस ने अज्ञात नशा तस्कर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था, लेकिन अभी तक कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई है।

दो हजार नशा तस्कर नामजद, बरामद नशे का भंडार

वर्ष 2018 से 15 अप्रैल 2019 तक संगरूर व बरनाला पुलिस ने एक्साइज एक्ट के 957 व एनडीपीएस एक्ट के 632 मामले दर्ज किए हैं। वहीं 2035 नशा तस्करों को नामजद किया। पुलिस ने 25 किलो अफीम, 2026 किलो भुक्की, नशीली गोलियां व कैप्सूल 3,75,693, इंजेक्शन 2310, हरे पौधे 61 किलोग्राम, चरस 779 ग्राम, रेडकफ-रैक्सकैफ 2112 शीशियां, सुल्फा 440 किलो, स्मैक 1.104 किलो, सफेद पाउडर 482 ग्राम, भांग 10 किलो, हेरोइन 1.779 किलो, देसी ठेका शराब 83,083.750 लीटर, नाजायज शराब 190.500 लीटर, अंग्रेजी शराब 368.250 लीटर, स्परिट 27 लीटर व लाहन 1225 लीटर बरामद की।

1200 ग्राम का चिट्टा अब 6 हजार रुपये में

गत दिवस कांग्रेस की चुनावी रैली के दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन ने अपना सीना ठोकते हुए कहा कि चार सप्ताह में नशे की कमर पंजाब में तोड़ने का जो वादा किया था, वह पूरा कर दिखाया है। चिट्टे की पंजाब में सप्लाई की चेन को तोड़ने में सफल हुए हैं, जिस कारण पहले जहां चिट्टा 1200 रुपये प्रति ग्राम मिल रहा था, वहीं अब 6 हजार रुपये प्रति ग्राम मिल रहा है। पंजाब में नशा खत्म नहीं हुआ, लेकिन हमने नशा कम कर दिया है।

एक्सपर्ट के व्यू

सेंटर में आने वाले मरीजों से बातचीत के दौरान सामने आता है कि नशा कितनी आसानी से उन पर पहुंचता है। जिस कारण नौजवान तेजी से नशे की गिरफ्त में फंस रहे हैं व नशे का कारोबार फैल रहा है। नशे की इस चेन को तोड़ना बेहद जरूरी है। इस चेन को तोड़ने में लोगों को खुद आगे आना होगा व इलाके में नशा बेचने वालों को दबोचना होगा। अगर लोग सरकारों पर आस टिकाकर नशा खत्म होने का इंतजार करते रहेंगे तो नशा खत्म होना संभव नहीं है।

मोहन शर्मा, लेखक व प्रोजेक्ट डायरेक्टर, नशा मुक्ति केंद्र संगरूर

नशे को समाज से खत्म करने में सबसे अहम भूमिका पुलिस ही अदा कर सकती है। पुलिस की कार्रवाई में राजनीतिक दखलंदाजी ने नशे को हवा दी है। अगर पुलिस प्रशासन को फ्री हैंड देकर नशे को समाज से खत्म करने के आदेश दिए जाए तो नशा खत्म करना मुश्किल नहीं है। अब तो महिलाएं व लड़कियां न केवल खुद नशे का सेवन करती हैं, बल्कि नशे का कारोबार भी करने लगी हैं।

डॉ. एएस मान, प्रधान, साइंटिफिक एवेयरनेस एंड सोशल वेलफेयर फोरम

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.