सपना ने बास्केटबाल में पूरा किया स्वर्ण पदक जीताने की सपना
संगरूर न पैरों में पहनने के लिए जूते और न ही खेलने के लिए अपनी बास्केटबाल, लेकिन फिर भी अपने हौसले की बदौलत संगरूर की सपना ने पुणा में हुए खेलो इंडिया खेलो नेशनल बास्केटबाल मुकाबलों में अंडर-17 पंजाब की टीम में शामिल होकर अपनी टीम को स्वर्ण पदक जिताया। स्वर्ण पदक जीतकर संगरूर पहुंची सपना का आज शहर निवासियों, कोच सहित अन्य खेल प्रेमियों ने भव्य स्वागत किया। एक अति गरीब परिवार की बेटी सपना की इस कामयाबी की सभी ने खूब प्रशंसा की। शानदार जीत प्राप्त करके लौटी सपना के परिवार में जश्न का माहौल बना रहा और लोगों ने परिवार सहित सपना को बधाई दी। सपना ने कहा कि वह बास्केटबाल में अपने देश के लिए एशियन मुकाबलों में स्वर्ण पदक जीतना चाहती है, ताकि वह भारत को स्वर्ण पदक दिलाकर अपने परिवार के नाम को रोशन कर सके।
जागरण संवाददाता, संगरूर
न पैरों में पहनने के लिए जूते और न ही खेलने के लिए अपनी बास्केटबाल, लेकिन फिर भी अपने हौसले की बदौलत संगरूर की सपना ने पुणे में हुए खेलो इंडिया खेलो नेशनल बास्केटबाल मुकाबलों में अंडर-17 पंजाब की टीम में शामिल होकर अपनी टीम को स्वर्ण पदक जिताया। स्वर्ण पदक जीतकर संगरूर पहुंची सपना का आज शहर निवासियों, कोच सहित अन्य खेल प्रेमियों ने भव्य स्वागत किया।
एक अति गरीब परिवार की बेटी सपना की इस कामयाबी की सभी ने खूब प्रशंसा की। शानदार जीत प्राप्त करके लौटी सपना के परिवार में जश्न का माहौल बना रहा और लोगों ने परिवार सहित सपना को बधाई दी। सपना ने कहा कि वह बास्केटबाल में अपने देश के लिए एशियन मुकाबलों में स्वर्ण पदक जीतना चाहती है, ताकि वह भारत को स्वर्ण पदक दिलाकर अपने परिवार के नाम को रोशन कर सके।
उल्लेखनीय है कि स्थानीय राजगढ़ बस्ती निवासी मलकीत ¨सह की पुत्री सपना ने पुणा में हुई अंडर-17 के अधीन पंजाब की टीम की तरफ से हिस्सा लिया। 20 जनवरी तक हुए बास्केटबाल मुकाबले में पंजाब की टीम का तमिलनाडु की टीम से मुकाबला हुआ, जिसमें पंजाब की टीम ने तमिलनाडु की टीम को 76-71 अंक से मात देकर पहला स्थान हासिल करके स्वर्ण पदक जीता। नेशनल पदक हासिल करने वाली सपना इससे पहले राजस्थान में हुए मुकाबलों में भी टीम को स्वर्ण पदक जीत चुकी है। इसके अलावा राज्य स्तरीय मुकाबलों में कई पदक जीत हुई है। सपना ने अपने कोच गुर¨वदर ¨सह, कोच राजवीर ¨सह व खेल अफसर योगराज ¨सह का आभार जाहिर किया कि इनकी बदौलत ही वह आज यह मुकाम हासिल करने में सफल रही है। घर की अर्थव्यवस्था कमजोर, नहीं खरीद पाई जूते
सपना के पिता मलकीत ¨सह ड्राइवर के तौर पर काम करते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से बास्केटबाल के मैदान में खेलने के लिए सपना के पास जूते तक भी नहीं थे, खुद की बास्केटबाल भी नहीं थी, लेकिन उसके कोच व खेल अधिकारियों ने ही उसे जूते, ट्रैक सूट व बास्केटबाल मुहैया करवाई। जिसकी मदद से वह बास्केटबाल के मैदान पर उतरी। पिता मलकीत ¨सह व माता गुरमीत कौर ने कहा कि वह अपनी बेटी के खेल को निखारने के लिए हर प्रकार की मदद देने में हमेशा प्रयासरत रहते हैं, लेकिन कमजोर अर्थव्यवस्था के आगे वह भी मजबूर हो जाते हैं। आज वह बहुत खुश हैं, कि उनकी बेटी ने नेशनल मुकाबले में नाम रोशन किया है और वह अपनी बेटी को बेहतर सुविधा प्रदान करेंगे, ताकि वह भारत का नाम रोशन कर सके। हर दिन सुबह व शाम करती है मैदान में अभ्यास
सपना ने कहा कि वह रोजाना सुबह व शाम को वार हीरोज स्टेडियम के बास्केटबॉल मैदान में अभ्यास करती है। सुबह चार बजे वह उठकर पांच बजे स्टेडियम में पहुंच जाती है और दो घंटे के कड़े अभ्यास के बाद घर आकर घरेलू कामकाज निपटाकर स्कूल जाती है। सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ाई कर रही सपना स्कूल के घर आकर दोबारा से शाम को दो घंटे तक मैदान में अभ्यास करती है, ताकि अपने खेल को निखार सके। उसके कोच व जिला खेल अफसर की तरफ से उसे भरपूर सहयोग मिलता रहता है। लड़कियों को दें सहयोग, हर बेटी करेगी नाम रोशन
सपना ने लड़कियों के अभिभावकों के संदेश दिया कि वह अपनी बेटी को घर की चारदीवारी तक ही सीमित न करें, बल्कि उन्हें उनकी रुचि अनुसार खेल के मैदान में उतारें, क्योंकि लड़कियां पढ़ाई ही नहीं, बल्कि खेलों सहित हर क्षेत्र में परिवार का नाम रोशन करेंगी। उसके परिवार ने कभी भी उसे खेलने से नहीं रोका।