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जिले भर के 1700 वकील रहे हड़ताल पर, कामकाज ठप

संगरूर बार कौंसिल आफ इंडिया के देशव्यापी हड़ताल के के आह्वान पर तहत सोमवार को जिला संगरूर कोर्ट सहित सब डिवीजन अदालतों में भी जिला बार एसोसिएशन के फैसले अनुसार वकीलों ने मुकम्मल हड़ताल करके अदालती कामकाज ठप रखा। जिले भर के करीब 1700 वकीलों ने देशव्यापारी हड़ताल को समर्थन दिया, जिस कारण जिले भर की अदालतों में 2500 से अधिक केसों पर कोई सुनवाई नहीं हो पाई। संगरूर बार एसोसिएशन के समूह वकीलों ने जिला बार एसोसिएशन के प्रधान सतीश कांसल की अगुआई में कोर्ट कांप्लेक्स में बैठक करके हड़ताल के मुद्दों पर चर्चा की। डीबीए प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा, वहीं सब डिवीजन स्तर पर वकीलों ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। वकीलों की हड़ताल के कारण अदालत में अपने केसों संबंधी पहुंचे लोगों को वापस लौटना पड़ा, क्योंकि कोई भी वकील उनके केस की पैरवी को आगे बढ़ाने के लिए अदालत में नहीं पहुंचे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 06:00 PM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 06:00 PM (IST)
जिले भर के 1700 वकील रहे हड़ताल पर, कामकाज ठप
जिले भर के 1700 वकील रहे हड़ताल पर, कामकाज ठप

जागरण टीम, संगरूर :

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बार कौंसिल आफ इंडिया के देशव्यापी हड़ताल के के आह्वान पर तहत सोमवार को जिला संगरूर कोर्ट सहित सब डिवीजन अदालतों में भी जिला बार एसोसिएशन के फैसले अनुसार वकीलों ने मुकम्मल हड़ताल करके अदालती कामकाज ठप रखा। जिले भर के करीब 1700 वकीलों ने देशव्यापारी हड़ताल को समर्थन दिया, जिस कारण जिले भर की अदालतों में 2500 से अधिक केसों पर कोई सुनवाई नहीं हो पाई। संगरूर बार एसोसिएशन के समूह वकीलों ने जिला बार एसोसिएशन के प्रधान सतीश कांसल की अगुआई में कोर्ट कांप्लेक्स में बैठक करके हड़ताल के मुद्दों पर चर्चा की। डीबीए प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा, वहीं सब डिवीजन स्तर पर वकीलों ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। वकीलों की हड़ताल के कारण अदालत में अपने केसों संबंधी पहुंचे लोगों को वापस लौटना पड़ा, क्योंकि कोई भी वकील उनके केस की पैरवी को आगे बढ़ाने के लिए अदालत में नहीं पहुंचे।

डीबीए के प्रधान सतीश कांसल ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा वर्ष 2014 की चुनावों दौरान वकील भाईचारे की मांगों संबंधी बैठक की गई थी व बैठक में एडवोकेट वेलफेयर के लिए कुछ रकम रखने व विभिन्न स्कीमों को बजट में पास करवाने का भरोसा दिया था, ¨कतु वकील भाईचारे को किसी तरह की सुविधा नहीं दी गई। इस कारण वकीलों में रोष पाया जा रहा है। उन्होंने न्यायालय परिसर में बार एसोसिएशन का कार्यालय स्थापित करने, वकीलों तथा मुवक्किलों के बैठने की उचित व्यवस्था करने, अदालत परिसर में लाइब्रेरी, ई-लाइब्रेरी, शौचालय, महिला वकीलों के लिए अलग से शौचालय का प्रबंध करने, निशुल्क इंटरनेट सुविधा व रिआयती दरों वाली कैंटीन का प्रबंध करने, वकीलों व उनके परिवार का निशुल्क बीमा, बीमारी के वक्त निशुल्क इलाज का प्रावधान करने, वृद्ध व अक्षम वकीलों को पेंशन देने, मकान बनाने हेतु जमीन देने, लोक अदालतें वकीलों को देने, उपभोक्ता फोरम सहित अन्य कमिश्न का सदस्य जजों सहित वकीलों को भी शामिल करने, केंद्रीय बजट में वकीलों व मुवक्किलों की भलाई के लिए 5 हजार करोड़ रखने, नए वकीलों के लिए पांच वर्ष तक दस हजार रुपये महीना मेहनताना देने की मांग की। उन्होंने उक्त मांगों संबंधी ज्ञापन केंद्र सरकार के नाम जारी किया। साथ ही एलान किया कि यदि केंद्र सरकार ने इन मांगों को पूरा न किया तो वकील मजबूरन संघर्ष करने को मजबूर होंगे। उधर, सुनाम में बार कौंसिल ऑफ इंडिया के आह्वान पर स्थानीय बार एसोसिएशन ने मुक्कमल हड़ताल की व अहम मांगों को तुरंत लागू करने की मांग उठाई। इस दौरान स्थानीय एसडीएम मनजीत कौर को ज्ञापन सौंपा गया। एसडीएम ने वकीलों को भरोसा दिलाया कि उनकी मांगों को सरकार तकपहुंचाया जाएगा।

उधर, धूरी बार एसोसिएशन द्वारा प्रधान एडवोकेट अमनजीत ¨सह भसौड़ की अगुआई में अदालती कामकाज ठप करके केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इस उपरांत वकीलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने एसडीएम दीपक रुहैला को मांगों संबंधी ज्ञापन दिया। एडवोकेट रोमर कपूर ने बताया कि उन्होंने वकीलों की मांगें पूरी करने की मांग की। इस मौके हरदीप ¨सह, विकास शर्मा, सुखवीर ¨सह, एसके शैरी, हर¨मदर मडाहर, हर्ष ¨जदल, आरके ¨सगला आदि उपस्थित थे। नहीं लग पाई जमानत के लिए याचिका

गांव खराणी का बल¨वदर ¨सह अपने पुत्र की जमानत के लिए अपील अदालत में लगानी थी। कुछ दिन पहले पड़ोसी से झगड़े के कारण उसके पुत्र पर मामला दर्ज कर लिया था। अदालत से जमानत की गुहार लगाने की खातिर आया था, लेकिन वकीलों की हड़ताल के कारण अदालत में याचिका नहीं लग पाई। जमीनी विवाद पर होनी थी बहस:-

संगरूर निवासी महिला जस¨वदर पाल कौर ने बताया कि उसके मकान का अपने रिश्तेदार से केस अदालत में चल रहा है। लंबा समय गुजर चुका है। आज मामले पर वकील की बहस अदालत में होनी थी, लेकिन हड़ताल कारण नहीं हो पाई। अब फिर से अगली तारीख पड़ गई है।


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